राम मंदिर अगले साल
श्रीश्री से मुलाकात के बाद रिजवी बोले, अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद के समाधान की जल्द उम्मीद
बंगलूर — अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद का समाधान न्यायालय से बाहर सभी पक्षों की सहमति से करने के प्रयास में जुटे अध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर से उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने मंगलवार को यहां मुलाकात की। एक घंटे तक चली मुलाकात के बाद वसीम रिजवी ने कहा कि विवादित भूमि पर ही मंदिर बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत आगे बढ़ चुकी है और 2018 में मंदिर कर निर्माण शुरू हो जाएगा। मुलाकात के बाद श्री रिजवी ने कहा कि जो लोग देश में शांति चाहते हैं, वह इस प्रयास की सराहना कर रहे हैं, लेकिन जो हिंसा चाहते हैं वह इसके विरुद्ध हैं। उन्होंने कहा कि विवादित स्थल पर अब कोई मस्जिद नहीं हैं। वहां केवल मंदिर है। आसपास में कई मस्जिदें हैं, जहां पर नमाज पढ़ी जा सकती हैं। श्री रिजवी ने मसले का हल बातचीत से जल्दी निकलने की उम्मीद जताते हुए कहा कि राम के नाम पर देश में लड़ाई नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ मुस्लिम धर्मगुरु विवाद के समाधान में रोड़े अटका रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष की हैसियत से अपनी बात रख रहे हैं। बोर्ड ने विवाद से जुडे़ सभी पक्षों से बातचीत की है। अगले वर्ष तक मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू होने की उम्मीद व्यक्त करते हुए श्री रिजवी ने कहा कि आर्ट ऑफ लीविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर के प्रयास से मसले का हल निकल आएगा। उन्होंने कहा कि अयोध्या और फैजाबाद में जितनी मस्जिदें हैं वे वहां के मुसलमानों के लिए पर्याप्त हैं। श्रीश्री रविशंकर ने कहा है कि एक ऐसे मंच की आवश्यकता है जहां दोनों समुदाय के लोग बैठकर भाईचारे और सौहार्द्रपूर्ण माहौल में बातचीत करें। उन्होंने कहा था कि अब परिस्थितियां विवाद के हल के लिए पहले की तुलना में अनुकूल हैं। वर्ष 2003-04 में हुए प्रयासों की तुलना में अब माहौल बदल चुका हैं लोग शांति के पक्षधर हैं। वह अपनी तरफ से यह प्रयास कर रहे हैं और इसका राजनीति से कोई सरोकार नहीं है। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगवाई वाली योगी आदित्यनाथ सरकार के आने के बाद अयोध्या में राममंदिर बनाने का मामला फिर से काफी चर्चा में है। गौरतलब है कि श्रीराम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य रामविलास वेदांती ने अयोध्या मसले के समाधान के लिए श्रीश्री रविशंकर की पहल का विरोध करते हुए कहा है कि उनकी मध्यस्थता किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं की जाएगी।
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