जिस्पा के लोग नहीं चाहते प्रोजेक्ट
सरकार को रिपोर्ट देगी पावर कारपोरेशन, नहीं बन रही बात
शिमला— लाहुल-स्पीति के जिस्पा में प्रस्तावित जिस्पा बांध परियोजना के निर्माण को लेकर परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही। यहां के लोग अभी भी मानने को तैयार नहीं हैं, जिस कारण कई साल से प्रोजेक्ट कागजों में हिचकोले खा रहा है। बताया जाता है कि सरकार के निर्देशों पर पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक देवेश कुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी ने जिस्पा में जाकर फिर से लोगों से बातचीत की है, लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया है। देवेश कुमार की अध्यक्षता में गई कमेटी ने यहां जिस्पा के लोगों से बातचीत के दौरान उन्हें बताया कि प्रोजेक्ट उनके लिए किस तरह से लाभदायी है और खासकर देश के लिए कितना अधिक महत्त्वपूर्ण है। यहां पर पानी का भंडारण किया जाएगा और उस पानी से बिजली का उत्पादन होगा। पाकिस्तान की टीम भी यहां पर पहले आ चुकी है, लेकिन अभी तक उसकी तरफ से भी इसके लिए हामी नहीं भरी गई है। भारत चाहता है कि यहां पर बांध का निर्माण हो और पानी को रोका जाए। इससे अलग यहां जिस्पा के लोग ही इसके लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि वह विस्थापित नहीं होना चाहते और उनको यहां पर प्रोजेक्ट चाहिए ही नहीं। करीब दो साल से इन लोगों से बातचीत चल रही है। पहले यहां पर बांध निर्माण की प्रस्तावित साइट को बदलने का भी निर्णय लोगों के दवाब के कारण लिया जा चुका है, परंतु इसके बावजूद लोग मानने को तैयार नहीं हैं। अधिकारियों की यह कमेटी लोगों से हुई बातचीत के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। यह रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंपी जाएगी और यहां से केंद्र को रिपोर्ट जाएगी। केंद्र सरकार देखेगी कि इस मामले में आगे क्या करना है। हिमाचल की पावर कारपोेरेशन एजेंसी को इसके निर्माण के लिए नोडल एजेंसी बना रखा है। इस बांध निर्माण के लिए पूरा पैसा केंद्र सरकार देगी और इससे बनने वाली बिजली के लिए प्रोजेक्ट पावर कारपोरेशन लगाएगा।
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