जनवरी में 244 ने गंवाई जान
हिमाचल में नहीं थम रहा सड़क हादसों का सिलसिला
पालमपुर— प्रदेश की सर्पीली सड़कों की अनेक जगह खराब हालत और उस पर तेज रफ्तारी का जुनून सड़क हादसों का सबब बन रहा है। पिछले चार वर्षाें से प्रदेश सालाना तीन हजार से अधिक सड़क दुर्घटनाओं का गवाह बन रहा है, जिसमें एक हजार से अधिक लोग प्रतिवर्ष जान गंवा चुके हैं। नए साल का आगाज भी कुछ ऐसा ही रहा है और जनवरी माह में प्रदेश में सड़क दुर्घटनाएं विभिन्न थानों में दर्ज हुई हैं। जानकारी के अनुसार इन सड़क हादसों में पहले ही माह में 244 लोगों की मौत हो गई, जबकि 379 लोग घायल हुए। पहले माह में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं जिला कांगड़ा में दर्ज की गई हैं,जहां यह आंकड़ा 48 रहा है। इस सूची में 42 के आंकड़े के साथ जिला शिमला दूसरे तो 27 सड़क हादसों के साथ जिला मंडी तीसरे स्थान पर रहा है। प्रदेश में जहां हर रोज औसतन करीब आठ सड़क हादसे सामने आए वहीं जिला कांगड़ा और जिला शिमला में 40 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं दर्ज हुई। जनवरी माह में केवल दो जिला ऐसे रहे जहां सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ दस से कम रहा। जिला लाहुल-स्पीति में सड़क हादसे का एक तो जिला किन्नौर में चार मामले दर्ज हुए। राष्ट्रीय स्तर पर हुए एक सर्वे के अनुसार प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में सड़क हादसों का ग्राफ अधिक रह रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात नियमों के पालन में बरती जा रही कोताही को कारण माना जाए या फिर इन क्षेत्रों में सड़कों की खस्ताहालत को दोष दिया। प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क हादसों का ग्राफ शहरी क्षेत्रों से कहीं अधिक है। अधिक संख्या में दुर्घटनाओं के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में दुर्घटनाओं में मारे जाने वाले लोगों की तादाद भी ज्यादा रह रही है। यातायात नियमों के पालन को लेकर प्रदेश भर में समय-समय पर चलाए जा रहे जागरुकता अभियानों के बावजूद सड़क हादसों और उनमें जान गंवाने वालों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। दोपहिया वाहनों को तेज रफ्तार से चलाने का जुनून पाल रहे विशेषकर स्कूल व कालेज के युवा दुर्घटनाओं को न्योता दे रहे हैं और असमय मौत का ग्रास बन रहे हैं।
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