13 साल तक गुफा में पढ़ाए बच्चे… पर भूल गई सरकार

By: Sep 5th, 2017 12:07 am

newsकुल्लू – जिन्होंने शिक्षा की कसौटी पर खरा उतरकर बच्चों के हुनर को तराशा और अपना वर्चस्व बच्चों के भविष्य को संवारने में लगा दिया, उन्हें सरकार से मिलने वाले सम्मान से कोई सरोकार नहीं है, लेकिन कारगुजारी करने वाले ऐसे शिक्षकों को सरकार की ओर से अधिमान दिया जा रहा है, जो स्वयं ही आवेदन कर अपने लिए सम्मान देने की अनुशंशा करते हैं। उन्हें सरकार और शिक्षा विभाग की ओर से नवाजा जा रहा है। ऐसा ही कुल्लू जिला में भी देखने को मिल रहा है। सरकार और विभाग की ओर से शिक्षकों को शिक्षक दिवस पर सम्मान देने की घोषणा की गई है और मजेदार बात यह है कि सरकार और विभाग की ओर से इस सम्मान पाने के लिए शिक्षकों को एक परफार्मा थमाया जाता है, जिसमें शिक्षक स्वयं ही अपने लिए  सम्मान देने की अनुशंशा करने का प्रावधान किया गया है, लेकिन इस सम्मान को पाने के लिए कई कारगुजारी करने वाले अध्यापकों ने भी आवेदन किया है। वास्तव में जो धरातल पर शिक्षा के लिए कार्य कर रहे हैं वे इस सम्मान को गुरेज कर रहे हैं।

समीक्षा के बाद दिया जाना चाहिए सम्मान

जिला कुल्लू के शिक्षाविद्दों का कहना है कि आज के इस दौर  हैं। सरकार और शिक्षा विभाग को जिसे सम्मान दिया जाना है, उस पर समीक्षा की जानी चाहिए।

शिक्षक रहते हुए यह रहा योगदान

 स्वयं गुफा तलाशी, उसमें बच्चों को पढ़ाया

 रास्ते, पेड़ों के नीचे भी दी बच्चों को शिक्षा

 गुफा में बच्चों के साथ बिताई रातें, उन्हें अक्षर ज्ञान बांटा

 स्कूल के बाद प्रौढ़ शिक्षा के माध्य से लोगों को भी पढ़ाया

गुफा में दी शिक्षा  पर सम्मान नहीं

सर्वशिक्षा अभियान के दौरान सुर्खियों में रहे प्रदेश के सबसे दुर्गम क्षेत्र जिला कुल्लू के शाक्टी में 13 साल अपनी कठिन परिस्थितियों के बीच बच्चों को पठन-पाठन करवाने वाले अध्यापक हरिदत्त शर्मा कुछ माह पहले सेवानिवृत्त भी हुए, लेकिन उन्हें सरकार और शिक्षा महकमा सम्मानित नहीं कर पाए हैं। सरकार और विभाग ने इन अध्यापकों ने क्यों अनदेखी की यह बड़ा प्रश्न है। 17 मई, 1988 में प्राथमिक स्कूल में अध्यापक लगे हरिदत्त शर्मा 31 मई, 2017 को सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने पूरे 13 साल शाक्टी में गुफा में बच्चों को पढ़ाया। सुबह-शाम बच्चों को ज्ञान बांटते रहे। यही नहीं, बच्चों को सुबह-शाम की खाद्य सामग्री भी अपने खर्चे पर परोसते थे। पेड़ों की छांव और रास्ते पर भी बच्चों को पढ़ाया है। खुद भी घर नहीं आते थे और जिस गुफा में पढ़ाते थे, उसी गुफा में बच्चों के साथ रहते थे और बच्चों को पढ़ाई में काफी आगे ले गए। बच्चों को अक्षर ज्ञान बांटने के लिए कई कठिनाइयों के दौर से भी गुजरे, लेकिन नहीं हारे। प्रदेश के सबसे दुर्गम गांव शाक्टी में शिक्षा की लौ जगाने वाले अध्यापक हरिदत्त शर्मा को सरकार सेवानिवृत्त होने तक सम्मान नहीं दे पाई है। हरिदत्त शर्मा का कहना है कि सरकार और शिक्षा विभाग की ओर से उन्हें इनाम नहीं मिला है, लेकिन आज के दौर में उन अध्यापकों को नवाजा जा रहा है, जो सम्मान के काबिल नहीं होते हैं। उनके स्कूलों में शिक्षा का ढांचा काफी खराब रहता है।

देव सदन में मनाएंगे टीचर-डे

कुल्लू – टीचर वेलफेयर एंड टीचर होम कमेटी कुल्लू देवसदन में टीचर-डे पर कार्यक्रम आयोजन कर रही है। सम्मेलन में उपायुक्त कुल्लू यूनुस बतौर मुख्यातिथि के रूप में शिरकत करेंगे। वहीं, पूर्व मंत्री सत्य प्रकाश ठाकुर, एनगर परिषद कुल्लू के उपाध्यक्ष गोपालकृष्ण महंत विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे।

सम्मान को क्यों करें आवेदन

newsजिस शिक्षिका ने पढ़ाई के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम में कुल्लू के सुल्तानपुर स्कूल की छात्राओं को दिल्ली के श्रीफोर्ट स्टेडियम में हिमाचल का प्रतिनिधित्व करते हुए राष्ट्रीय स्तरीय कला उत्सव में पहुंचा दिया और छात्राओं ने शिक्षिका के कदमों पर चलकर उत्सव में सेकेंड स्थान हासिल कर हिमाचल नहीं शिक्षा विभाग और कुल्लू जिला का नाम रोशन किया, आज सरकार और शिक्षा विभाग उसी अध्यापिका की अनदेखी कर रही है। आजतक शिक्षा विभाग और सरकार ने उन्हें सम्मानित करने तक की नहीं सोची। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल (कन्या) सुल्तानपुर स्कूल में बतौर संगीत विषय की शिक्षिका रेणुका शर्मा का कहना है कि वह खुद सम्मान पाने के लिए अप्लाई नहीं करूंगी। उनका कहना है कि अगर वह खुद सम्मान को अप्लाई कर रही हैं तो मेरा सम्मान लेने का क्या फायदा। उनका कहना है कि 20 के करीब साल उनको सरकारी स्कूल में सेवाएं देते हो गए हैं। आज के दौर में जिन्हें सम्मान प्राप्त हो रहा है वे अप्लाई करने पर हो रहा है। मुझे ऐसा सम्मान नहीं चाहिए। उनका कहना है कि उनके स्कूल की छात्राएं जो दिल्ली से राष्ट्रीय कला उत्सव में देशभर में दूसरा प्राइज हासिल किया था, उनके लिए यह बड़ा सम्मान है।

यह है शिक्षिका का योगदान

 छात्राओं का परिणाम बेहतरीन

 सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिमाचल को दिलाया सेकेंड स्थान

 गांव-गांव कुल्लू की नाटियों की बारीकियां सीख सिखाई छात्राएं

 शिक्षिका की पढ़ाई छात्रा पायल ठाकुर जीटीवी में कर रही परफार्मेंस


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