भ्रष्ट नेता क्या भला करेंगे

By: Nov 6th, 2017 12:05 am

(राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टिहरा )

‘जर्रा-जर्रा होती, जार-जार सोती राजनीति’ लेख में सुरेश कुमार ने प्रदेश की राजनीति की बिगड़ती स्थिति को उजागर किया है। प्रदेश जब से अस्तित्व में आया है, तब से लगभग हर पार्टी को आमजन ने प्रदेश को सत्ता सौंपी। इसमें दो राय नहीं हो सकती कि हर पार्टी की सरकार ने प्रदेश के विकास में अहम योगदान दिया है, लेकिन प्रदेश आज भी कुछ मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा है। लेकिन अब जिस तरह प्रदेश की राजनीति भी अवसरवाद की ओर बढ़ रही है, प्रदेश के विकास के लिए कोई शुभ संकेत नहीं है। अब शायद आमजन के आधार से जुड़े मुद्दों पर नहीं, बल्कि राजनेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर अपने आपको दूध का धुला साबित कर चुनाव में बाजी मारना चाहते हैं। राजनीति पर पैनी नजर रखने वाली गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म यानी एडीआर ने एक खुलासा किया है कि हिमाचल विधानसभा चुनाव में दागी और आपराधिक मामलों के आरोपी भी चुनावी दंगल में हैं। हर पार्टी में ऐसे नेता शामिल हैं। अगर ऐसे उम्मीदवार जीत जाते हैं, तो क्या वे प्रदेश का भला कर पाएंगे या फिर प्रदेश और जनहित के मुद्दों को नजरअंदाज करके कानून को अपनी मुट्ठी में करके अपने दाग धोने की कोशिश करेगें? अगर प्रदेश की राजनीति भी ऐसे ही पथभ्रष्ट होती रही, तो वह दिन भी दूर नहीं, जब देश के अन्य कुछ राज्यों की तर्ज पर यहां भी जातिवाद, मजहब, संप्रदाय की ओछी राजनीति शुरू हो जाएगी और लोगों को आपस में बांटकर अपना वोट बैंक बढ़ाने की होड़ राजनीतिक पार्टियों में शुरू हो जाएगी। प्रदेश को इससे बचाना होगा।


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