नेपाल से भारत को दबाने की जुगत

By: Aug 21st, 2017 12:02 am

नई दिल्ली – एशिया में भारत के बढ़ते दबदबे से खुन्नस खाया चीन पहले ही पाकिस्तान में बड़ा निवेश कर के उसे अपना ‘बेस्ट फ्रेंड’ बना चुका है। अब चीन अपनी इसी रणनीति के तहत नेपाल को भी भारत के खिलाफ खड़ा करने की जुगत में है। इसके लिए चीन ने पहले ही जमीन तैयार करनी शुरू कर दी थी। एशिया में अपने प्रभाव को बढ़ाने के मकसद से ही चीन नेपाल में सेना या युद्ध से नहीं, बल्कि निवेश के जरिए अपना कब्जा जमा रहा है। स्थिति यह है कि अब वह नेपाल में सबसे बड़ा विदेशी निवेशक बन गया है। पश्चिमी नेपाल में धारचुला की स्थिति एकदम डोकलाम की तरह ही है। धारचुला नेपाल, चीन और भारत के ट्राइजंक्शन के बीच आता है। 1814-16 में हुए ऐंगलो-नेपाली युद्ध के समय से ही भारत और नेपाल के बीच इस शहर को लेकर संधि अस्तित्व में आ गई थी। नेपाल की काली नदी के ऊपर बने ब्रिज से नेपाल और भारत में उत्तराखंड राज्य एक-दूसरे से जुड़े हैं। 1950 में तिब्बत पर चीन के कब्जा करने से पहले धारचुला तिब्बत-नेपाल-भारत के बीच व्यापार रास्ते के लिए एक अहम शहर था। ऐसे में नेपाल में चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के लिए निकट भविष्य में सिरदर्दी पैदा कर सकता है। नेपाल में वित्त वर्ष 2017 में 15 अरब नेपाली रुपयों का विदेशी निवेश हुआ है। इसमें से आधे से भी ज्यादा यानी 8.35 अरब नेपाली रुपए का निवेश चीन ने किया है। इसी वित्त वर्ष में भारत ने नेपाल में 1.99 अरब रुपयों का निवेश किया है तो वहीं दक्षिण कोरिया ने 1.88 अरब नेपाली रुपयों का। इसी साल मार्च में नेपाल के इनवेस्टमेंट समिट में चीन सबसे बड़ा निवेशक बनकर उभरा।

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