आंखों से रोशन दुनिया

By: Oct 12th, 2017 12:05 am

(अरुण कुमार कैहरबा, करनाल )

सभी जीवों में मानव जन्म को दुर्लभ बताया गया है। मानव शरीर की संरचना अनोखी है, जिसके अंग किसी फैक्टरी में नहीं बन सकते। शरीर का हर एक अंग अपनी खास अहमियत रखता है। इनमें से आंखें वह झरोखा हैं, जिनके जरिए हम दुनिया देखते हैं। नवजात बच्चा दृष्टि के द्वारा अपने आसपास के परिवेश से रिश्ता बनाता है। किसी भी दृष्टिवान व्यक्ति से यदि कह दिया जाए कि उसे एक दिन आंखों पर पट्टी बांध कर काम करना है, तो यह उसके लिए शायद असहनीय हो जाएगा। लेकिन ऐसी बहुत बड़ी आबादी है, जो कि दृष्टिबाधा से पीडि़त है या फिर दृष्टिहीनता की शिकार है। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति तब पैदा होती है, जब बहुत सी दृष्टिबाधाओं की रोकथाम हो सकती है, परंतु ऐसा हो नहीं रहा है। दृष्टिदोष से दृष्टिबाधाएं होती हुई दृष्टिहीनता की ओर कदम बढ़ा रही हैं। हम क्षमता रखते हुए इन बढ़ते कदमों को रोक नहीं रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार दुनिया में 28 करोड़ 50 लाख लोग दृष्टिबाधा का शिकार हैं। इनमें से करीब चार करोड़ दृष्टिहीन और बाकी आंशिक रूप से दृष्टिवान हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हर वर्ष अक्तूबर महीने के दूसरे गुरुवार को विश्व दृष्टि दिवस घोषित किया है। यह दिन मिलकर संकल्प करने और दृष्टि बचाने के लिए व्यापक दृष्टि विकसित करने का दिन है। आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने व खतरों से बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं है, बल्कि नागरिक समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। आओ दुनिया को और अधिक रोशन करने के लिए आंखों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाएं।


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