हिसाब मांगे हिमाचल

By: Sep 13th, 2017 12:02 am

अपने बौद्धिक कौशल के कारण भाजपा जहां पहुंच रही है, वहां विचारों की जंग जीतना कांग्रेस के लिए कठिन है। कम से कम भाजपा जैसी विचारधारा के खिलाफ हिमाचल कांग्रेस का संगठन दिखाई नहीं दे रहा। अपने मुद्दों के फलक पर भाजपा ने जो शृंखलाएं गठित की हैं, उनमें से ‘हिसाब मांगे हिमाचल’ सीधे प्रश्न पूछ रही है। यह हिमाचल कांग्रेस को तय करना है कि इसका जवाब पार्टी को देना है या सरकार सीधे आगे आएगी। विडंबना भी यही है कि भाजपा के सामने बिखरी कांग्रेस खुद को बटोर नहीं पा रही। करीब एक हफ्ते में चार मंचों के जरिए मीडिया उल्लेख बदलने की सामग्री अगर भाजपा ने तैयार कर ली है, तो कांग्रेस के सतही प्रयास भी समतल के बजाय अपने वजूद की ढलान पर खड़े हैं। बीस सितंबर तक चलने वाले इस खास अभियान की पहली कड़ी में शिमला की मचान पर संबित पात्रा ने भाजपा की रणनीति का एक तरह से खुलासा कर दिया। जाहिर है हिमाचल से कांग्रेसी सत्ता को खदेड़ने के लिए वीरभद्र सिंह के आचरण पर सीधा प्रहार शुरू हुआ है और इन्हीं मुद्दों की गवाही में चुनावी मुकाबला होगा। पिछली बार मिशन रिपीट में गच्चा खा चुकी भाजपा के लिए कांग्रेस के मायने अगर वीरभद्र सिंह हैं, तो इस हकीकत के सामने राजनीति की हर करवट परखी जाएगी। भाजपा को यह भी स्वीकार करना पड़ेगा कि आज जहां पार्टी खड़ी है, वहां पांच साल शिद्दत से पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल बनाम वीरभद्र सिंह के बीच मुकाबला हुआ है। इन पांच सालों में भाजपा के मायने भी धूमल तक ही पढ़े गए, तो अब पार्टी को उनकी स्थिति में विरोध के मंजर को अभिव्यक्त करना होगा। आश्चर्य यह कि भाजपा के सूत्रधार अपना काम कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस बगलें झांक रही है। ‘हिसाब मांगे हिमाचल’ की तैयारी में भुनाए जा रहे मुद्दों की अपनी कलाकारी है और प्रहार की बेबाकी में केंद्रीय नेताओं का अनुभव गूंज रहा है। शिमला से धर्मशाला तक फैली चार प्रेस वार्ताएं, सरकार के पांच सालों को कुरेद रही हैं। इस दौरान हिमाचल सरकार की चुनावी नब्ज को टटोलते हुए विरोधी पक्ष ने अपने हुनर की पराकाष्ठा में अपने जनरल सामने उतारे हैं। कहना न होगा कि वीरभद्र सिंह सरकार ने अपनी कार्यकुशलता को विकास का माझी बनाते हुए, कुछ असंभव, कुछ अत्यावश्यक व कुछ अनावश्यक फैसले लिए हैं। कई वर्गों, विसंगतियों और भविष्य को रेखांकित करते उद्देश्यों पर अगर हिमाचल मंत्रिमंडल ने कलम चलाई, तो अब भाजपा उन्हें कलम करने की जुबानी जंग लड़ रही है। भाजपा किसी क्रिकेट मैच की तरह अपनी गेंदबाजी व बल्लेबाजी का प्रदर्शन कर रही है। अपनी फील्डिंग का कमाल दिखाते हुए, हर मौसम व हवा के अनुरूप अब जो मुद्दे उछलेंगे, वे जालिम हैं और जाल भी। भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के अलावा विभिन्न वर्गों को संबोधित करने की दक्षता में भाजपा ने हिमाचल सरकार के लिए अपने कठघरे स्थापित किए। प्रचार के सधे हुए शब्द जब चुनाव के सजे हुए मंच पर माइक संभालते हैं, तो रणभूमि का यह अंदाज भी खूब है। अपनी ही कार्यशाला में घसीट कर मुद्दों पर सवार होना अगर कला है, तो कांग्रेस भी इस अंदाज को ग्रहण करे। कल परिणाम जो भी हो, भाजपा की कोशिश है कि चुनाव प्रचार उसके मन मुताबिक चले और इसलिए पार्टी अपने कौशल से वीरभद्र सिंह सरकार की जवाबदेही तय कर रही है। भाजपा की चुनावी कसरतों से यह भी साबित हो रहा है कि जब पार्टी कांग्रेस के तालाब को गंदा बता रही है, तो यह भी एहतियात बरत रही है कि इसके छींटे किसी तरह उसके ही दामन पर आकर न गिरें। सरकार से हिसाब मांगते हुए भाजपा ने अपना पहला पात्र, संबित पात्रा को चुना है, तो इस तरह आगामी कडि़यों की रूपरेखा में कई केंद्रीय नेता मीडिया संबोधन के अर्थ बताएंगे। हिसाब मांगती हुई भाजपा कितना आगे तक हिमाचल को छू पाती है और आलोचना के इस दस्तूर को कितना सुर्ख कर पाती है, इससे चुनावी गर्मी का अंदाजा तो लग ही जाएगा?


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App