आचार संहिता में प्रदेश के अफसर
प्रदेश में आदर्श चुनाव आचार संहिता नहीं लगी है, परंतु सत्ता के गलियारों में माहौल आचार संहिता वाला ही है। नेता तो यहां पर नहीं हैं, वहीं अफसर भी नहीं दिखाई दे रहे। जो कोई है, वह काम नहीं कर रहा। यहां से लोगों को अब ये कहकर लौटाया जा रहा है कि अब तो बाद में ही आना। काम करने वाले आला अधिकारी छुट्टी पर हैं, जो आचार संहिता लगने के चक्कर में अब काम नहीं करना चाहते। उनकी यह सोच है कि कहीं सरकार के आखिरी समय में उनसे कोई गलत काम न करवा दिया जाए, इसलिए छुट्टी पर ही चले जाओ। इसी चक्कर में सरकार की कैबिनेट बैठक तक टल गई, वरना कैबिनेट 23 तारीख को ही हो जाती। सचिवालय का माहौल पूरी तरह से बदल चुका है, जहां डीओ नोट लेकर लोग पहुंच तो रहे हैं, परंतु काम करने वाला कोई नहीं। ऐसे में नेताओं के लिए तो नहीं, पर अधिकारियों के लिए तो आचार संहिता अभी से लग गई है और उनके लिए चुनाव भी जल्दी हो जाएंगे। अफसरशाही की आचार संहिता के चक्कर में आम लोग पिसने लगे हैं, जिस पर कोई शिकंजा नहीं कस रहा। हैरानी है कि प्रशासनिक मशीनरी के मुखिया तक के पास फाइलें नहीं पहुंच पा रहीं, जो कि शाखाओं में ही फंसी रह गई हैं।
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