तबादलों पर तबादले…कहां करवाएं इलाज

By: Sep 19th, 2017 12:05 am

हमीरपुर  – क्षेत्रीय अस्पताल हमीरपुर अस्पताल न रहकर ट्रांसफर का गढ़ बन गया है। हाल ही में यहां से एक चाइल्ड स्पेशलिस्ट व गायनोकोलॉजिस्ट का तबादला हो चुका है। इसके अलावा दोनों मेडिकल स्पेशलिस्ट, दोनों सर्जन व ईएनटी चिकित्सक भी यहां से जा चुके हैं। क्षेत्रीय अस्पताल हमीरपुर से पिछले छह महीनों में चार चिकित्सकों का तबादला हो चुका है। जिला अस्पताल से एक के बाद एक चिकित्सकों को स्थानांतरित कर दूसरे जिलों में भेजा जा रहा है। इसके चलते हमीरपुर में स्वास्थ्य सुविधाएं लगातार चरमरा रही हैं। अब तक अस्पताल से गायनोकोलॉजिस्ट, मनोचिकित्सक, चाइल्ड स्पेशलिस्ट व एनेस्थीसिया चिकित्सक को अस्पताल से ट्रांसफर किया जा चुका है। कुछ का सरकार तबादला कर रही है, तो कुछ खुद-ब-खुद अस्पताल का साथ छोड़ हायर स्टडी के लिए चंडीगढ़ व दिल्ली का रुख कर रहे हैं। हाल यह है कि हमीरपुर अस्पताल में तीन बड़े विशेषज्ञों के पद खाली चल रहे हैं व मरीज रोजाना अपना दुखड़ा रोने को मजबूर हैं। अस्पताल में सुविधाओं के आभाव के चलते अब लोगों में भी रोष पनपने लगा है।

चिकित्सक कम, मरीज ज्यादा

सुरेंद्र बहल का कहना है कि हमीरपुर अस्पताल में चिकित्सक कम, मरीज ज्यादा होते हैं। जब भी इलाज के लिए अस्पताल जाते हैं, तब-तब मुझे घंटों ओपीडी के बाहर बैठ अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। कई दफा कुछेक विशेषज्ञ के न होने से अस्पताल से बिना इलाज के ही लौटना पड़ा है।

अस्पताल में कोई नहीं मिलता

अशोक धमीजा का कहना है कि क्षेत्रीय अस्पताल में जाने से पहले उन्हें कई बार सोचना पड़ता है। अस्पताल जाने पर चिकित्सक कोई मिलता नहीं  है, जिस कारण हमेशा निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। आए दिन अस्पताल से चिकित्सकों के तबादलों की सूचना मिलती है।

उपचार के लिए आते ही रैफर

सन्नी बन्याल का कहना है कि वह हाल ही में अस्पताल अपने बीमार रिश्तेदार को उपचार के लिए हमीरपुर अपस्ताल ले गए थे, लेकिन अस्पताल में कोई भी मेडिकल स्पेशलिस्ट नहीं मिला। अस्पताल पहुंचने पर उन्हें हमीरपुर से टांडा रैफर कर दिया गया। इसके चलते हमें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

अस्पताल में सर्जन तक नहीं

सुमित कानूनगो का कहना है उन्हें अचानक पेट में तेज दर्द उठा व उसे उपचार के लिए क्षेत्रीय अस्पताल ले गए। यहां आपातकालीन कक्ष में पहुंचने पर व तैनात चिकित्सक द्वारा इंजेशन लगाने से दर्द तो कुछ कम हुआ, लेकिन चिकित्सक ने चैकअप के लिए सर्जन को दिखाने की सलाह दी। इस बीच पता चला कि अस्पताल में तो अरसे से कोई भी सर्जन है ही नहीं।

जोनल हास्पिटल सिर्फ नाम का

विकास शर्मा का कहना है कि हाल ही में कान में दर्द रहने पर उपचार के लिए वह क्षेत्रीय अस्पताल गए थे, लेकिन यहां कोई भी ईएनटी चिकित्सक नहीं मिला। इसके चलते उन्हें मजबूरन निजी अस्पताल में जाकर अपनी जांच करवानी पड़ी। हमीरपुर अस्पताल का केवल भवन ही बड़ा है, चिकित्सक यहां नाममात्र हैं।


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