रूसा की बाधा पार करने के करीब खेल

By: Jan 19th, 2018 12:07 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

पहले अधिकतर खेल प्रतियोगिताएं अक्तूबर से जनवरी तक होती थीं। इसी वक्त पहले, तीसरे व पांचवें सेमेस्टर की परीक्षाएं भी आयोजित होती थीं। अब जब परीक्षा अपै्रल में एक बार होगी, तो विद्यार्थियों को खेल तथा अन्य गतिविधियों में भाग लेने के लिए पूरा-पूरा मौका मिलेगा…

हिमाचल प्रदेश में जब से स्नातक स्तर पर राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान  (रूसा) लागू किया है, प्रदेश में खेलों तथा युवा गतिविधियों में अंतर महाविद्यालय स्तर पर प्रतिनिधित्व में बहुत कमी आई है। पहले जहां वर्ष में दो बार परीक्षाएं होती थीं, अब छह-छह महीने बाद परीक्षाएं आयोजित हो रही हैं। ऊपर से सेमेस्टर की परीक्षा से पहले भी आंतरिक परीक्षा का आयोजन होता है और यह परीक्षा भी असेस्समेंट के अंकों में अनिवार्य है। इस तरह जब एक वर्ष में चार बार अनिवार्य परीक्षाएं आयोजित होंगी, तो फिर खेलों व अन्य युवा गतिविधियों को कब समय मिलेगा? यही कारण है कि महाविद्यालय स्तर पर आज खिलाडि़यों का अकाल पड़ गया है। खेलों के साथ-साथ एनएसएस तथा एनसीसी में भी विद्यार्थी ठीक से भाग नहीं ले पा रहे हैं। इसलिए प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ी विद्यार्थी को उस सेमेस्टर में चार के्रडिट देने की बात की है। राष्ट्रीय पदक विजेता को भी यही चार के्रडिट मिलेंगे। राज्य स्तर पर पहला व दूसरा स्थान पाने वाले खिलाड़ी विद्यार्थी को तीन तथा तीसरा स्थान पाने वालों को दो के्रडिट दिए जाते हैं। राज्य स्तर पर प्रतिनिधित्व करने पर भी विद्यार्थी खिलाड़ी को एक क्रेडिट मिलता है।

भारतीय विश्वविद्यालय का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व तथा अंतर विश्वविद्यालय स्तर पर पदक जीतने पर खिलाड़ी को चार क्रेडिट मिलते हैं। अंतर महाविद्यालय खेलों व युवा गतिविधियों में पहला व दूसरा स्थान प्राप्त करने पर तीन क्रेडिट तथा तीसरे स्थान पर आने वाले को एक क्रेडिट दिया जाता है। सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भारतीय विश्वविद्यालय स्तर के युवा उत्सव में पदक प्राप्त करने पर चार क्रेडिट कलाकार विद्यार्थी को मिलेंगे। इस स्तर पर भाग लेने वाले विद्यार्थी कलाकार को तीन क्रेडिट दिए जाएंगे। विश्वविद्यालय युवा उत्सव में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को दो क्रेडिट तथा इस स्तर पर केवल भाग लेने पर भी एक क्रेडिट मिलेगा। इसी तरह एनसीसी में भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भागीदारी के लिए चार क्रेडिट, गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने वाले कैडेट को तीन क्रेडिट मिलेंगे।

