अंतिम दिन पक्ष-विपक्ष हो लिए साथ

By: Aug 26th, 2017 12:40 am

मौजूदा सरकार का अंतिम सत्र समाप्त, न कोटखाई प्रकरण और न ही बरसात पर चर्चा

newsशिमला – हिमाचल प्रदेश विधानसभा का जो मानसून सत्र तल्खी व हो हल्ले के साथ शुरू हुआ था, उसका अंत सत्तापक्ष व विपक्ष के हाथ मिलाने से हुआ। तीन दिन तक कोटखाई प्रकरण तो कभी बलात्कार के मामलों के साथ-साथ एक दिन मुख्यमंत्री के खिलाफ लगे कथित भ्रष्टाचार के आरोपों पर विपक्ष हो हल्ला करते हुए नियम 67 के तहत चर्चा की मांग पर अड़ा रहा, मगर सत्तापक्ष नहीं झुका। विपक्ष को नियम 130 के तहत चर्चा के लिए मजबूर किया जाता रहा। इसी फेर में विधानसभा का वह महत्त्वपूर्ण प्रश्नकाल बार-बार भेंट चढ़ता रहा, जिसमें आम जनमानस की दिक्कतों का समाधान मिलता है। हैरानी की बात रही कि सत्र के अंतिम रोज भी भाजपा के तेवर तो दिख रहे थे, मगर अंजाम हाथ मिलाने पर खत्म हुआ। मेडिकल यूनिवर्सिटी बिल पर दोनों पक्षों की ऐसी सहमति बनी कि अन्य मुद्दे गौण होते गए। हवाला दिया गया कि प्रदेश के स्वास्थ्य के नजरिए से यह बिल अति महत्त्वपूर्ण था। यही नहीं, अंतिम रोज खुशी से सभी चुनाव क्षेत्रों में लौटे, इसलिए भी सौहार्द बनाना आवश्यक है। बात यहां तक आई कि हो हल्ले के कारण विधानसभा अध्यक्ष ने 11ः15 पर सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए शुक्रवार को स्थगित कर दी, मगर अध्यक्ष 18 मिनट फिर देर से सदन में आए और दोनों पक्षों के बीच बातचीत चलती रही। इस बार चार दिवसीय सत्र के दौरान खास बात यह रही कि विपक्ष की तरफ से एक बार भी वाकआउट नहीं किया गया, मगर कानून व्यवस्था को लेकर हो हल्ला चलता रहा। खास बात यह भी रही कि भ्रष्टाचार के खिलाफ भी विपक्ष ने नियम 67 के तहत नोटिस दिया था, मगर इस पर भी उन्हें अनुमति नहीं मिली। विधानसभा अध्यक्ष व सत्तापक्ष ने दो टूक कह दिया कि यह अदालत के विचाराधीन मामला है, इस पर अनुमति नहीं मिलेगी। इस मामले में भी विपक्ष की तरफ से शोर शराबा किया गया, मगर अगले रोज घेराबंदी इस पर भी नहीं हो सकी। डिपुओं में प्रदेश के लाखों लोगों को सस्ता तेल नहीं मिल रहा। पूरी दालें नहीं मिल पा रहीं। नमक का भी कोई अता-पता नहीं।

इसलिए 18 मिनट की देरी

विधानसभा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल ने कहा कि सत्तापक्ष व विपक्ष के बीच कार्यवाही सौहार्दपूर्ण तरीके से चलाने के लिए बातचीत चल रही थी। इसीलिए कार्यवाही सवा 11 से 12 बजे तक स्थगित करने के बावजूद 18 मिनट और देर से कार्यवाही शुरू हुई। संसदीय मंत्री की तरफ से उन्हें यह सूचना दी गई थी। इसी वजह से और 18 मिनट की देरी हुई।

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