हिमाचली खेलों के द्रोणाचार्य

By: Sep 8th, 2017 12:02 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

भूपिंदर सिंहशारीरिक शिक्षा के शिक्षकों से अपेक्षा की जाती है कि वे भी हिमाचल की खेलों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम में योगदान दें, ताकि राज्य की खेलों को उत्कृष्ट स्थान मिल सके। प्रदेश का गौरव बढ़े, इसके लिए शिक्षा संस्थानों के प्रमुख अपने संस्थान में खेल प्रशिक्षण के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करें…

हिमाचल प्रदेश में खेलों के उत्थान के लिए माहौल 1982 में आयोजित एशियाई खेलों के बाद ही बन पाया था, मगर उससे पहले भी प्रदेश में खेलों के प्रशिक्षण तथा प्रतिभा खोज के लिए राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान, पटियाला के माध्यम से कुछ खेलों के चुनिंदा खेल प्रशिक्षक मिले थे। पंजाब से टूट कर जब नया-पुराना हिमाचल एक हुआ, तो उसके बाद हमें वहां से भी खेल प्रशिक्षक मिले जो शिक्षा विभाग के अधीन कार्य कर रहे थे। उन्हीं प्रशिक्षकों के साथ 1982 के बाद हिमाचल प्रदेश युवा सेवाएं एवं खेल विभाग की शुरुआत की गई थी। राज्य के पहले एथलेटिक्स प्रशिक्षक टीएल वैद्य ही पहले प्रशिक्षक थे, जो खेल अधिकारी बने। सुरेश पठानिया भी एथलेटिक्स प्रशिक्षक थे, आगे चलकर हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के विद्यार्थी कल्याण अधिकारी भी बने। इस एथलेटिक्स प्रशिक्षक ने राज्य में कई खेल संघों का गठन किया। राज्य में प्रशिक्षण कार्यक्रम को योजना के अनुसार आगे ले जाने में  डा. पदम सिंह गुलेरिया का योगदान अहम माना जाएगा। राज्य एथलेटिक्स संघ का गठन कर उसके प्रथम सचिव के रूप में कार्य करते हुए महाराणा लक्ष्मण सेन महाविद्यालय के मैदान को ट्रैक का रूप देकर वहां पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाकर सुमन रावत जैसी प्रतिभाओं को वह सामने लाए।

वालीबाल में हिमाचल प्रदेश के प्रशिक्षकों तथा शारीरिक शिक्षा के शिक्षकों ने प्रशिक्षण कार्य किया, मगर साई खेल छात्रावास, बिलासपुर के तत्कालीन प्रशिक्षक स्वर्गीय एनआर शर्मा ने कई युवाओं को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं तक पहुंचाया। वालीबाल प्रशिक्षक विद्या सागर ने भी खेल प्रशिक्षण में बहुत अच्छा कार्य किया है। बास्केटबाल में जन्म चंद कटोच का योगदान कोई नहीं भुला सकता है। स्वर्गीय मनोज (मनू) ने भी वर्षों तक बास्केटबाल प्रशिक्षण में कार्य किया है। हाकी में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पूर्व हाकी प्रशिक्षक स्वर्गीय चमन गुप्ता ने भी बहुत अच्छे खिलाड़ी निकाले थे। उनके समय में ही अशोक शर्मा पूर्व साई हाकी प्रशिक्षक का कार्य भी बहुत अच्छा रहा। कबड्डी में जहां ठाकुर रामलाल व ठाकुर नंद लाल ने बहुत ही उत्तम प्रबंधन किया, वहीं पर दया राम चौधरी का प्रशिक्षण भी हिमाचल को एक नींव डालने के लिए याद किया जाएगा। पिछले एक दशक से भी अधिक समय से साई प्रशिक्षक मेहर चंद वर्मा का प्रशिक्षण काबिलेतारीफ रहा है। साई प्रशिक्षक जयपाल चंदेल के प्रशिक्षण में भी राज्य को अच्छे खिलाड़ी मिले हैं। राज्य खेल छात्रावास बिलासपुर के अपने कार्यकाल में रत्न ठाकुर ने भी अच्छे खेल परिणाम दिए हैं। स्वर्गीय दौलत ठाकुर ने भी कनिष्ठ स्तर पर बहुत अच्छा प्रशिक्षण कार्य किया है। मुक्केबाजी में जहां राजेश भंडारी का खेल प्रबंधन आज भी चमक रहा है, वहीं पर रमेश चौहान ने अच्छा प्रशिक्षण कार्य किया था।

आज सुंदरनगर में नरेश कुमार का प्रशिक्षण कार्यक्रम पिछले दो दशकों से चल रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर तक दस्तक दे रहा है। शिमला में अनुराग भी अच्छे प्रशिक्षक हैं। अनुराग राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविरों में भी कार्य कर चुके हैं। राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर में दो दशक पूर्व जूडो प्रशिक्षक कुलदीप शर्मा ने भी अच्छा प्रशिक्षण कार्य किया है। उसी समय से लेकर 2014 तक हमीरपुर राष्ट्रीय स्तर पर एथलेटिक्स में लगातार कहीं न कहीं पदक जीतता रहा है। इस समय साई खेल छात्रावास धर्मशाला में प्रशिक्षक  केहर सिंह अच्छा प्रशिक्षण कार्य कर रहे हैं। उनके कई टे्रनी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत रही हैं। जोगिंद्रनगर में राज्य प्रशिक्षक गोपाल ठाकुर भी एथलेटिक्स में अच्छा कार्य कर रहा है। भारोत्तोलन में पप्पी खान अच्छी मेहनत कर रहा है। कोर्फबाल में बंसी राम सुमन ने राज्य के कई पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। नेटबाल में अशोक आनंद अच्छे प्रयास कर रहा है। हाकी में माजरा खेल छात्रावास के प्रशिक्षक का कार्य भी तारीफ के काबिल है। वहां से भी हिमाचल को राष्ट्रीय स्तर पर पदक मिलते रहते हैं।  हैंडबाल में स्नेहलता के प्रशिक्षण केंद्र से कई लड़कियां हिमाचल का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन कर चुकी हैं। कुश्ती में जोनी चौधरी ने प्रशिक्षण कार्य शुरू किया है। देखते हैं भविष्य में उसके कैसे परिणाम रहते हैं। राज्य के कई दर्जन प्रशिक्षकों तथा सैकड़ों शारीरिक शिक्षा के शिक्षकों से अपेक्षा की जाती है कि वे भी हिमाचल की खेलों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम में योगदान दें, ताकि राज्य की खेलों को उत्कृष्ट स्थान मिल सके। प्रदेश का गौरव बढ़े, इसक लिए शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों से भी आशा की जाती है कि वे अपने संस्थान में खेल प्रशिक्षण के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करें।

ई-मेल : penaltycorner007@rediffmail.com


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