सदन का अपमान

By: Jul 27th, 2017 12:02 am

(दीक्षा शर्मा, धर्मशाला )

छह सांसदों ने लोकसभा में जिस तरह की अराजकता का परिचय दिया, उसे निंदनीय ही माना जाएगा। हालांकि इसके चलते इन कांग्रेसी सांसदों को पांच दिनों के लिए निलंबित भी कर दिया, लेकिन इससे पहले सदन शर्मसार हो चुका था। शून्यकाल में कांग्रेस सांसद गोरक्षकों द्वारा मुस्लिमों और दलितों के खिलाफ किए जाने वाले हमलों पर चर्चा की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इसी बीच छह सांसदों ने कागज फाड़कर उन्हें हवा में उछाल दिया और अध्यक्ष के आसन की तरफ फेंक दिया। कांग्रेसी सांसद जिस तरह बेवजह तैश में आए और अशोभनीय आचरण की हद पार कर गए, उससे तो यही लगता है कि वे घर से तय करके आए थे कि सदन में हंगामा ही करना है। लोकतंत्र के मंदिर में बेहूदगी का यह कोई पहला मौका नहीं है और फिलहाल यह भी नहीं कहा जा सकता है कि असभ्य हरकतों का यह सिलसिला आखिर थमेगा कब और कैसे? निर्लज्जता का यह क्रम कभी थमेगा, इसमें भी फिलहाल संदेह है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसद की अपनी एक गरिमा है। इसके साथ खेलने का किसी को भी कोई हक नहीं होना चाहिए। जब लोकसभा के लिए चुनाव होता है, तो अपेक्षा रहती है कि शालीनता की सीमाओं में रहकर चुने हुए नुमाइंदे जनता के मुद्दों को सही ढंग से उठाएंगे। सदन काफी हद तक इन अपेक्षाओं को पूरा करता भी रहा है और एक स्वस्थ-सार्थक बहस के जरिए देश को कई महत्त्वपूर्ण कानून इसी सदन ने दिए हैं। लेकिन यह भी उतना ही सत्य है कि चंद गैर जिम्मेदाराना सांसदों के अमर्यादित आचरण से सदन कई बार अपमानित हो चुका है। संसद की गरिमा के साथ इस तरह का खिलवाड़ कतई उचित नहीं माना जा सकता।

विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं ? भारत मैट्रीमोनी में निःशुल्क रजिस्टर करें !


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App