इस हफ्ते की फिल्म : पद्मावत

By: Jan 28th, 2018 12:11 am

निर्देशक :  संजय लीला भंसाली

संगीतकार : संचित बल्हारा

कलाकार : दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर, रणवीर सिंह

दिव्य हिमाचल :  रेटिंग ****/5

सिनेमा हाल से बाहर आकर दो चीजें आपके दिमाग पर दस्तक देंगी, एक तो खिलजी के रूप में रणवीर सिंह का दमदार अंदाज और दूसरा यह कि आखिर इस फिल्म पर इतना विवाद हो क्यों रहा है, जबकि फिल्म में तो वैसा कुछ भी नहीं है। अपनी ख्वाहिशों को पूरी करने के लिए, हर नायाब चीज पर कब्जा करने की चाहत रखने वाला अलाउद्दीन खिलजी रानी पद्मावती की एक झलक देखने की ख्वाहिश कर तड़प कर रह जाता है। पूरी फिल्म खिलजी की सनक, उसके झक्कीपन, उसकी इच्छाओं, उसकी मर्जी, उसकी सेक्शुएलिटी, उसके जुनून को लेकर है। खिलजी धोखे से राज्य हड़पने में तो कामयाब हो जाता है पर रानी पद्मावती अपनी सूझबूझ,अपने दिमाग के सही इस्तेमाल के जरिए किस तरह सनकी खिलजी की उस एक ख्वाहिश को अधूरा रख छोड़ती है। करीब 200 करोड़ की लागत से बनी ‘पद्मावत’ अब तक की सबसे महंगी फिल्म बताई जाती है। फिल्म में दीपिका पादुकोण के पहनावे से लेकर चेहरे के भाव और खासतौर पर आंखों के जरिए जो दमदार अभिनय किया है चाहे प्यार हो या गुस्सा, हर तरह का इमोशन तुरंत दीपिका की बड़ी-बड़ी आंखों से साफ  महसूस किया जा सकता है। 30-30 किलो के खूबसूरत लहंगों, भारी गहनों और खासतौर पर नाक की नथ में दीपिका खूब जमी हैं। सजी-धजी दीपिका की मौजूदगी को पूरे स्क्रीन पर इस कद्र दिखाया गया है कि आसपास सब कुछ बौना नजर आता है। महाराजा रावल रतन सिंह के किरदार शाहिद कपूर शुरू से अंत तक शालीन नजर आते हैं, लेकिन अलाउद्दीन खिलजी का किरदार निभाने वाले रणवीर सिंह जैसे असल जिंदगी में भी जिस कद्र एनर्जी से भरपूर हैं। शुरू से अंत तक एक सनकी, विलासी, व्यभिचारी और कुंठित मानसिकता जैसे लक्षणों को जीवंत करने में रणवीर ने जान लड़ा दी है। कई डायलॉग्स तो आपको उनके इतने याद हो जाएंगे कि जेसे ही आप सिनेमा घर से बाहर निकलोगे उनको बोलते ही आओगे। मसलन खिलजी की क्रूरता दिखाता एक डायलॉग-सीन में उनकी पत्नी उनसे कहती हैं कुछ तो खौफ खाइए। इस पर वह पलटकर पूछते हैं आज खाने में क्या-क्या है। जब उन्हें बताया जाता है कि खाने में ढेर सारे पकवान हैं तो खिलजी का जवाब होता है, जब खाने में इतना कुछ है तो खौफ  क्यों खाऊं। साथ ही फिल्म में उनके अंदर छिपे एक नाकाम प्रेमी की बेबसी को दर्शाता एक डायलॉग-वह अपने गुलाम मलिक काफूर से लगभग रोते हुए पूछते हैं, काफूर बता मेरे हाथ में कोई प्यार की लकीर है, नहीं है तो क्या तू ऐसी लकीर बना सकता है। काफूर अपने मालिक की ऐसी हालत देख रोता है। आगे आपको फिल्म देख कर पूरी कहानी समझ आएगी।


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