कुरुक्षेत्र आएंगे राष्ट्रपति कोविंद

By: Oct 10th, 2017 12:02 am

25 नवंबर को श्रीकृष्ण की कर्मभूमि में अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव का करेंगे शुभारंभ

चंडीगढ़    —  अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव 2017 का आगाज करने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद स्वयं श्रीकृष्ण की कर्मभूमि कुरुक्षेत्र में पहुंचेंगे। इस महोत्सव के लम्हों को यादागार बनाने के लिए मारिशस के लोक कलाकार अपनी कला और संस्कृति को प्रस्तुत करेंगे। इतना ही नहीं मारिशस के पूर्व प्रधानमंत्री सर अनिरुद्ध जगन्नाथ भी इस महोत्सव की शोभा बढ़ाने के लिए पहुंच रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव 2017 के मुख्य कार्यक्रम 25 से 30 नवंबर तक होंगे। इस वर्ष मुख्य कार्यक्रमों में एक दिन का इजाफा किया गया है। इस महोत्सव का शिल्प मेला 17 नवंबर से तीन दिसंबर तक जारी रहेगा। विधायक सुभाष सुधा, जो कुरुक्षेत्र शहर की समाज सेवी एवं धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों की एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने राज्यपाल के सचिव एवं केडीबी के सदस्य सचिव डा. अमित अग्रवाल, उपायुक्त सुमेधा कटारिया व केडीबी के मानद सचिव अशोक सुखीजा ने समाजसेवी एवं धार्मिक संस्थाओं के साथ अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव 2017 के कार्यक्रमों को साझा किया और प्रतिनिधियों से संस्थाओं की तरफ  से कुछ नया करने की अपील भी की है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव-2017 के मुख्य कार्यक्रमों यानी महोत्सव का आगाज 25 नवंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे। इसके लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी मिल चुकी हैं। इस कार्यक्रम में मारिशस के पूर्व प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ भी पहुंचेंगे। इस महोत्सव के उद्घाटन सत्र को चार चांद लगाने के लिए मारिशस से कलाकारों का एक दल पहुंचेगा और इस महोत्सव में देशों के रूप में मारिशस को थीम देश के रूप में रखा गया है। इस देश के कलाकार मारिशस की कला और संस्कृति को पर्यटकों के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। विधायक ने कहा कि इस महोत्सव में ब्रह्मसरोवर की सायंकालीन आरती में एक दिन धार्मिक संस्थाएं, एक दिन व्यवसायिक संस्थाएं, एक दिन महिला संस्थाएं और एक दिन पंचायती राज संस्था के अलावा रोजाना अलग-अलग संस्थाओं के लोगों को बुलाया जाएगा, ताकि आरती में सभी शामिल हो सकें।

 पोलीथीन पर रहेगा प्रतिबंध

राज्यपाल के सचिव डा. अमित अग्रवाल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव-2017 में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष फोकस किया जाएगा। इसलिए ब्रह्मसरोवर के आसपास पोलीथीन और थर्मोकॉल के इस्तेमाल पर पूर्णतः प्रतिबंध रहेगा। सभी संस्थाओं से अपील की गई है कि लंगर, पीने के पानी और भंडारों में अन्य व्यवस्थाओं में पोलीथीन का प्रयोग न करें।


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