दिन में सात बार रंग बदलता है किन्नर कैलाश

By: Jul 15th, 2017 12:05 am

रिकांगपिओ – पहली अगस्त से कि न्नर कैलाश यात्रा शुरू हो रही है। यह यात्रा 11 अगस्त तक चलेगी। करीब 24 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित किन्नर कैलाश के दर्शन करने के लिए कई श्रद्धालु किन्नौर आते हैं। एसडीएम कल्पा मेजर डा. अवनिंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि किन्नर कैलाश यात्रा मार्ग में यात्रियों के लिए इस बार पेयजल की व्यवस्था की जा रही है और यात्रियों की सुरक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं का भी पुख्ता प्रबंध जारी है। श्रद्धालु पोलिथीन का प्रयोग न करें, इसके लिए उन्हें जागरूक किया जाएगा व बेस कैंप पर हिदायत बैनर भी लगाए जाएंगे। वन मंडलाधिकारी किन्नौर एंजल चौहन ने कहा कि इस वर्ष ईको टूरिजम के तहत विभाग की ओर से गणेश पार्क में सराय का निर्माण किया है जहां यात्रियों को रहने की पूरी सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि किन्नर कैलाश पर बहुमूल्य जड़ीबूटी बहमकमल, धु्रव आदि को श्रद्धालु नुकसान न पहुंचाए इसके लिए भी उन्हें हिदायत दी जाएगी। किन्नर कैलाश यात्रा कमेटी की ओर से पवारी नामक स्थान पर लंगर की व्यवस्थता की गई है। कमेटी अध्यक्ष विपल कांत ने कहा कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कमेटी ने लंगर की व्यवस्थ्ता की है। किन्नर कैलाश दिन में सात बार रंग बदलता है, जिस कारण कैलाश दर्शन के लिए जिला किन्नौर में सैकड़ों शिवभक्त व पर्यटक यहां आते हैं। सदियों पुरानी हिंदु व बौद्ध अनुयायियों के आस्था का केंद्र किन्नर कैलाश आज के आधुनिक युग में भी उसी सदियों पुरानी परंपरा के अनुरूप आस्था का केंद्र बना हुआ है। शिव की तपोस्थली देव भूमि किन्नौर के बौद्ध लोगों और हिंदू भक्तों का आस्था का केंद्र किन्नर कैलाश समुद्र तल से 24 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है।  किन्नर कैलाश की यात्रा शुरू करने के लिए भक्तों को जिला मुख्यालय से करीब सात किलोमीटर दूर राष्ट्रीय उच्च मार्ग—पांच पोवारी से तांगलिंग गांव से होकर जाना पड़ता है। इस रमणिक सफर के लिए भक्तों को अपने साथ खाने-पीने का सामान तथा पीने का पानी तांगलिग गांव से ही साथ लेना होगा, क्योंकि इस सफर के बीच में कहीं भी पानी नहीं मिलता है। इस यात्रा के दौरान एक रात बीच में गुफा नामक स्थान पर ठहरना पड़ता है और अगली सुबह वहां से चलकर शिवभक्तगणेश पार्क स्थल,पार्वती कुंड  पहुंचते हैं, जहां पहुंच कर भक्तजन ऐसा अनुभव करते हैं कि मानों धरती पर स्वर्ग की सैर कर रहे  हों।  इस पार्वती कुंड के आसपास प्रकृति के रंग-बिरंगे फूल व औषधीय फूल और भगवान शिव के सबसे प्रिय फूल ब्रह्म कमल से भरा हुआ है। इस स्थान पर पहुंच कर शिव भक्तों की सारी थकान मिट जाती है। गणेश पार्क से करीब पांच सौ मीटर की दूरी पर पार्वती कुंड है और इस कुंड के बारे जनमानस का मान्यता है की इस कुंड में सच्ची श्रद्धा से सिक्का लगा दिया जाए तो मन की मुराद पूरी होती है, जिस कारण हर वर्ष बहुत से प्रेमी पार्वती कुंड में सिक्का डाल कर दिल की मुराद मांगते हैं। भक्त इस कुंड में पवित्र स्नान करने के बाद करीब 24 घंटे की कठिन राह पार कर किन्नर कैलाश स्थित शिवलिंग के दर्शन करने पहुंचते हैं। किन्नर कैलाश की प्रकृति की मनोहरी दृश्य देखकर भक्त जन यात्रा की थकान क्षण भर में भूल जाते हैं। लंबी यात्रा के बाद कुछ समय प्रकृति के मनोहरी गोद में सुकून के साथ बिताने के बाद शिवभक्त वापस आते हैं। कुछ भक्त, जहां किन्नर कैलाश के दर्शन के लिए जाते हैं, वहीं बहुत से भक्त किन्नर कैलाश परिक्रमा करने जाते हैं। इस रास्ते में कई हिमखंड को भी पार करना पड़ता है। जैसे-जैसे पहाडि़यों के निकट पहुंचते हैं भक्तों को सांस लेना मुश्किल होता है, लेकिन आस्था का जूनून व प्रकृति के अनुपम दृश्य को देख भक्त कठिनाइयों को राैंद कर शाम को छितकुल पहुंचते हैं और वहां पहुंच कर छितकुल की कुलदेवी की पूजा आर्चना के बाद किन्नर कैलाश की परिक्रमा समाप्त करते हैं।

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