करोड़ों खर्चे…अब आराम फरमा रहीं लो-फ्लोर बसें
कुल्लू – जिला कुल्लू में परिवहन निगम द्वारा करोड़ों रुपए में खरीदी गईं लोअर फ्लोर बसें बेकार खड़ी हैं। डिपो में यह बसें अरसे से शोपीस बनकर रह गई हैं। कुल्लू डिपो में करीब 23 बसें वर्कशॉप पर खड़ी हैं। आलम यह है कि क्लस्टर के बाहर इन बसों के न चलने के बाद निगम इन्हें किसी अन्य रूटों पर नहीं चला रहा है। इसके चलते ये बसें धूल फांक रही हैं। कुल्लू डिपो की 38 में से 24 से अधिक बसें खड़ी हैं। निगम द्वारा इन बसों को किसी भी रूट पर नहीं चलाया जा रहा है। आलम यह है कि कुछ महीनों पहले तीन डिपो में क्लस्टर से बाहर के विभिन्न रूटों पर चलने वाली नीली बसों पर रोक लग गई थी, जिसके बाद क्लस्टर से बाहर चलने वाली लो फ्लोर बसों को चलाना निगम ने बंद कर दिया है अब ये बसें केवल शोपीस बनकर वर्कशाप और बस अड्डे पर खड़ी हैं। जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन के तहत (जेएनएनयूआरएम) हिमाचल प्रदेश में बारह सौ से अधिक बसें खरीदी गईं थीं। योजना के तहत इन बसों को शहरों में ट्रैफि क की भीड़ को कम करने के लिए चलाया जाना था। ये बसें शहरों और इसके आसपास के निर्धारित क्षेत्रों में चलाई जा सकती हैं, लेकिन एचआरटीसी ने इन बसों को दूरदराज और लंबे रूटों पर चलाना शुरू कर दिया। इसके बाद हाई कोर्ट ने इन बसों को क्लस्टर से बाहर चलाने पर रोक लगा दी थी। अब इन बसों को निगम अब अन्य रूटों पर नहीं चला रहा जिस कारण ये बसें खड़ी हैं। इन बसों को चलाने के लिए रूट परमिट नहीं हो पा रहे हैं। जानकारी के अनुसार कुल्लू डिपो में 13 बसें बड़ी और 2 बड़ी चलाई जार ही है। यह बसें कुल्लू-मनाली, कुल्लू-भल्याणी, कुल्लू-मणिकर्ण और मनाली मणिकर्ण चलाई जा रही है। हालांकि निगम ने ग्रामीण रूटों पर भी बसें चलाई थी, लेकिन पिछले कुछ समय से यह खड़ी हैं। इससे निगम प्रबंधन को भी करोड़ों का घाटा झेलना पड़ रहा है। वहीं, यात्रियों को भी सुविधा प्रदान नहीं हो पा रही है। ये बसें 35 सीटर हैं।
ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर खटारा बनी बसें
जिला कुल्लू की ऊबड़-खाबड़ सड़कें बसों को खटारा बना रही हैं। कुल्लू डिपो में पहुंची लो-फ्लोर बसें गड्ढों में तबदील सड़कों पर चलने से डैमेज हो रही हैं। इससे जहां परिवहन निगम कुल्लू डिपो को घाटा पड़ रहा है। वहीं, सवारियां भी धूल-मिट्टी से परेशान हो रही हैं। इन दिनों औट से लेकर मनाली तक फोरलेन का कार्य चला हुआ है। इसमें इनकी हालत और भी ज्यादा खस्ता हो रही है। हालांकि ये बसें जिला में ही चलाई जा रही हैं, लेकिन जिला की सड़कों की हालत ही दयनीय है। सड़कों की दशा को सुधारा नहीं जा रहा है। कुल्लू जिला में चलने वाली जेएनयूआरएम बसें ग्रामीण रूटों पर चलाई गई हैं। इनकी ऊंचाई कम है और ये गड़्ढों में फंस और पत्थरों में टक्कर रही हैं। जिला में मात्र कुल्लू-भुंतर सड़क की हालत ही थोड़ी ठीक है, लेकिन भुंतर-मणिकर्ण, कुल्लू-मनाली लैफ्ट बैंक, राइट बैंक, कुल्लू-लगवैली, कुल्लू-भेखली, कुल्लू-खराहल, कुल्लू-बस्तोरी, जाणा की हालत काफी नाजुक है।
नीली बसों की सीटों पर धूल ही धूल
मौजूदा समय में जो लो-फ्लोर बसें चल रही हैं उनकी हालत काफी नाजुक हैं। गड्ढों के झटकों ने उनके सीसे तोड़ दिया है। वहीं, कई जगह बसें डैमेज हो गई है। यही नहीं बसों की सीटों पर इतनी धूल-मिट्टी होती है कि उन पर बैठना मुश्किल हो गया है। यह निगम प्रबंधन की गलती नहीं है, यह सड़कों की दशा से ऐसी हो रही है।
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