घोषणाओं में ही सब कुछ मिला

By: Oct 25th, 2017 12:05 am

बिलासपुर में खेलों को नहीं मिल पाई गति

बिलासपुर – जल, थल व वायु की खेलों के लिए प्रदेश भर में सबसे उपयुक्त माने जाने वाला बिलासपुर जिला नेताओं की घोषणाओं के बावजूद साहसिक गतिविधियों में गति हासिल नहीं कर पाया है। हालांकि नेताओं द्वारा समय-समय  पर बिलासपुर को साहसिक खेल गतिविधियों के केंद्र के रूप में स्थापित किए जाने के लिए घोषणाएं तो बहुत की गईं, लेकिन नेताओं की यह घोषणाएं समय के चक्र के साथ हवा में विलीन होकर रह गई हैं। हालात यह है कि उक्त खेलों के लिए पर्याप्त सुविधाएं होने के बावजूद बिलासपुर इस क्षेत्र में अपना कोई स्थान तक कायम नहीं कर पाया है।  जल, थल व वायु की खेलों में रुचि रखने वाले बेरोजगार युवाओं ने भी अपने स्तर पर इसके लिए खूब प्रयास किए, लेकिन स्वयं के लिए रोजगार स्थापित करने के अपने इस मकसद में आज तक कोई कामयाबी हासिल नहीं कर पाए। गौर हो कि बिलासपुर जिला में जलक्रीड़ा, मैदानी खेल और पैराग्लाइडिंग जैसी साहसिक खेल गतिविधियों में अपना एक अलग स्थान रखता है। विशेष बात यह है कि यहां पर इन तीनों खेलों का आयोजन एक साथ करवाए जाने की भी क्षमता है। जलक्रीड़ा खेल गतिविधियों के लिए यहां पर जलक्रीड़ा संघ द्वारा कभी-कभार अपने स्तर पर इसका आयोजन करवाया जाता रहा है। मैदानी खेलों में भी यहां पर हॉकी, क्रिकेट, फुटबाल, बास्केटबाल, वालीबाल, हैंडबाल के साथ ही इंडोर खेलों के आयोजन के लिए भी सुविधाएं हैं। वहीं पैराग्लाइडिंग जैसी खेल के आयोजन के लिए बंदला की धार विश्व के मानचित्र पर अपना नाम अंकित करवा चुकी है। पैराग्लाइडिंग के लिए प्रसिद्ध बंदला की धार को विश्व के कई प्रसिद्ध पैराग्लाइडिंग पायलट प्रदेश भर में उत्तम करार दे चुके हैं। वहीं गोबिंद सागर झील में राष्ट्रीय स्तरीय जलक्रीड़ा प्रतियोगिताएं भी यहां आयोजित हो चुकी हैं।जलक्रीड़ा व पैराग्लाइडिंग जैसी साहसिक खेल गतिविधियों में अपने भविष्य को संवारने का सपना संजोए कई बेरोजगारों ने इसके लिए खूब मेहनत भी की। पैराग्लाइडिंग खेल से जुड़े विशाल जस्सल, अतुल शर्मा, पुनीत चंदेल, अंशुल शर्मा ने बताया कि उन्होंने बैंकों से लोन लेकर इस क्षेत्र में अपना भविष्य संवारने का सपना देखा था, पर निराशा ही हाथ लगी।


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