प्यारा पम्मी

By: Dec 3rd, 2017 12:05 am

बिंदु और बंटी में गहरी दोस्ती थी। दोनों सातवीं क्लास में पढ़ते थे। बिंदु थोड़े चिड़चिड़े स्वभाव का था तो बंटी खुशमिजाज। जब भी बिंदु किसी बात को लेकर चिढ़ जाता तो बंटी उसे कुछ ऐसी बात कह देता कि उसे हंसी आ जाती थी। एक दिन बिंदु को स्कूल से होमवर्क में मिले मैथ के कुछ सवाल समझ नहीं आ रहे थे, तो उन्हें समझने के लिए उसने बंटी से बात की। बंटी ने उसे अपने घर पर बुलाया। बिंदु जब बंटी के घर पहुंचा तो उसने देखा कि गेट के अंदर से एक प्यारा सा डॉगी झांक रहा है। डॉगी बिंदु को देखते ही भौंकने लगा, उसके बाद वह भौंकते हुए घर के अंदर चला गया। बिंदु ने बेल बजाई तो बंटी डॉगी के साथ बाहर आया। बिंदु डर रहा था कि कहीं यह डॉगी उसे काट न ले, लेकिन बंटी ने अपने डॉगी को उसी समय समझाया, देखो डिंगी, यह मेरा दोस्त है। इस पर कभी नहीं भौंकना। चलो शेकहैंड करो। डिंगी ने बिंदु के आगे अपना पंजा कर दिया और बिंदु ने डरते-डरते उससे हाथ मिलाया। बिंदु को डिंगी डॉगी बहुत अच्छा लगने लगा था। उसने एक दिन अपने मन में सोचा कि पापा अपने आफिस चले जाते हैं और मैं और मेरी बहन भी स्कूल चले जाते हैं। घर पर मम्मा ही अकेली रह जाती हैं। अकेले में वह कितनी बोर हो जाती होंगी। तो क्यों न पापा से कहकर एक प्यारा सा डॉगी मंगाया जाए। डॉगी होगा तो मम्मा बोर नहीं होंगी। दूसरा, घर की भी देखभाल होती रहेगी। शाम को पापा घर आए तो बिंदु ने डॉगी की चर्चा छेड़ दी। उसने बंटी के डॉगी की बड़ी तारीफ  की और कहा कि पापा, हमारे घर भी एक डॉगी होना चाहिए। मम्मा ने तुरंत बिंदु को डांटने के अंदाज में कहा- उसकी देखभाल कौन करेगा। पापा, मेरे कई दोस्तों के घर में डॉगी हैं। किसी को कोई परेशानी नहीं होती, सब मैनेज हो जाता है। मैं भी सफाई कर दिया करूंगा। अगर कोई मेहमान आता है तो हम डॉगी को पहले ही समझा देंगे कि वह उन पर भौंके नहीं। इस बार बिंदु की बहन रिया भी उसकी हां में हां मिला रही थी। बिंदु और रिया ने जैसे- तैसे मम्मा को डॉगी के लिए मना ही लिया। एक दिन अचानक पापा एक छोटा और सफेद डॉगी ले आए। डॉगी का नाम पम्मी रखा गया। शुरू-शुरू में उसने बहुत तंग किया। कुछ दिनों बाद पम्मी की शरारत वाली हरकतें कम होने लगी थीं। पापा और बिंदु दोनों उसे ट्रेनिंग जो देने लगे थे। अब वह मम्मा को भी अच्छा लगने लगा था। वह अजीब हरकतें कर-कर के उनका खूब मनोरंजन करता था। उसकी वजह से मम्मा के अकेलेपन की बोरियत दूर हो गई थी। एक दिन की बात है, एक बिल्ली अचानक घर में किसी खिड़की के रास्ते अंदर घुस आई। वह चुपके से किचन में गई और फ्रिज खोलकर दूध पर हाथ साफ  करना चाह रही थी कि पम्मी की नजर उस पर पड़ गई। वह तुरंत भौंकता हुआ उसकी ओर दौड़ा। बिल्ली यह देख तुरंत भाग गई और फिर दोबारा आने की उसकी हिम्मत नहीं हुई । अब पम्मी घर का वफादार सदस्य बन गया था। एक दिन बिंदु के मामा-मामी घर आए। उन्होंने दरवाजे पर बेल बजाई तो पम्मी दौड़ा-दौड़ा गेट पर आया। उन्हें देखकर वह उन पर खूब भौंका। भौंकने की आवाज सुनकर बिंदु आया तो उसने देखा कि गेट पर मामा-मामी खड़े हैं। उसने पम्मी को डांटा और कहा ये मेरे मामा-मामी हैं। इन पर कभी मत भौंकना। यह सुन पम्मी चुप हो गया और बिंदु के मामा-मामी के पैरों में लिपटने लगा।  बिंदु के मौसाजी ने अभी नई कार खरीदी थी। वह कार लेकर घर आए और उस दिन वहीं रुक गए। कार घर के गेट के सामने ही खड़ी कर दी गई थी। रात के करीब तीन बजे होंगे। दो चोर कार चोरी करने के इरादे से उसका शीशा खोलने की कोशिश कर रहे थे।बस शीशा खुलने ही वाला था कि पम्मी घर के अंदर से गेट के पास आया और उसने कार का शीशा खोलते लोगों को देखते ही भौंकना शुरू कर दिया। पम्मी की भौंकने की आवाज सुनते ही घर में सभी लोग जाग गए और गेट की तरफ  आए। यह देख चोर तुरंत भाग गए। बिंदु के मौसाजी ने पम्मी को गोद में उठा लिया और कहा यह तो वाकई कमाल का प्यारा डॉगी है। इसने मेरी कार चोरी होने से बचा ली। पम्मी के इस तरह के कामों से मम्मा बहुत खुश थीं। पापा ने एक दिन मजाक में उनसे कह ही दिया कि पम्मी को हम जिससे लेकर आए हैं, वह उसे वापस मांग रहा है। मम्मा ने तुरंत इनकार कर दिया और कहा कि पम्मी को हम किसी को नहीं देंगे।


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