खेल नीति स्पष्ट करें राजनीतिक दल

By: Oct 27th, 2017 12:04 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

खेल राज्य सूची का विषय होने के कारण यह राज्य सरकार का कार्य हो जाता है कि राज्य में अच्छी खेल नीति हो, जिससे खिलाडि़यों को सुविधाओं के साथ-साथ अच्छे प्रशिक्षक भी मिलें। हिमाचल के खेल प्रेमियों तथा खिलाडि़यों को राजनीतिक दलों से अपेक्षा रहेगी कि वे अपनी खेल नीति पर भी कुछ बोलें…

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव अगले महीने नौ नवंबर को होने जा रहे हैं। सभी दल अपने-अपने चुनावी घोषणा पत्र में प्रदेश के उत्थान तथा जनकल्याण के मुद्दों को जगह देकर अपनी-अपनी दावेदारी पेश करेंगे। संक्षेप में कहें तो यह उनका विजन डाक्यूमेंट होता है। हिमाचल प्रदेश की संतानें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओलंपिक जैसे सबसे बड़े विश्व खेल मेले में अपनी हाजिरी पदक के साथ लगाने में कामयाब हो चुकी हैं, मगर उनके प्रशिक्षण में राज्य का कोई योगदान नहीं रहा है। केंद्रीय विभागों या दूसरे राज्यों के यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर वे ऊंचाई हासिल कर पाए हैं।

हिमाचल में खेल सुविधाओं व संस्कृति के अभाव में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतना भी कठिन है। भारतीय जनता पार्टी ने अपने दल में जरूर खेल प्रकोष्ठ बना रखा है। हिमाचल प्रदेश के ऊपर पिछले कुछ दशकों से भाजपा व कांग्रेस अदला-बदली में सरकारें बनाती आ रही हैं और उपलब्धियों के मामले में दोनों का खास योगदान रहा है। राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में प्रदेश कई मापदंडों पर अगर दूसरे राज्यों से आगे खड़ा है, तो इसमें राजनीतिक योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बेशक राजनीति कई खामियों से भी ग्रस्त रही, लेकिन वह तो इस तस्वीर का महज एक पक्ष है। ऐसे में समग्र रूप से राजनीति के अपने खूबियां व दोष रहे हैं। हिमाचल में खेलों के लिए बहुत अच्छा जलवायु है। यहां पर खेलों के उत्थान के लिए उचित योजनाएं बनाकर प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने की दरकार है। इससे जहां खेल पर्यटन के माध्यम से राज्य को रोजगार के अवसर मिलेंगे, वहीं हिमाचली युवाओं व किशारों के लिए खेल क्षेत्र में आगे आकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक का सफर हिमाचल में ही अभ्यास कर पूरा करने का मौका मिलेगा। राज्य में वैसे तो आज साई व प्रदेश खेल विभाग के दो-दो खेल छात्रावास हैं। राज्य के आधा दर्जन स्कूलों में शिक्षा विभाग के खेल छात्रावास खेल विशेष के लिए चल रहे हैं। मगर इन खेल छात्रावासों से उस तरह के परिणाम नहीं आ रहे हैं, जैसे अपेक्षित थे। इसलिए राज्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी पैदा करने के लिए दो विशेष खेल छात्रावास होने चाहिएं। यहां 20 वर्ष की उम्र के बाद जो खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, उसका प्रशिक्षण कार्यक्रम अगले कई वर्षों तक चल सके। यह प्रशिक्षण तब तक दिया जाए, जब तक वह एशियाई या ओलंपिक खेलों में पदक नहीं जीत लेता।

साई ने देश में कुछ एक्सीलेंसी कोचिंग सेंटर चलाए हैं। यहां राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाडि़यों को उत्तम सुविधाएं दी जाती हैं। ऐसे ही दो उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले छात्रावासों की जरूरत हिमाचल में है। हरियाणा अपने यहां हर जिला में तीन करोड़ की लागत से खेल छात्रावास बना रहा है। इसके अलावा हर जिला मुख्यालय पर एक सिथेंटिक ट्रैक बिछवाने के लिए 12 करोड़ का प्रावधान भी है। पंजाब ने राज्य खेल संस्थान बनाकर खिलाडि़यों को उच्च कोटि की सुविधा तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षकों से प्रशिक्षण कार्यक्रम दिलाकर कनिष्ठ स्तर पर बहुत अच्छे परिणाम विश्व जूनियर हाकी में दिए हैं। अन्य खेलों में भी उनके कई खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश व तेलगांना आदि राज्यों में खेलों के लिए संपूर्ण योजना बनाकर कार्य शुरू कर दिया है। इस कॉलम के माध्यम से कई बार इस विषय पर लिखा जा चुका है। अब यहां चुनाव होने वाले हैं। हिमाचल के खेल प्रेमियों तथा खिलाडि़यों को राजनीतिक दलों से अपेक्षा रहेगी कि वे अपनी खेल नीति पर भी कुछ बोलें। खेल राज्य सूची का विषय होने के कारण यह राज्य सरकार का कार्य हो जाता है कि राज्य में अच्छी खेल नीति हो, जिससे खिलाडि़यों को सुविधाओं के साथ-साथ अच्छे प्रशिक्षक भी मिलें। हरियाणा अपने ओलंपिक विजेता खिलाड़ी को छह करोड़ इनाम देता है। उपविजेता को चार करोड़ तथा तीसरे स्थान पर आने वाले को अढ़ाई करोड़ नकद इनाम देता है। अपने यहां इसका छठा हिस्सा भी नहीं मिलता है। एशियाई स्तर पर हरियाणा अपने विजेता को तीन करोड़, उपविजेता को डेढ़ करोड़ तथा तीसरे स्थान वाले को पचहत्तर लाख रुपए नकद इनाम देता है। इस स्तर पर भाग लेने वाले खिलाड़ी को भी साढ़े सात लाख रुपए दिए जाते हैं।

हिमाचल एशियाई विजेता को केवल बीस लाख रुपए देता है। अगर इन इनामों में वृद्धि हो जाती है तो खिलाड़ी इस प्रेरणा से आठ-दस वर्ष तक प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी रख सकता है तथा प्रशिक्षण के समय हुए खर्चे की भी भरपाई कर सकता है। राजनीतिक दलों से आशा की जाती है कि वे भी हिमाचल की खेलों के सुधार के लिए अपना-अपना कार्यक्रम बताएं तथा सत्ता में आकर उस पर अमल भी करें।

ई-मेल : penaltycorner007@rediffmail.com


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