निजी निवेशक को दे दिए पांच लाख ज्यादा

By: Aug 24th, 2017 12:05 am

newsशिमला— हिमाचल प्रदेश के बागबानी विभाग ने अब एक और नया कारनामा कर दिखाया है। कांगड़ा में एक प्रोजेक्ट धारक को पहले तो एमआईडीएच सेल के तहत पांच लाख रुपए की रकम ज्यादा अदा कर दी गई और जब इंटरनल ऑडिट के दौरान यह मामला पकड़ा गया तो इसे क्लेरिकल मिस्टेक बताकर पल्ला झाड़ने का प्रयास किया गया। हैरानी की बात है कि इस पूरे मामले को 20 महीने का वक्त गुजर चुका है, मगर संबंधित प्रोजेक्ट से पांच लाख रुपए की रिकवरी नहीं हो सकी है, जबकि अंतरलेखा मूल्यांकन के दौरान यह सवाल उठाया गया है कि किन परिस्थितियों में संबंधित कंपनी को तय रकम से हटकर ज्यादा राशि की अदायगी कर दी गई। यदि ऐसा भूलवश हुआ भी था तो इतनी अवधि में पांच लाख रुपए की सरकारी रकम वापस लेने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई। भविष्य में ऐसा न हो, विभाग की तरफ से क्या कदम उठाए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक प्रोजेक्ट डायरेक्टर एमआईडीएच को जब ऑडिट मेमो भेजा गया तो उसके जवाब में यह कहा गया कि क्लेरिकल मिस्टेक के कारण यह हुआ है। यह भी बताया गया कि यह मामला सामने आने पर संबंधित बैंक से कहा गया कि पांच  लाख रुपए की जो ज्यादा राशि अदा की गई है, उसे वापस प्रोजेक्ट के खाते में जमा किया जाए। हालांकि लेखा परीक्षक इस जवाब से संतुष्ट नहीं है। उसने लिखा है कि 20 महीने का लंबा वक्त गुजर जाने के बाद भी आखिर सरकारी रकम खाते में जमा क्यों नहीं हो सकी। यह भी कहा गया कि यदि इस मामले में विजिलेंस जांच करवाई जाती तो सरकारी खजाने को लाखों रुपए की चपत लगने से बजाया जा सकता था। दरअसल, कांगड़ा में केंद्रीय कृषि व बागबानी मंत्रालय के तहत एक निजी कंपनी को तीन करोड़ 88 लाख 94 हजार 500 रुपए की वित्तीय सहायता मंजूर हुई थी। यह राशि फलों व सब्जियों की कैनिंग के लिए लगने वाले प्रोजेक्ट के तहत एमआईडीएच के अंतर्गत जारी होती है। वित्तीय सहायता दो समान किस्तों में अदा की जानी थी। यानी एक करोड़ 94 लाख 47 हजार 250 रुपए की दो किस्तें, मगर कंपनी को वित्तीय सहायता की जो राशि प्रदान की गई, वह दूसरी किस्त में एक करोड़ 99 लाख 47 हजार थी, जबकि यह एक करोड़ 94 लाख 47 हजार 250 होनी थी। हैरानी की बात है कि इतने बड़े मामले में न तो अभी तक किसी अधिकारी की जिम्मेदारी तय हो सकी है और न ही इतना लंबा अरसा गुजर जाने के बाद लाखों की यह रकम सरकार के खजाने में वापस ली जा सकी है। उधर, इस मामले में विभाग के किसी भी अधिकारी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करने से मनाही कर दी। बताया गया कि अधिकारी बैठक में व्यस्त हैं।

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