दिक्कत में एचआरटीसी

By: Sep 9th, 2017 12:40 am

जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट! केंद्र ने नहीं दी सिंगल क्लस्टर को मंजूरी

NEWSशिमला— हिमाचल पथ परिवहन निगम के लिए जेएनएनआरयूएम प्रोजेक्ट जो कमाऊपूत बन रहा था, अब दिक्कतें पेश कर रहा है। निगम ने इस प्रोजेक्ट के केंद्र से मंजूर वास्तविक स्वरूप से हटकर अंतरराज्यीय रूटों पर भी बसें दौड़ानी शुरू कर दीं। यहीं से विवाद खड़ा हुआ और अब स्थिति यह हो चुकी है कि कुल 791 में से 250 बसें ऑफ रूट हो चुकी हैं। प्रदेश उच्च न्यायालय ने निगम को आदेश दिए हैं कि ये बसें वास्तविक प्रोजेक्ट के ही अनुरूप चलें, जिसे केंद्र ने भी मंजूरी दी थी। इससे पहले ये बसें नालागढ़ व पठानकोट डिपुओं से बाहर यानी चंडीगढ़ तक भी आवाजाही कर रही थीं। निजी बस आपरेटरों द्वारा इसके खिलाफ आवाज उठाई गई और मामला उच्च न्यायालय पहुंचा। अब निगम ने क्लस्टर से बाहर चलने वाली गाडि़यों को रोककर लोकल रूट पर ही इनकी आवाजाही सुनिश्चित की है। जब मामले पर विवाद उठा तो निगम ने 13 क्लस्टर बनाए थे, इन्हीं के तहत एक-दूसरे जिलों में भी गाडि़यां दौड़ रही थीं। तकनीकी तौर पर ऐसी दिक्कतें सुलझाने के लिए ही निगम ने केंद्रीय मंत्रालय को सिंगल क्लस्टर का प्रस्ताव भेजा था। अब निगम को भले ही इससे चपत लग रही हो, मगर स्थानीय लोग इससे खुश भी हैं, क्योंकि उन्हें आवाजाही के लिए पर्याप्त वाहन उपलब्ध होंगे। निगम अभी तक भी ऑफ रूट हो चुकी 250 बसों को एडजस्ट करने के लिए कोई योजना नहीं बना सका है। केंद्र द्वारा ये बसें शहरी क्षेत्रों में ही आवाजाही के लिए दी गई थीं। हालांकि जानकारों का कहना है कि इसमें कुछ गांव भी कवर किए जा सकते थे, मगर निगम ने इसे मुनाफे का सौदा समझते हुए इसे अंतरराज्यीय व अंतरजिला रूटों तक पर चला दिया। निगम को सबसे ज्यादा झटका तब लगा, जब केंद्रीय मंत्रालय ने उस द्वारा भेजा गया नया प्रस्ताव भी नामंजूर कर दिया। पिछले वर्ष अक्तूबर में यह योजना स्वीकृति के लिए भेजी गई थी। इसके तहत 13 नई सिंगल क्लस्टर के तहत हिमाचल में बसें दौड़नी थीं। पूरे प्रदेश में एक क्लस्टर के तहत विभिन्न जिलों को बस आवाजाही से जोड़ा जाना था, यानी मंडी से सुंदरनगर का पहले जो क्लस्टर था, उसे तोड़ते हुए मंडी से बिलासपुर बनाने की तैयारी थी, जिसमें लोकल रूट भी कवर किए जाने थे। तकनीकी दिक्कतों के चलते यह बदलाव किया जाना था। एचआरटीसी ने सिंगल क्लस्टर को मंजूरी के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को प्रोजेक्ट भेजा था। निगम ने जेएनएनआरयूएम की बसें चलाने के लिए 13 से भी ज्यादा जो क्लस्टर निर्धारित किए थे, उनसे हटकर निगम ने कई मार्गों पर रूट परमिट हासिल किए, जिसे लेकर निजी बस आपरेटरों ने भी एतराज जताया। निगम के प्रबंध निदेशक अशोक तिवारी प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं थे, जबकि निगम के कार्यकारी निदेशक विवेक चंदेल ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी ही नहीं है। वह इस बारे में प्रतिक्रिया नहीं दे सकते।

क्लस्टर से बाहर जाने पर रोक

हमीरपुर का एक निजी बस आपरेटर जेएनएनयूआरएम की इन बसों को लेकर हाई कोर्ट पहुंचा था, जिसके बाद यह आदेश हुआ कि क्लस्टर के बाहर ये बसें नहीं चलाई जा सकतीं। यह मामला वर्ष 2015 का है।

एडजस्ट नहीं हो पा रही गाडि़यां

बसें पहाड़ी परिस्थिति में एडजस्ट नहीं हो पा रहीं। इन्हीं की वजह से कई शहरों में ट्रैफिक जाम भी लग रहे हैं।

सरकार के सामने रखा था मामला

परिवहन निदेशालय ने मामला सरकार से उठाया था, जिसके बाद कानून विभाग ने इसका अध्ययन किया। सिफारिश दी गई कि न तो इसकी अपील हो सकती है, न ही क्लस्टर के बाहर बसें चल सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने भी यही कहा कि पिछले वर्ष ही निगम ने सिंगल क्लस्टर के लिए राज्य सरकार से मंजूरी लेकर अनुमोदन हेतु केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को भेजा था, ताकि तकनीकी तौर पर बसें सभी जिलों में दौड़ती रहें, मगर होगा सिंगल क्लस्टर ही, जिसे मंजूरी नहीं मिली।

बस की छत पर कैरियर भी नहीं

इन बसों की छतों पर कैरियर भी नहीं लगे हैं। यह मामला विधानसभा में भी उठा था। हिमाचल कृषि प्रधान राज्य है, कृषकों-बागबानों को इससे दिक्कतें पेश आती हैं। बवाल उठने के बावजूद यह सुविधा इन बसों में नहीं है।


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