लावारिस पशुओं को नहीं नसीब हुई छत

By: Jun 15th, 2017 12:05 am

रामपुर बुशहर— पंचायतों में न तो गोसदन बने और न ही सड़कों पर आवारा पशुओं का दुर्घटनाओं में मरना कम हुआ। प्रदेश सरकार ने गोरक्षा के मुद्दे को केवल औपचारिकता के तौर पर लिया और अभी आलम यह है कि मात्र कुछ क्षेत्रों में हजारों आवारा पशु घूम रहे हैं। स्वामी विवेकानंद नव उत्थान संघ ने गोरक्षा पर हो रहे अत्याचार पर चिंता जताई है। संघ के संयोजक भूपेश धीमान ने कहा कि न्यायालय के आदेशों के बाद सरकार हरकत में तो आई, लेकिन एक वर्ष बाद भी आवारा पशुओं को छत नसीब नहीं हो पाई। सरकार ने हर पंचायत  में गोसदन बनाने के आदेश तो जारी कर दिए, लेकिन ये गोसदन कैसे बनेंगे और कौन इन्हें बनाएगा। सदन के लिए जमीन कैसे मुहैया होगी। इस पर सरकार ने कोई भी नियम नहीं बनाए। स्थिति यह हो गई कि न्यायालय के आदेश अब कहीं गुम होकर रह गए हैं। जगह-जगह पर आवारा पशु मर रहे हैं। सड़कों पर हजारों की संख्या में पशु देखे जा सकते हैं। संघ ने कहा कि सरकार इस अहम मुद्दे को सुलझाने में पूरी तरह से नाकाम साबित  हुई है। संघ ने कहा कि अगर सरकार गोरक्षा को रोजगार से जोड़कर चलती तो आज आवारा पशुओं की संख्या कम हो जानी थी, लेकिन आज वह गोसदन भी चारों ओर पशुओं के पालन के लिए फंड के लिए तरस रहे हैं, जिन्होंने समय रहते गोसदन बना दिए थे। संघ ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह पशुओं से मिलने वाले दूध, घी और गोबर के रेट तय करें। साथ ही पहाड़ी गाय जो आज विलुप्त होने की कगार पर है। उसके दूध को 50 रुपए लीटर लेने की बात करें तो इन गायों का संरक्षण हो सकता है। संघ के संयोजक भूपेश धीमान, उपाध्यक्ष अविनाश कायथ, कोषाध्यक्ष अनिल दारनी ने कहा कि सरकार को पशुओं के गोबर का रेट तय करना चाहिए। साथ ही जगह-जगह पर गोबर एकत्रित करने के लिए डिपो खोले जाएं। ग्रामीणों से लिए गए गोबर की खाद बनाकर उसे जैविक खेती के इस्तेमाल के लिए बनाया जाए। ऐसा करने से फिर सभी पशुओं को रोजगार के लिहाज से पालना शुरू कर देंगे। संघ ने कहा कि महज सरकार द्वारा गोसदन निर्माण करने जैसे निर्णय थोपने से काम नहीं चलेगा। संघ ने कहा कि अगर सरकार ने एक सप्ताह के अंदर इस मुद्दे पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया तो संघ सड़कों पर उतरकर गोरक्षा को लेकर लंबी लड़ाई लड़ेगा।

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