आखिर हैं कहां जिला खेल परिषदें

By: Nov 17th, 2017 12:02 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

अधिकतर खेल जानकारों को भी पता नहीं है कि जिला स्तर पर भी खेल परिषद है। यह राज्य की खेलों के लिए ठीक बात नहीं है। जिला खेल परिषद प्रदेश के हर जिला में कार्य करती दिखे इसके लिए जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी को अपने उपायुक्त से मिलकर खेल योजनाओं को लागू करवाना ही चाहिए…

हिमाचल प्रदेश में खेलों से जुड़े संस्थानों का आपस में समन्वय आज भी स्थापित नहीं हो पाया है। यह भी एक कारण माना जा सकता है कि राज्य अपने यहां खेलों में अपेक्षित निखार लाने में नाकामयाब रहा है। राज्य में अलग-अलग खेल का अपना संघ है, जो जिला स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जुड़ा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय खेल संघ राष्ट्रीय संघ को मान्यता देता है और राष्ट्रीय खेल संघ से राज्य संघ मान्यता प्राप्त है। इसी तरह यह सिलसिला जिला स्तर तक चलता है। हिमाचल प्रदेश में इस समय विभिन्न खेलों के पचास से भी अधिक संघ राज्य में विभिन्न खेलों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। ये सभी खेल संघ राज्य खेल परिषद से जुड़े हुए हैं। राज्य खेल परिषद का अध्यक्ष राज्य का मुख्यमंत्री होता है और सचिव राज्य युवा सेवाएं एवं खेल विभाग का निदेशक है। सभी खेल संघों के अध्यक्ष व सचिवों के साथ-साथ राज्य के कुछ उत्कृष्ट खिलाड़ी भी इस परिषद के सदस्य होते हैं। राज्य खेल परिषद की तरह जिला स्तर पर भी जिला खेल परिषद का ढांचा है। राज्य खेल संघों की ही तरह जिला खेल संघों के भी अध्यक्ष व सचिव सदस्य होते हैं। इसके अध्यक्ष का कार्यभार जिला के उपायुक्त के पास तथा सचिव का कार्य जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी देखता है।

पिछले पांच वर्षों में राज्य खेल परिषद की एक बैठक ही हो पाई है। यही कारण है कि खेल उत्थान के कई विषयों पर चर्चा ही नहीं हो पाती है। पिछले पांच वर्षों में राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर कई खिलाडि़यों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर गौरव दिलाया है, मगर राज्य का खेल अवार्ड इन वर्षों में किसी को भी नहीं दिया गया। 2012 में अंतिम बार परशुराम अवार्ड बिलासपुर के घड़ीर में आयोजित हिमाचल दिवस के मौके पर दिया गया था। राज्य में प्रशिक्षकों के द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने पर उनके लिए अभी तक राज्य में कोई अवार्ड नहीं है। यह अलग बात है कि 2012 में परशुराम अवार्ड के बराबर धनराशि तो उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले कुछ प्रशिक्षकों को मिली थी, मगर आज तक अवार्ड के लिए कोई भी चर्चा नहीं हो पाई है। खेल परिषद की बैठक में यह सब तय होता है, मगर यहां पर सालोंसाल बैठक ही नहीं हो पाती है। जिला स्तर पर तो बहुत बुरा हाल है। पिछले कई दशकों से जिला खेल परिषदों की बैठक हिमाचल के अधिकांश जिलों में नहीं हो पा रही है। कुछ जिला परिषदों के पास अपने वित्तीय संसाधन भी हैं, जिसमें मंडी जिला प्रमुख है। पड्डल स्टेडियम में बनी व्यापारिक परिषद की दुकानों के किराए से प्रतिमाह काफी धन इकट्ठा हो जाता है, मगर अधिकांश खेल परिषदों के पास ऐसा कुछ नहीं है। जिला स्तर पर खेल परिषदों का सुदृढ़ होना बेहद जरूरी है। इस समय राज्य के हर जिला स्तर पर कई खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्ले फील्ड बनकर तैयार हैं। पे एंड प्ले योजना के अंतर्गत खेल परिषद चाहे तो अच्छा प्रबंधन देकर खिलाडि़यों के लिए अच्छी सुविधा व अन्य स्वास्थ्य लाभ वालों को अलग-अलग समय में मौका देकर जो धन मिलेगा, उससे खेल ढांचे का रखरखाव किया जा सकता है। खेल संघों के साथ अगर खेल परिषद का ठीक तालमेल हो, तो जिला स्तर पर खेलों को गति दी जा सकती है।

जिला खेल परिषद की बैठक हर छह माह में एक बार होनी चाहिए। जिला स्तर पर हर खेल संघ के साथ-साथ उस जिला के शिक्षा विभाग के जिला प्रमुखों को भी इसका सदस्य बनाकर जिला में खेलों के उत्थान के लिए बनी योजनाओं को कार्यान्वित करना चाहिए। जिला के पूर्व उत्कृष्ट खिलाडि़यों को भी इस परिषद का सदस्य बनाना चाहिए। यह सारा कार्य हकीकत में जमीन पर होना चाहिए। परिषद सुनिश्चित करे कि सभी खेल संघों की जिला प्रतियोगिता हर वर्ष अनिवार्य रूप से आयोजित हो। जिला के उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाडि़यों का भी इनाम समारोह परिषद को दो वर्षों में एक बार तो करना ही चाहिए और राज्य स्तर पर हर वर्ष राज्य खेल अवार्ड मिलने के लिए इनाम समारोह भी होना चाहिए। जिला खेल परिषदों में ऐसी निष्क्रियता खेल संस्कृति के लिए उचित नहीं। आज राष्ट्रीय स्तर पर यदि हिमाचल प्रदेश का प्रदर्शन ठिगना नजर आता है, तो कहीं न कहीं यह लापरवाही भी इसके लिए कसूरवार है। आखिर कब तक हम इस निष्क्रियता को अपनी आदतों में शुमार रखेंगे। प्रदेश को यदि खेलों के क्षेत्र में आगे बढ़ाना है, तो यह लापरवाही अब रुकनी चाहिए। आलम यह कि अधिकतर खेल जानकारों को भी पता नहीं है कि जिला स्तर पर भी खेल परिषद है। यह राज्य की खेलों के लिए ठीक बात नहीं है। जिला खेल परिषद प्रदेश के हर जिला में कार्य करती दिखे इसके लिए जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी को अपने उपायुक्त से मिलकर खेल योजनाओं को तो लागू करवाना ही चाहिए, साथ में खिलाडि़यों के लिए सुविधाओं तथा प्रेरणा के लिए इनाम समारोह आदि भी नियमित आयोजित करवाने होंगे। तभी खेलों में हमारा प्रदर्शन सुधर पाएगा।

ई-मेल : penaltycorner007@rediffmail.com


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