तरीका, तैयारी और तेवर

By: Nov 3rd, 2017 12:02 am

चुनाव की राजनीतिक हवाओं में पार्टियों का तरीका, तैयारी और तेवर क्या हो सकते हैं, इसका एक प्रदर्शन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को कर गए। कहना न होगा कि भाजपा ने अपना तरीका पूरी तरह बदला, तैयारी की और अब अंतिम पड़ाव में तेवर दिखा रही है। ये तेवर ही थे, जो मोदी रैलियों की संप्रेषणीयता को हिमाचली जज्बात से जोड़ रहे हैं। इसके मुकाबले कांग्रेस अपनी नुक्कड़ सभाओं में जमीनी विकास के साक्ष्यों पर चलते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की जन साधारण तक पहुंच का फायदा उठा रही है। यह मानना पड़ेगा कि अपनी उम्र और कठिन प्रतिद्वंद्वी पार्टी के खिलाफ चट्टान बनकर डटे वीरभद्र सिंह के तेवरों का सामना करना भाजपा की परीक्षा है। यह भी सही है कि सरकार में रहते हुए वीरभद्र सिंह ने हिमाचल में अपनी हस्ती का जो तरीका अख्तियार किया, उसके कारण चुनावी परीक्षा सीधे प्रधानमंत्री से मुकाबिल रही और अब दो मुख्यमंत्रियों की हसरत में प्रदेश फैसला लेगा। ऐसे में जबकि भाजपा की संगठनात्मक ताकत कहीं बेहतर दिखाई दे रही है, तो कांग्रेस के ओहदेदार हैं कहां। मुकाबले में कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने की एक लंबी कड़ी भाजपा जोड़ पाई, तो कांग्रेस अपने ही मुख्यमंत्री से पद छीनने की राह देखती रही और अंततः आज पोस्टर पहरा दे रहे हैं। कांग्रेस की संगठनात्मक तैयारी का खाका अगर समझना हो, तो बड़े नेताओं के चुनाव अभियान को जानना पड़ेगा। जीएस बाली, मुकेश अग्निहोत्री और सुधीर शर्मा के चुनावी अभियान के अंकगणित, सामाजिक सत्ता और तकनीक के हिसाब से प्रशंसकों की बिरादरी का विस्तार है। यह संवाद का ऐसा तरीका है जिसके रचयिता स्वयं प्रधानमंत्री हैं। इसलिए चुनावी ज्ञान की जिस गंगा में भाजपा बार-बार डुबकी लगा रही, उसके छोर पर खड़े कांग्रेसी भी अमृत पी रहे हैं। भले ही कांग्रेस पार्टी का चुनावी प्रारूप व प्रचार भाजपा के पीछे है, लेकिन प्रधानमंत्री का अंदाज और तरीका कांग्रेसी नेताओं ने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में अपना लिया है। इसलिए हिमाचल का मध्यम वर्ग, बुद्धिजीवी वर्ग या जो प्रदेश की अस्मिता की बात करता है, उसे चुनावी शोर के बजाय विकास का तर्क और यथार्थ प्रभावित कर रहा है। इस बार वीडियो वार में कांग्रेस का नियमित प्रचार, इसी यथार्थ का सबूत बन रहा है। बेशक सोशल मीडिया में भाजपा के प्रचार ने कांग्रेस को घेरने का बड़ा दल कायम किया है, लेकिन सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं ने अपनी छवि के हिसाब से इस माध्यम को अपनाया है। भाजपा की तैयारी के चरणों के सामने कांग्रेस की चुनौतियों का जिक्र बनकर मोदी जब कांगड़ा में हाजिरी भरते हैं, तो बजीर राम सिंह पठानिया का गौरव मुखर हो जाता है। इससे पूर्व अपने विजन दस्तावेज में प्रथम परम वीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा का जिक्र जिस बुलंदी से हुआ, वहां हिमाचली स्वाभिमान के साथ खड़ा होने की कोशिश भाजपा करती है। हिमाचल को चुनावी सामग्री की तरह परोसना अगर कला से बढ़ कर है, तो शीघ्र ही जनरल जोराबर सिंह का उल्लेख भी होगा। कहना न होगा कि भाजपा प्रचार की संवेदना में हर वर्ग और संभावना तराश रही है, जबकि कांग्रेस केवल जनता के दर पर खुद को बता रही है। चुनावी पलकों पर सवार होने की हर मशक्कत में भाजपा अगर दिखाई दे रही है, तो कांग्रेस के लिए मुकाबले की हर जिरह को रफ्तार पकड़नी होगी। सत्ता पक्ष के तरीके और तेवर को कमतर नहीं आंका जा सकता और जहां मुख्यमंत्री हैं, वहां प्रचार का हर बिंदु ताकतवर है, लेकिन पार्टी की अपनी तैयारी का पता तो तब चलेगा जब दिग्गज आजमाए जाएंगे। ऐसे में अब मतदाता चुनाव के चलचित्र देखता हुआ अपने भरोसे की न जाने कितनी आकृतियां बनाएगा और मिटाएगा।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App