बिलासपुर में ‘मैं शरीर नहीं, आत्मा हूं’
बिलासपुर – भाषा एवं संस्कृति विभाग बिलासपुर के तत्त्वावधान में संस्कृति भवन के साहित्यिक कक्ष में मासिक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के शुभारंभ पर कवियों/साहित्यकारों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित करके संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया। मंच का संचालन जसवंत सिंह चंदेल ने किया। इसके पश्चात बुद्धि सिंह चंदेल द्वारा पहाड़ी गीत व चलो गेहड़वीं रे मेलेयां रा नजारा देखणा रचना प्रस्तुत की गई। द्वारिका प्रसाद द्वारा ‘मैं शरीर नहीं, आत्मा हूं, किसी ने पूछ लिया तुम कौन हो। ’ छोटा राम की रचना ‘रंग बिरंगीं दुनिया’ । जसवंत सिंह चंदेल द्वारा ‘विरोध छोड़ो लाभ होगा दोस्तों’ । कांशी राम द्वारा ‘गलती जो न करें उसें भगवान कहते हैं, जो थोड़ी बहुत गलती करके अपना सुधार कर ले उसे इनसान कहते हैं, जो बार-बार गलतियां करें उसे पाकिस्तान कहते हैं, जो उसकी गलतियों को सहन करें उसे हिंदोस्तान कहते हैं।’ हेमराज शर्मा ‘रहबर ने उलझाया बहुत है’। कविता सिसोदिया ‘आज के हर रिश्ते में मिलावट देखी, बाहर झूठी मिठास अंदर कड़वाहट देखी।’ कौशल्या देवी ‘सावन आया सावन आया चारें ओर हरियाली लाया’ बीडी लखनपाल ‘वतन की तहजीब का हो रहा सत्यानाश’ रक्षा ठाकुर ने ‘क्या बात कहूं किस से दिल का दर्द कहूं कैसे दर्द अटूट सहूं।
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