संबंधों की नाव पर

By: Sep 3rd, 2017 12:14 am

आत्महत्या का आयोजन

newsयह घटना आधुनिकता के कारण युवाओं में घर कर रही हताशा तथा टूटन से रू-ब-रू कराती है और सबसे बड़ी बात यह कि उपभोक्तावाद के चरम प्रभाव से हमारा परिचय कराती है। शायद, हम नई दुनिया के एक ऐसे दौर में पहुंच चुके हैं, जहां पर मौत भी उपभोग की वस्तु बन चुकी है…

जिंदगी के हर दिन को उत्सव की तरह लेने के फलसफे से हम सभी परिचित हैं। मान्यता यह भी है कि आध्यात्मिक दृष्टि से संपन्न लोग अपनी मौत पर दुखी नहीं होते और उसे एक उत्सव की तरह लेते हैं। इन मान्यताओं के उलट ऐसा पहली बार हुआ है, जब जिंदगी से निराश दो लड़कियों ने अपनी मौत को अनोखे ढंग से सेलिब्रेट किया। घटना मध्यप्रदेश के इंदौर की है। यहां पर पति से अलग रह रही लड़की और उसकी सहेली ने एक साथ कोल्ड ड्रिंक्स में जहर मिलाकर पिया। केक काटकर सेलिब्रेट किया और आखिरी सेल्फी भी ली।  दोनों का अलग-अलग सुसाइड नोट भी मिला है। इसमें दोनों ने जिंदगी से परेशान होकर जान देने की बात लिखी है। एक युवती कॉल सेंटर और दूसरी कैटरिंग का काम करती थी। एक महीने से दोनों किराए के मकान में साथ रह रही थीं। दो दिन से कॉल सेंटर पर न जाने पर उसका साथी घर पहुंचा तो घटना का पता चला। पुलिस ने दरवाजा तोड़कर दोनों के शव निकाले और पोस्टमार्टम के लिए एमवाईएच भेजे।

पुलिस के मुताबिक, युवतियों के नाम रचना चौधरी और तन्वी वास्कले हैं। धार की रहने वाली रचना की उम्र 25 साल और बड़वानी के बामनिया की रहने वाली तन्वी की उम्र 24 साल थी। दोनों गुरुनगर में एक महीने से किराए के मकान में रह रही थीं। रचना एक कॉल सेंटर में और तन्वी कैटरिंग का काम करती थी। पहले दोनों कैटरिंग में साथ काम करती थीं। घटना स्थल पर पहुंचे पुलिस अधिकारी के अनुसार खुदकुशी से पहले दोनों ने मोबाइल फॉर्मेट कर दिए। उनके मोबाइल में सिर्फ दोनों की सेल्फी मिली है। खुदकुशी से पहले उन्होंने सेलिब्रेशन भी किया था। रचना भी पहले कैटरिंग कंपनी से जुड़ी थी, तभी उसकी तन्वी से दोस्ती हुई। बाद में वह कॉल सेंटर में काम करने लगी। रचना का छह साल का बेटा है, जो धार में नाना-नानी के साथ रहता है। परिवार में दो छोटे भाई हैं, एक आर्मी में है जो चाइना बॉर्डर पर पोस्टेड है। रचना का दूसरा भाई माता-पिता के साथ रहता है। पिता की किराने की दुकान है।

वहीं तन्वी के जीजा ने बताया कि वह परिवार से जॉब करने के लिए अलग रह रही थी। एएसपी मनोज राय के मुताबिक, माता-पिता के नाम लिखे दो पेज के सुसाइड नोट में रचना ने लिखा है कि वह अपनी मौत की जिम्मेदार खुद है। जिंदगी से तंग आकर यह कदम उठा रही है। पति अशोक के बारे में माता-पिता को लिखा है कि मेरे मरने के बाद शव आप ले जाना और मेरा एक सुहागिन की तरह अंतिम संस्कार मत करना, सिर्फ  बेटी की तरह करना। पति अशोक को मेरा शव मत देना। मैं उसके साथ नहीं रहना चाहती हूं, नफरत करती हूं। बेटे युग को अपने साथ रखकर माता-पिता जैसा प्यार देना। तन्वी ने एक पेज का सुसाइड नोट दीदी और जीजा को संबोधित करते हुए लिखा है कि मैं अपनी जिंदगी से तंग आ चुकी हूं, इसलिए जान दे रही हूं। मेरी मौत के बाद परिवार वालों को परेशान न किया जाए।

यह घटना समाज में आ रहे बदलावों की तरफ संकेत करती है, वर्चुअल दुनिया के प्रति बढ़ते आकर्षण को जताती है, जीवन में मोबाइल की बढ़ती घुसपैठ के बारे में बताती है। आधुनिकता के कारण युवाओं में घर कर रही हताशा तथा टूटन से रू-ब-रू कराती है और सबसे बड़ी बात यह कि उपभोक्तावाद के चरम प्रभाव से हमारा परिचय कराती है। शायद, हम नई दुनिया के एक ऐसे दौर में पहुंच चुके हैं, जहां पर मौत भी उपभोग की वस्तु बन चुकी है। मौत का सेलिब्रेशन तो एक ऐसी मानसिकता में ही संभव है।

                -डा.जयप्रकाश सिंह


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