दिल्ली से आपरेट हो रही बंधुआ मजदूरी

By: Sep 26th, 2017 12:05 am

ऊना – बंधुआ मजदूरी का धंधा न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पंजाब, हरियाणा सहित पूरे नॉर्थ-ईस्ट में खूब चल रहा है। इस धंधे को दिल्ली से बड़ी ही आसानी से चलाया जा रहा था। नॉर्थ-ईस्ट में करीब तीन हजार बंधुआ मजदूर कार्य कर रहे हैं। इस धंधे को चलाने के लिए एक बड़ा रैकेट कार्य कर रहा है। असाम, त्रिपुरा सहित अन्य राज्यों से नाबालिगों को बड़ी आसानी से पहुंचाया जा रहा है, लेकिन अब इन बंधुआ मजदूरों को इससे छुटकारा दिलाने के लिए नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इराडिकेशन ऑफ बॉडेंड की ओर से विशेष अभियान चलाया गया है। ऊना में नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इराडिकेशन ऑफ बॉडेंड लेबर द्वारा हिमाचल के ऊना में 12 बंधुआ मजदूरों को छुड़वाया। इससे पहले दिल्ली से छह और हरियाणा से एक बंधुआ मजदूर को छुड़वाया गया। बाकायदा दिल्ली में ठेकेदार द्वारा चलाए जा रहे कार्यालय को भी सील कर दिया गया है। यह ठेकेदार इन बाहरी राज्यों से नाबालिग मजदूरों को बड़ी आसानी से लेकर आता है। बेहतर नौकरी देने का झांसा दिया जाता है, लेकिन यहां पर आने के बाद इन मजदूरों को हकीकत का पता चल पाता है। करीब तीन हजार बंधुआ मजदूरों को यहां पर पहुंचाया गया है, जिन्हें मालिकों के चुंगल से छुड़वाने के लिए कार्य किया जा रहा है। बाकायदा इस अभियान में संबधित प्रशासन की सहायता भी ली जाती है। इन मजूदरों को संबधित प्रशासन की ओर से मुक्ति प्रमाण पत्र भी दिए जाने का प्रावधान है। यहां से मुक्त होने के बाद इन मजदूरों को संबंधित राज्य के डिवीजन कमिश्नर के समक्ष पेश किया जाएगा। इसके बाद इन्हें तीन लाख रुपए के मुआवजे का भी प्रावधान किया गया है। वहीं, अंतरित राहत के तौर पर बीस-बीस हजार रुपए की राशि का भी प्रावधान है। एनसीसीईबीएल कन्वीनर निर्मला गौराना की मानें तो प्रशासन की ओर से ऊना में छुड़वाए गए बंधुआ मजदूरों को मुक्ति प्रमाण पत्र के साथ ही 20-20 हजार की अंतरित राहत देने का आश्वासन दिया गया है, लेकिन इसमें मुक्ति प्रमाण पत्र और अंतरिम राहत दिए जाने का प्रावधान भी है। उल्लेखनीय है कि बाल मजदूरी करवाना कानूनी जुर्म है, लेकिन उसके बावजूद भी होटलों, दुकानों के अलावा अन्य जगह पर बाल मजूदरी करवाई जा रही हैं। सरेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है, लेकिन इन पर कोई भी गौर नहीं की जा रही है। जबकि यदि इस तरह उचित कदम उठाए जाएं तो इस तरह के कई और मामले भी उजागर हो सकते हैं।

परिवार के खाते में ट्रांसफर की राशि

इन बंधुआ मजदूरों को विश्वास में लिए रखने के लिए ठेकेदार द्वारा इन्हें वेतन देने के बजाए एक बार कुछ एक के परिवार के खातों में राशि ट्रांसफर की, ताकि ये मजदूर अपना काम करते रहें, लेकिन उसके बाद इन मजदूरों को कोई पैसा मुहैया नहीं करवाया गया।


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