क्रिकेट के हम ‘सिकंदर’

By: Feb 5th, 2018 12:10 am

विश्व चैंपियनों को बधाई! गर्व के लम्हे हैं…देश गदगद है…पांवों में फिरकियां समा गई हैं…ढोल-नगाड़े और मीठे जश्न हैं। फिलहाल क्रिकेट इंडिया अंडर-19 की चौथी बार विश्व चैंपियन बनी है। साल 2000, 2008, 2012 की यादें ताजा हो रही हैं। तब मोहम्मद कैफ, विराट कोहली और उन्मुक्त चंद की कप्तानी में हमने विश्व कप जीते थे। अब यह भी रिकार्ड है, क्योंकि कोई भी देश चार बार विश्व चैंपियन नहीं बना है। लेकिन हमारा मानना है कि क्रिकेट इंडिया ही इस खेल की ‘सिकंदर’ है। क्रिकेट इंडिया टेस्ट की नंबर वन है, एकदिनी क्रिकेट में भी दक्षिण अफ्रीका को पछाड़ कर नंबर वन बनने को है और अब अंडर-19 में भी हम ही ‘सिकंदर’ हैं। महिला क्रिकेट विश्व कप की उपविजेता है। यानी नंबर वन की दहलीज पर! सिर्फ टी-20 की बादशाहत कुछ फासलों पर है, हालांकि हम उसके भी सर्वप्रथम विश्व चैंपियन रह चुके हैं। यह यथार्थ वाकई विलक्षण, बेहतरीन, चकित कर देने वाला है कि आखिर क्रिकेट इंडिया सर्वोच्च स्थान पर पहुंची कैसे? आज हमारे पास गावस्कर, सचिव तेंदुलकर, सौरव गांगुली, लक्ष्मण और सदाबहार राहुल द्रविड़ सरीखे विश्व क्रिकेटर नहीं हैं, लेकिन उनकी सक्षम विरासत जरूर है। विराट कोहली, रोहित शर्मा, रहाणे, पुजारा और सदाबहार एमएस धोनी ने जो क्रिकेट खेली है, क्या वह पूर्व खिलाडि़यों की विरासत से आगे नहीं है? द्रविड़ विश्व चैंपियन बनने वाली टीम इंडिया के कभी भी सदस्य नहीं रहे, लेकिन उनकी कोचगिरी में हमने अंडर-19 का चौथा विश्व कप जीतकर एक नया इतिहास रचा है। शायद अब द्रविड़ की विश्व चैंपियन न बनने की कसक और पीड़ा समाप्त हो गई होगी! विराट कोहली ने भी अपनी यात्रा अंडर-19 के विश्व चैंपियन बनने के साथ शुरू की थी। युवराज सिंह, कैफ, उन्मुक्त और अब ‘प्लेयर ऑफ दि टूर्नामेंट’ शुभमन गिल, आलराउंडर शिवम मावी, नन्हा सचिन पृथ्वी शॉ, 14 विकेट लेने वाला अनुकूल रॉय, इशान, कमलेश और ‘मैन ऑफ दि फाइनल’ मनजोत कालरा भी अंडर-19 क्रिकेट की राष्ट्रीय देन हैं। कितनी लंबी और विविध क्रिकेट की पीढ़ी है! इनमें सर्वोच्च बल्लेबाज और गेंदबाज बनने का पूरा माद्दा है। अब हम आस्टे्रलिया, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड सरीखी विश्वस्तरीय टीमों को विदेशी जमीन पर भी शिकस्त देने में सक्षम हैं। लिहाजा हम ‘क्रिकेट के सिकंदर’ हैं। बल्लेबाजी और गेंदबाजी में टीम इंडिया के धुरंधर आज दुनिया में पहले या दूसरे स्थान पर हैं। पहले 10 खिलाडि़यों की सूची में तो कई ‘भारतीय क्रिकेटर’ हैं। आज स्पिन की ऐतिहासिक तिकड़ी बेदी-प्रसन्ना-चंद्रशेखर एक लंबा अतीत बन चुकी है। अनिल कुंबले और हरभजन सिंह की भी याद नहीं आती। एक दौर में गेंदबाजी के विश्व कीर्तिमान धारी कपिल देव की ‘छाया’ उन गेंदबाजों में देखी जाती रही है, जो 140 या अधिक की गति से गेंदबाजी कर रहे हैं। कारण, आज हमारे पास गेंदबाजों का वैविध्य है और अंडर-19 से भी होनहार गेंदबाज आ रहे हैं। भारत को 1983 में पहली बार विश्व चैंपियन बनाने वाले कप्तान कपिल देव का तो मानना है कि क्रिकेट की नई पीढ़ी सामने आ गई है। कुछ समय के बाद वही भारत की राष्ट्रीय टीम होगी। अंडर-19 के कोच राहुल द्रविड़ का मानना है कि यह याद लंबे समय तक खिलाडि़यों के जहन में रहेगी, लेकिन सिर्फ यही एक याद उनके करियर को परिभाषित नहीं करेगी। उन्हें अधिक बड़ी और बेहतर चुनौतियों का सामना आगे करना है। यही भाव हमारा भी है। टीम इंडिया की विश्व-जीत पर प्रधानमंत्री मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर महानायक अमिताभ बच्चन ने बधाई दी है और गर्व महसूस किया है। ‘भारत रत्न’ सचिन तेंदुलकर ने बेहतरीन खेल की प्रशंसा की है और शुभकामनाएं भी दी हैं, लेकिन सचेत भी किया है कि यहीं से उनकी खेल यात्रा शुरू होनी है, जिसमें संघर्ष भी होगा। दरअसल क्रिकेट हमारा कभी भी राष्ट्रीय खेल नहीं रहा। हाकी आज भी हमारा सरकारी, राष्ट्रीय खेल है, लेकिन आज क्रिकेट गली-मोहल्ले-पार्क का खेल बन गया है। अंडर-19 के कई खिलाड़ी औसत और गरीब परिवारों से आते हैं। आज उन्हें ‘सिकंदर’ बनने पर 30-30 लाख रुपए देने की घोषणा बीसीसीआई ने की है। कोच द्रविड़ को भी 50 लाख रुपए दिए जाएंगे। सपोर्ट करने वाला स्टाफ भी सम्मानित होगा। आज क्रिकेट में आईपीएल के जरिए खिलाड़ी लाखों-करोड़ों रुपए कमा सकते हैं। यानी क्रिकेट पेशेवर भी है और राष्ट्रीय सम्मान की प्रतीक भी। इस खेल से देश की जनता भावनात्मक स्तर पर जुड़ी है, लिहाजा प्रेरणाएं पाकर हम उन देशों को पराजित कर रहे हैं, क्रिकेट जिनका राष्ट्रीय खेल रहा है, बल्कि क्रिकेट का उद्गम ही उन देशों से हुआ है।


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