36 साल उम्र, 83 बार खून दान

By: Dec 1st, 2017 12:05 am

 बिलासपुर — इनसानियत के कई किस्से और उदाहरण आए दिन देखने व सुनने को मिल जाते हैं। इनसानियत के काम आने का ऐसा ही एक रूप है रक्तदान। रोजाना हजारों मरीजों को खून की कमी के कारण रक्त की जरूरत पड़ती है और जब लोगों द्वारा किसी मरीज की सहायता की जाती है, तब वे व्यक्ति मरीज के लिए भगवान के समान होते हैं। रक्तदान के क्षेत्र में बिलासपुर शहर के कर्ण चंदेल एक ऐसा नाम बन चुके हैं, जो स्वयं 36 वर्ष की आयु में 83 दफा रक्तदान कर चुके हैं। बात चाहे पीजीआई में रक्तदान की हो, या फिर पंजाब के किसी अन्य हिस्से में। आईजीएमसी में किसी भी एमर्जेंसी में रक्तदाता की व्यवस्था करनी हो या फिर हिमाचल प्रदेश किसी भी जिला में, उन्हें सिर्फ एक फोन करने की देर होती है और थोड़ी ही देर में सारी व्यवस्था हो जाती है। पहली बार महज 17 वर्ष की आयु में उन्होंने उस वक्त रक्तदान किया था, जब एमर्जेंसी के समय मरीज को रक्त की बेहद आवश्यकता थी। यहीं से एक रक्तदाता के रूप में उनका एक ऐसा अभियान शुरू हुआ, जो आज तक जारी है। जरूरत पड़ने पर मरीजों को यहां-वहां न भटकना पड़े, इसके लिए व्यास नगर समिति के अध्यक्ष कमलेंद्र कश्यप ने व्यास रक्तदाता समिति का गठन किया। इसमें उन सभी युवाओं को भागीदार बनाया गया जो रक्तदान करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। कर्ण चंदेल भी इसके सदस्य बने। कई वर्षों तक उनके साथ कार्य करते रहे और अब पिछले पांच वर्षों से समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं। समिति के दायरे को और आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और जम्मू में रक्तदान के क्षेत्र में बनी समितियों से टाईअप किया और सभी समितियों को एक साथ जोड़कर कार्य करना शुरू किया।  इसके लिए सभी का एक साझा व्हाट्सऐप ग्रुप भी बनाया गया है, जिसमें करीब 1500 सदस्य कहीं भी जरूरत पड़ने पर हमेशा रक्तदान के लिए तैयार रहते हैं।  बिलासपुर जिला में रक्तदाताओं की रिफ्रेशमेंट दस से बढ़ाकर 100रुपए करने में भी उनकी अहम भूमिका रही है। बिलासपुर जिला प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है, जहां रोगी कल्याण समिति के माध्यम से अब रक्तदाताओं को रिफ्रेशमेंट के रूप मे100 रुपए की पर्ची दूध या जूस के लिए दी जाती है। रक्तदान के क्षेत्र में उनके कार्य को देखते हुए हालांकि सरकार की ओर से समिति या उनके लिए कोई अवार्ड या पुरस्कार नहीं दिया गया है, लेकिन बिलासपुर लेखक संघ द्वारा समिति को इस उपलब्धि के लिए सम्मानित किया जा चुका है। कर्ण चंदेल कहते हैं कि दिया हुआ रक्त कभी भी बर्बाद नहीं जाता वह किसी न किसी के काम जरूर आता है। इससे आप समाज के लिए एक बहुत बड़ा काम तो कर ही रहे हो, साथ में इससे आपकी हैल्थ भी बेहतर बनती है। इसलिए जब भी मौका मिले, रक्तदान करें क्योंकि यह दान महादान है।


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