विकास और भोरंज में 36 का आंकड़ा

By: Oct 27th, 2017 12:01 am

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसा शहर; न बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं, न ही पर्याप्त पानी

भोरंज —  भोरंज निर्वाचन क्षेत्र का चहुंमुखी विकास करवाने में सरकारें नाकाम रही हैं।  प्रदेश में सरकारें बदलती रहीं, लेकिन भोरंज में पिछले 27 वर्षों से भाजपा का ही बर्चस्व रहा है। भोरंज में दोनों ही पार्टियां विकास का ढिंढोरा अकसर पीटती रही हैं, लेकिन अभी तक भोरंज में बस अड्डा,अग्निशमन केंद्र आदि समस्याओं का निवारण नहीं हो सका है। या यूं कह लें कि भोरंज और विकास में 36 का आंकड़ा है। भोरंज के विभिन्न कस्बों में सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है। पीने का पानी भी लोगों को नियमित रूप से नहीं मिल पाता है। बरसात में,गर्मियों में लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।  स्ट्रीट लाइटों के अभाव की वजह से ये कस्बे दिन ढलते ही अंधेरे में डूब जाते हैं। भोरंज के साथ भरेड़ी, सुलगवान, तरक्वाड़ी, जाहू, बस्सी, चंदरूही, पट्टा, लदरौर, अवाहदेवी ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है। ये क्षेत्र पंचायतों के अधीन आते हैं। यही वजह है कि यहां रहने वाले लोगों को कई प्रकार दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है। पंचायत के पास इतना अधिक बजट नहीं होता है कि वे अपने स्तर पर सफाई कर्मचारी रख सकें। आलम यह है कि इन कस्बों में कूड़ादान तक नहीं हैं। चारों तरफ खुले में गंदगी पसरी रहती है। इसी प्रकार शहर के साथ लगता जाहू क्षेत्र छोटे कस्बे के रूप में विकसित हो चुका है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर यहां लोगों को कुछ नहीं मिला है। स्ट्रीट लाइटों के अभाव की वजह से रात्रि के समय यह कस्बा अंधेरे में डूब जाता है। बिलकुल यही स्थिति बस्सी व भरेड़ी कस्बे की भी है। भोरंज  अस्पताल में सुविधाओं का भारी टोटा है। यहां भवन से लेकर स्टाफ तक की  भारी कमी है, जिससे इलाज भी प्रभावित होता है। इसी प्रकार जाहू में बनी सब्जी मंडी भी सफेद हाथी साबित हो रही है।

लोगों में आक्रोश

पर्यटन  के नाम पर आज तक भोरंज में कोई भी काम नहीं हुआ हालांकि भोरंज में कई मंदिर, तालाब और खंडहर बन चुके प्राचीन महल हैं। इनका जीर्णोंद्धार हो तो पर्यटन की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं।    पर्यटन के विकास से यहां रोजगार के   अवसर बढ़ सकते थे। विधानसभा चुनावों में आम जनता का गुस्सा सरकार पर भारी पड़ सकता है। ट्रैफिक जाम तो भोरंज के विभिन्न कस्बों में जैसे आम हो गया है। इस समस्या का भी स्थायी समाधान नहीं हो सका है। शायद भोरंज में बनने वाले राष्ट्रीय उच्च मार्ग से जाम से निजात मिल सके, लेकिन अभी तक  राष्ट्रीय उच्च मार्ग  का निर्माण कार्य शुरू तक नहीं हुआ है, जिसका खामियाजा नेताओं को भुगतना पड़ सकता है।


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