निमा रिपोंछे 14 सितंबर से समाधि में लीन

By: Sep 24th, 2017 12:05 am

रिकांगपिओ — बौद्ध धर्म के प्रमुख गुरु एवं 33वें मेनरी मठाधिकारी लुंतोग तनपई निमा रिपोंछे ने प्रदेश के  सोलन-सिरमौर सीमा पर स्थित दोलांजी मेनरी बौद्ध मौनेस्टी में निवारण प्राप्त किया। निमा रिपोंछे जी 14 सितंबर से समाधि अवस्था में हैं और दो अक्तूबर तक अनुयायी उनके दर्शन व अंतिम आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। दो अक्तूबर को उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा। इस बात की जानकारी दोलांजी बोन मौनेस्टी के डा. थुपतन ज्ञलछन नेगी ने दी। उन्होंने बताया कि 14 सितंबर को भारतीय समय के अनुसार शाम छह बजकर 25 मिनट पर 33वें धर्मगुरू ने निर्वाण प्राप्त किया। उसके बाद से अब तक वह समाधि अवस्था में हैं। उन्होंने बताया कि उनका शरीर अभी बिलकुल ठीक है। उन्होंने जानकारी दी कि श्री रिपोंछे जी वर्ष, 2015  से बीमार चल रहे थे। श्री नेगी ने बताया कि वर्ष 1959 में तिब्बत से शरणार्थी के रूप में भारत आए थे। उसके बाद उन्होंने उत्तर भारत के सोलन व सिरमौर सीमा पर स्थित दोलांजी में मेनरी गोंपा की स्थापना की। यहां पर तिब्बत स्थित बौद्ध धर्म के अध्ययन अध्यापन की परंपरा को आज तक सुचारू एवं यथावद रूप से बनाए रखा। लुंतोग तंपाई निमा रिपोंछे के निवारण प्राप्त करने की सूचना मिलते ही दोलांजी में उनके अनुयायी जमा हो रहे हैं। यहां रोजाना करीब 500 से अधिक लोग उनके अंतिम दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं।


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