मंत्री जी देख लो हाल…एक बेड पर तीन मरीजों का इलाज

By: Oct 5th, 2017 12:05 am

बिलासपुर —  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का गृह जिला में स्वास्थ्य सुविधाएं बिलकुल न के बराबर है। भले ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री पूरे देश को स्वास्थ्य सुविधाएं देने में सब से आगे रह रहे हों, परंतु अभी तक भी अपने गृह जिला में स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए काफी पीछे हैं। इसका असर जोनल अस्पताल बिलासपुर को देखते ही बनता है। यहां पर न तो मरीजों को पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पा रही है और न ही मरीजों के लिए बैड। हालात ऐसे हो गए हैं कि यहां पर एक बेड पर तीन-तीन मरीज लेटे हुए हैं, जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि यहां आए दिन यहां पर तकरीबन 500 से अधिक मरीज अपना स्वास्थ्य जांच करवाने के लिए आते हैं। पंरतु उन्हें ओपीडी में डाक्टर न मिलने से निराश होकर वापस लौटना पड़ रहा है। ओपीडी के बाहर मरीज बैठे डाक्टर का इंतजार करते रहते हैं, परंतु वर्तमान में हालात ऐसे बन गए हैं कि डाक्टर कभी आते हैं, तो कभी नहीं आते हैं। वहीं अगर हम बीते बुधवार की बात करें तो एक चिकित्सक तकरीबन एक बजे वार्डों में राउंड कर रहा था और दूसरी तरफ दूरदराज क्षेत्र से आए मरीज सुबह दस बजे से उस चिकित्सक का ओपीडी में इंतजार कर रहे थे। अब सवाल यह पैदा होता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी ओपीडी में जाकर औचक निरीक्षण नहीं करते हैं क्या, या फिर अधिकारियों को सब कुछ पता होने के चलते वे अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। इस तरह विभागीय अधिकारियों का इन चिकित्सकों पर कोई कारवाई न करने पर विभागीय अधिकारियों पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। उधर, स्थानीय मरीजों में रघु, शिवानी, दीपक, संजीव, प्रदीप, सोहन लाल, दुर्गा शर्मा, विपिन कुमार, संदीप सोनी, विकास कुमार, संदीप कुमार, गौरव शर्मा, विनय वर्मा व अन्य लोगों ने बताया कि यहां पर डाक्टर एक बजे आकर राउंड करते हैं, या तो कई बार राउंड पर कोई डाक्टर नहीं आता है। अगर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों से इस बारे पूछा जाए कि डाक्टर साहब कब आएंगे तो वह अनाब-शनाब बोलकर वहां से चले जाते हैं। कई दिनों से यहां पर एक बैड पर दो से तीन मरीज हो गए हैं। अगर इस बारे विभाग को अगवत करवाया जाता है तो विभाग उन्हें बोलता है कि वे पैसे खर्च करके स्पेशल वार्ड लें ले। इस तरह जोनल अस्पताल बिलासपुर में स्वास्थ्य सुविधाएं दिन-प्रतिदिन बिलकुल ही कम होती जा रही हैं, जिसकी परवाह न तो कोई यहां के अधिकारी कर रहे हैं और न ही यहां का कोई राजनेता। इस तरह मरीजों को आ रही परेशानी के चलते विभागीय अधिकारियों पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं।

धूल फांक रहे टैस्ट फीस काउंटर

क्षेत्रीय अस्पताल में टैस्ट फीस काउंटर दो सालों से धूल फांक रहा है। इस काउंटर के भीतर एक कुर्सी, कम्प्यूटर व किबोर्ड व अन्य इलेक्ट्रानिक सामान है, जिसकी देखरेख स्वास्थ्य विभाग करना भूल गया है। कुर्सियों पर लगे जाले व धूल देखकर यह प्रतीत होता है कि कई सालों से यहां पर न तो कोई विभागीय अधिकारी आया है और न ही कोई प्रशासनिक अधिकारी।


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