मौद्रिक मामलों में न लाएं अध्यादेश

By: Jul 24th, 2017 12:05 am

विदाई स्पीच में प्रणब दा की सीख, संसद में गतिरोध अनुचित

newsनई दिल्ली – निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विभिन्न मामलों में अध्यादेश जारी करने की प्रवृत्ति पर चिंता जताते हुए रविवार को कहा कि किसी भी सरकार को अध्यादेश का फैसला बाध्यकारी परिस्थितियों में ही लेना चाहिए। श्री मुखर्जी ने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में अपने विदाई भाषण में कहा कि अध्यादेश का सहारा बाध्यकारी परिस्थितियों में ही लिया जाना चाहिए। मौद्रिक मामलों में तो इसका सहारा कतई नहीं लेना चाहिए। संसद की कार्यवाही में गतिरोध पैदा करने के मामले में भी निवर्तमान राष्ट्रपति ने कहा कि संसद बहस, विचार-विमर्श तथा असहमति व्यक्त करने की एक जगह है और इसकी कार्यवाही में बाधा आने से विपक्ष को ही ज्यादा नुकसान होता है। हालांकि उन्होंने हाल ही में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के सर्वसम्मति से पारित होने और गत पहली जुलाई से इसे लागू किए जाने पर प्रसन्नता जताई और कहा कि यह सहकारी संघवाद का शानदार उदाहरण है। श्री मुखर्जी ने संसदीय जीवन के 37 साल का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि मैं यह दावा करूं कि मैं इस संसद का सृजन हूं तो यह अभद्रता कतई नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यहां से मैं आप लोगों के सान्निध्य एवं मेरे प्रति भद्र व्यवहार की यादें अपने साथ ले जाऊंगा। निवर्तमान राष्ट्रपति ने अपने प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोगात्मक रवैये एवं गर्मजोशी से भरे व्यवहार को भी याद किया। विदाई समारोह में उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन निवर्तमान राष्ट्रपति के साथ मंच पर मौजूद थे। श्री मोदी ने अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ समारोह में हिस्सा लिया। इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एचडी देवेगौड़ा, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी शिरकत की। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा विपक्ष के प्रमुख नेताओं सहित संसद के दोनों सदनों के करीब-करीब सभी सदस्य समारोह में उपस्थित थे।

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