सोशल सिग्नल

By: Sep 14th, 2017 12:01 am

क्या पता सरकार रहे, न रहे

अमूमन चुनाव आचार संहिता लगने से पहले सभी लोग सक्रिय हो जाते हैं। खासकर सरकारी अदारे के कर्मचारी, जिन्हें चुनाव पूर्व अपनी एडजस्टमेंट करवानी होती है। ऐसे लोग अब सक्रिय हो गए हैं, जो सुबह से सचिवालय के गलियारों के साथ विभागीय मुख्यालयों में नजर आते हैं और शाम को स्कैंडल प्वाइंट पर। स्कैंडल प्वाइंट पर इनकी हाजिरी उन नेताओं के साथ रहती है, जिनसे वे अपने काम करवा रहे हैं। आचार संहिता लगने वाली है और इससे पहले-पहले मनपसंद जगह पर एडजस्टमेंट होनी जरूरी है, क्योंकि न जाने फिर यह सरकार रहे न रहे। लोगों में इसकी आम चर्चा है और एक अलग से माहौल बना हुआ है, क्योंकि यहां पर हर पांच साल के बाद राजनीतिक बदलाव होता है, जिससे हर कोई वाकिफ भी है। इसी से भयभीत लोग एडजस्टमेंट में लगे हैं, ताकि अगली आने वाली सरकार कम से कम तीन साल तक तो हिला नहीं सकेगी। इसके लिए विधायक भी सक्रिय हैं, जिनको अपना वोट बैंक देखना है, जो अपनी सिफारिशें लगातार यहां विभागीय मुख्यालयों को भेज रहे हैं। फिलहाल अफसरशाही अब इसी काम में मशगूल हो गई है, जिन्होंने अभी इसके बारे में नहीं सोचा है, शायद वे भी अब अपनी एडजस्टमेंट के लिए भाग दौड़ शुरू कर ही देंगे और जल्द ही स्कैंडल प्वाइंट पर दिखेंगे। स्कैंडल प्वाइंट की ये भीड़ अब चुनाव तक कम होने वाली नहीं।


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