विस चुनावों को कारोबारी ‘पकाएंगे’ सियासी खिचड़ी

By: Sep 9th, 2017 12:01 am

प्रदेश भर के व्यापारी बिलासपुर में कल मीटिंग कर बनाएंगे चुनावी खाका

बिलासपुर —  गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद हिमाचल प्रदेश के लगभग पांच लाख बीस हजार कारोबारी दुविधा में हैं। दूसरी तरफ कारोबारियों से बैरियरों पर एजीटी वसूल की जा रही है, जबकि मार्केट फीस वसूली से भी परेशानी में हैं। इस बाबत मंथन के लिए बिलासपुर के पूर्णम मॉल में 10 सितंबर को राज्य स्तरीय बैठक का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रदेशाध्यक्ष सुमेश शर्मा के साथ ही प्रदेश भर के सभी जिलों से अध्यक्ष व अन्य कार्यकारिणी के सदस्य जुटेंगे। बैठक के दौरान विधानसभा चुनाव के लिए व्यापारियों के स्टैंड पर चर्चा की जाएगी, तो वहीं, इसमें व्यापार कल्याण मंत्रालय बनाए जाने को लेकर भी आवाज उठेगी। व्यापार मंडल के प्रदेश सह संगठन मंत्री एवं बिलासपुर के उपाध्यक्ष तरुण टाडू बताते हैं कि प्रदेश स्तरीय इस बैठक में प्रत्येक जिला से व्यापारी हिस्सा लेंगे। इस बार चुनाव में व्यापारी समुदाय अहम भूमिका अदा करेगा। ऐसे में जो भी राजनीतिक दल व्यापारियों की चिरलंबित मांगों को अपने चुनाव घोषणा पत्र में शामिल कर उसे समयबद्ध लागू करवाने का वादा करेगा, व्यापारी समुदाय उस राजनीतिक दल को अपना समर्थन देगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 5 लाख 20 हजार व्यापारी परिवार हैं, जो कि प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से व्यापारी वर्ग से जुड़े हैं। दरअसल, व्यापारियों की मांगों के प्रति सरकारों का रुख सकारात्मक नहीं रहा है। उन्होंने बताया कि गैरपंजीकृत व्यापारियों से प्रदेश में भेदभाव किया जा रहा है।

व्यापारियों के लिए अलग मंत्रालय क्यों नहीं

व्यापारमंडल के प्रदेश सह संगठन मंत्री तरुण ने बताया कि प्रदेश में करीब 45 हजार छोटे बड़े उद्योग हैं। इनके लिए अलग से उद्योग मंत्रालय की स्थापना की गई है, लेकिन सवा पांच लाख व्यापारियों के लिए प्रदेश में कोई मंत्रालय नहीं है। व्यापारियों के लिए अलग से व्यापार कल्याण मंत्रालय बने, जिसमें व्यापारियों की समस्याओं, मांगों व मसलों को हल किया जाए।

व्यापार कल्याण कोष बनाने की मांग

प्रदेश में 11 सदस्यीय जीएसटी काउंसिल गठित करने की भी मांग रखी है, जिसमें छह सदस्य व्यापारी वर्ग से तथा पांच प्रतिनिधि अधिकारी वर्ग से शामिल हों। इसके अलावा व्यापारी कल्याण कोष की स्थापना करके व्यापारियों द्वारा दिए जाने वाले टैक्स का पांच प्रतिशत भाग व्यापारी कल्याण पर व्यय करने, व्यापारियों को सरकारी कर्मचारी की भांति पेंशन, मेडिकल व ईपीएफ  आदि प्रदान करने की मांग पर चर्चा की जाएगी।


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