राष्ट्रीय स्तर पर भागीदारी तथा सी प्रमाणपत्र लेने वाले को दो तथा बी प्रमाणपत्र लेने वाले विद्यार्थी को एक के्रडिट मिलेगा। एनएसएस में इंदिरा गांधी अवार्ड विजेता तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाग लेने वाले विद्यार्थी को भी चार क्रेडिट मिलेंगे। गणतंत्र दिवस पर भाग लेने वाले को तीन के्रडिट दिए जाएंगे। राष्ट्रीय स्तर पर लगने वाले विभिन्न शिविरों तथा गणतंत्र दिवस के पूर्व लगे शिविर में भाग लेने वाले स्वयंसेवी को दो के्रडिट दिए जाएंगे। महाविद्यालय द्वारा लगाए गए सात दिवसीय शिविर में भाग लेने वालों को भी एक क्रेडिट मिलेगा। यह सुविधा हर सेमेस्टर में इस स्तर पर प्रतिनिधित्व करने वाले विद्यार्थियों को उपरोक्त नियमानुसार मिलेगी। एक सेमेस्टर में कुल अधिकतम 24 क्रेडिट विद्यार्थी प्राप्त कर सकता है और 20 क्रेडिट प्राप्त करने वाले विद्यार्थी को पास माना जाएगा। यानी तीन वर्षों में छह सेमेस्टरों में 120 के्रडिट प्राप्त करने वाले विद्यार्थी को ही स्नातक की उपाधि मिलेगी। एक सेमेस्टर में बीस प्रतिशत कैडेट उत्कृष्ट खिलाड़ी या अन्य युवा गतिविधियों के विद्यार्थी को मिल सकते हैं। इस निर्णय के बाद अब अगले सत्र से विद्यार्थी खेलों तथा अन्य युवा गतिविधियों में शिरकत करते नजर तभी आ सकते हैं, यदि उनके अन्य विषयों के प्राध्यापक भी उन्हें यह सब करने के लिए प्रोत्साहन देंगे। देखने में यह आ रहा है कि कई पिछड़े विचारों वाले अध्यापक विद्यार्थियों को उनके पूर्ण शारीरिक व मानसिक विकास में बाधा बनने का अधिकतर अवसरों पर मौका नहीं चूकते। आशा करते हैं कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले विद्यार्थियों के प्राचार्य तथा प्राध्यापक वर्ग पढ़ाई के साथ-साथ खेल तथा अन्य युवा गतिविधियों को भी बढ़ावा देकर संपूर्ण शिक्षा के अर्थ को राज्य में मूर्त रूप देंगे। राज्य में नई भाजपा सरकार आने के बाद रूसा प्रणाली में कुछ सुधार के आसार नजर आते हैं। सत्ता में आने से पूर्व भाजपा ने घोषणा पत्र में कहा था कि रूसा को खत्म कर दिया जाएगा और पहले वाला पाठ्यक्रम जारी किया जाएगा। अब शिक्षा मंत्री ने कहा है कि इस प्रणाली में सुधार किया जाएगा और वर्ष में केवल एक बार परीक्षा ली जाएगी यानी सेमेस्टर प्रणाली को खत्म कर दिया जाएगा।

अगर वर्ष में एक बार परीक्षा होगी तो फिर अंतर महाविद्यालय तथा अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं के समय परीक्षाओं की समस्या खत्म हो जाएगी। वर्ष में दो बार जब परीक्षा होती थी, तो अधिकतर खेल प्रतियोगिताएं अक्तूबर से लेकर जनवरी तक होती थीं। इसी वक्त पहले, तीसरे व पांचवें सेमेस्टर की परीक्षाएं भी आयोजित होती थीं। अब जब परीक्षा अपै्रल में एक बार होगी, तो स्नातक कक्षाओं के विद्यार्थियों को खेल तथा अन्य गतिविधियों में भाग लेने के लिए पूरा-पूरा मौका मिलेगा। अगर पहले जैसी ही परीक्षा की सेमेस्टर प्रणाली रहेगी, तो विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका खेल व अन्य गतिविधियों में कम ही मिलेगा। जो विद्यार्थी अपने दम पर खेल व अन्य युवा गतिविधियों में शिरकत करेंगे, उन्हें बोनस क्रेडिट का प्रावधान तो कर ही दिया गया है। शेष महाविद्यालय के प्राचार्य व शिक्षकों को भी खेलों व अन्य युवा गतिविधियों को बढ़ावा देने में अपना-अपना सार्थक योगदान देना चाहिए।


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