मतदाता से तालमेल नहीं तो रुक जाएगी सियासत

By: Sep 21st, 2017 12:04 am

वर्तमान राजनीति पर विधायक सुरेश भारद्वाज की राय

newsशिमला— मौजूदा दौर में सियासत कांटों भरा सफर है, मगर जनसेवा के लिए जुड़े लोगों को पहले भी वही करना होता था और आज भी वही। बदलते दौर में कई तरह से राजनीति के मायने बदल चुके हैं और फर्क सिर्फ मतदाताओं की जागरूकता से हुआ है। आज वह दौर नहीं जब मतदाता अपने मत के लिए जागरूक नहीं होते थे, आज के दौर में हर एक मतदाता को अपने मत के अधिकार का पता है। लिहाजा वे अपने प्रतिनिधि से जवाब भी चाहता है, जो देना ही पड़ेगा। यह कहना है प्रदेश में भाजपा के फाउंडर सदस्य सुरेश भारद्वाज का, जो कि तीन दफा विधायक रह चुके हैं। छह अप्रैल 1980 को भाजपा की स्थापना से पहले सुरेश भारद्वाज जनसंघ से भी जुड़े रहे। जब उनसे मुश्किल भरी सियासत के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि आज के दौर में राजनीति करना मुश्किल हो चुका है, लेकिन फिर भी जनसेवा के लिए वह समर्पित हैं। आज हर एक के दुख-सुख में साथ खड़े रहना पड़ता है, जितना संभव हो उतना निजी काम भी करवाना पड़ता है। कुल मिलाकर मतदाताओं के साथ तालमेल बिठाना बेहद जरूरी है, वरना  सियासत आगे नहीं बढ़ सकती। सुरेश भारद्वाज का कहना है कि सियासत का पुराना दौर अब बिलकुल भी नहीं है। पहले अपने विधायक तक कोई नहीं पहुंच पाता था, मगर आज खुद विधायक को सुलभ बना दिया गया है। आज की राजनीति में प्रत्येक मतदाता को पर्सनल अटेंशन देनी पड़ती है, क्योंकि सभी लोग जागरूक हैं और किसी तरह से अपना काम करवाना है, यह सभी को पता है। सुरेश भारद्वाज कहते हैं कि जनप्रतिनिधि के लिए जरूरी है कि वह जनता के हर सुख-दुख में शामिल हो, नहीं तो राजनीति में ठहराव भी आ सकता है। आज जनता की उम्मीदें बदली हैं। मतदाता अपने नेता से हर क्षेत्र मदद की इच्छा रखता है। चाहे वह फिर कोई निर्माण कार्य हो या नौकरी में सिफारिश, वोटर को अपने नेता से काम पूरा होने की पूरी आस होती है।

वोटर को जागरूक होना चहिए

विधायक सुरेश भारद्वाज का कहना है कि वोटर को जागरूक होना चाहिए। किस नेता ने क्या काम किया है और जनता से कितना जुड़ा रहा है, सब ध्यान में रखना चाहिए। जो नेता ईमानदारी और सच्चाई के रास्ते पर चलता है, उसके लिए सियासत आसान होती जाती है।

वोट बैंक की कठिनाइयां

किसी का काम न करवाएं या उसे सही तरह से न समझाया जाए तो इससे वोट बैंक भी प्रभावित होता है। जनप्रतिनिधि के लिए जरूरी है कि उनके सुख-दुख में शामिल रहे, वरना वोट बैंक गड़बड़ा जाता है।

जनसेवा को अधिमान सर्वोपरि

पुराने जमाने में विधायक का काम कानून बनाना, अच्छी नीतियां बनाना, बेहतर सरकार देना और गलत नीतियों पर अंकुश लगाना या ऐसे कार्यों पर नजर रखना था। आज जनता की उम्मीदें बदली हैं, जिसके मुताबिक राजनीतिज्ञों को भी उनकी उम्मीदों के अनुरूप काम करने की जरूरत है। राजनीति में जनसेवा को अधिमान देना चाहिए।

ओवरआल परफार्मेंस देखे वोटर

वोटर जागरूक हो और विधायक की ओवरआल परफार्मेंस को देखे। यह पता होना चाहिए कि विधानसभा में विधायक किस तरह के मुद्दों को उठाता है। व्यक्तिगत सोच से ऊपर उठकर भी मतदाता को देखना चाहिए कि सोसायटी के लिए विधायक क्या डिलीवर कर रहा है।


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