खेल विकास को आगे आएं निजी संस्थान

By: Aug 25th, 2017 12:03 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

भूपिंदर सिंहराज्य में खेलों को ऊपर उठाना है, तो आज निजी शिक्षण संस्थानों को इसमें भागीदारी निभाने के लिए प्रेरित करना होगा। यदि एक-एक विद्यालय सुविधा के अनुसार किसी एक खेल को भी गोद लेता है, तो राज्य में सैकड़ों निजी विद्यालय खेलों के स्तर को ऊपर ले जाने में सहायक सिद्ध होंगे…

हिमाचल प्रदेश में खेलों को वह गति अभी तक नहीं मिल पाई है, जो मिलनी चाहिए थी। राज्य में खेलों को एक सम्मानजनक स्तर तक ले जाने के लिए सबकी भागीदारी बेहद जरूरी है। राज्य में विद्यालय व महाविद्यालय स्तर पर हजारों शिक्षण संस्थान निजी क्षेत्र में सेवारत हैं। इन शिक्षण संस्थानों के पास आज कई जगह खेल के लिए सुविधा उपलब्ध है। हमीरपुर में इस समय नगर के अंदर ही पचास के आसपास विद्यालय निजी क्षेत्र में शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इनमें से अधिकतर विद्यालयों के पास पांच सौ से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। ऐसा हाल प्रदेश के सभी नगरों का है। ग्रामीण स्तर पर भी कई अच्छे विद्यालय निजी क्षेत्र में चल रहे हैं। यदि एक-एक विद्यालय सुविधा के अनुसार किसी एक खेल को भी गोद लेता है, तो राज्य में सैकड़ों निजी विद्यालय खेलों के स्तर को ऊपर ले जाने में सहायक सिद्ध होंगे। इस दिशा में बड़सर (वणी) का सेवन स्टार विद्यालय कुश्ती में भविष्य के विजेता तराश रहा है। घुमारवीं में भी मिनर्वा विद्यालय कुश्ती के लिए अपने यहां प्रशिक्षण करवा रहा है। हमीरपुर की हिम अकादमी भी कई उभरते हुए खिलाडि़यों को पिछले दशक से वजीफा देती आ रही है। राज्य में खेलों को ऊपर उठाना है, तो आज निजी विद्यालय प्रबंधन को इसमें भागीदारी निभाने के लिए प्रेरित करना होगा। निजी विद्यालय अपने यहां अगर खेल के लिए प्रशिक्षण सुविधा का बंदोबस्त करते हैं, तो उससे जहां विजेता खिलाड़ी विद्यार्थियों को सहायता मिलेगी, वहीं पर सामान्य विद्यार्थी को भी खाली समय या ड्रिल के पीरियड में अपनी-अपनी फिटनेस सुधारने का मौका भी मिलेगा।

राज्य के अच्छे विद्यालयों के पास अच्छे खेल मैदानों के साथ आज इंडोर खेलों के लिए अच्छे हाल उपलब्ध हैं। आज अधिकतर खेलें इंडोर ही खेली जाती हैं और कई खेलों के लिए प्ले फील्ड्ज भी बहुत होती हैं। इसलिए विद्यालय स्तर पर आज कई खेलों को प्रशिक्षण देने के लिए माकूल सुविधा है। राज्य के कई निजी महाविद्यालय भी प्रदेश में खेलों को ऊपर ले जाने में सहायक सिद्ध हुए हैं। सुंदरनगर का एमएलएसएम कालेज मुक्केबाजी को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने में कामयाब रहा है। डीएवी कांगड़ा बास्केटबाल में लंबे समय तक प्रशिक्षण देने में आगे रहा है। इस महाविद्यालय में और भी कई खेलों के लिए खिलाडि़यों को सुविधा दी है। आजकल हमीरपुर का गौतम महाविद्यालय भी खिलाडि़यों को काफी सुविधा देता है। इस वर्ष भी वह अपने यहां ताइक्वांडो व चैस जैसी इंडोर खेलों के हिमाचल प्रदेश अंतर महाविद्यालय खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करवा रहा है। एथलेटिक्स में भी कई महिला धाविकाओं ने गौतम महाविद्यालय की तरफ से खेलते हुए राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल के लिए पदक जीते हैं। जीजीएसडी महाविद्यालय भटोली भी अपने समय में राज्य के खिलाड़ी विद्यार्थियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। एथलेटिक्स सहित कई खेलों में भटोली महाविद्यालय हिमाचल प्रदेश अंतर महाविद्यालय खेलों में विजेता ट्रॉफी उठाता रहा है।

बैजनाथ का सरकारी महाविद्यालय भी एक समय जीजीएसडी प्रबंधन के अंतर्गत शिक्षा दे रहा है तो यहां पर भी खिलाडि़यों को काफी सुविधा दी जाती रही है। प्रदेश में आज अधिकतर निजी महाविद्यालय तो सरकारी हो चुके हैं, मगर प्रदेश में सैकड़ों निजी विद्यालय प्रदेश के विभिन्न जिलों में शिक्षा दे रहे हैं। विद्यालय प्रबंधन चाहे तो अपने यहां विद्यालय परिसर में किसी भी खेल को, जिसकी सुविधा उसके यहां है, उस खेल की नर्सरी तैयार कर सकता है। पचास से भी अधिक आउटडोर व इंडोर खेल आज हिमाचल प्रदेश राज्य खेल परिषद से मान्यता प्राप्त हैं। इनमें से कई खेलों के लिए तो बहुत ही छोटी जगह में प्ले फील्ड बन जाती है। विद्यालय प्रबंधन थोड़ा सा धन खर्च कर अपने विद्यार्थियों को जहां प्रशिक्षण सुविधा देकर कुछ अच्छे खिलाड़ी निकाल सकता है, वहीं पर अपने ड्रिल के पीरियड में हर विद्यार्थी को खेल खिलाकर उसकी सामान्य फिटनेस को ठीक रख सकेगा। इस सब के लिए विद्यालय व महाविद्यालय प्रशासन को खेल प्रशिक्षण सुविधा के अनुसार अपने यहां उस खेल का एक प्रशिक्षक भी नियुक्त कर लेना चाहिए। राज्य निजी शिक्षा संस्थानों में अपेक्षा रखता है कि वह जहां अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदेश के विद्यार्थियों को दे रहे हैं, वहीं पर खेलों के लिए भी अपने यहां खेल प्रशिक्षण सुविधा व प्रशिक्षक का प्रबंध कर हिमाचल के गौरव का ऊंचा करने में अपना योगदान दें।

ई-मेल : penaltycorner007@rediffmail.com

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