पदक विजेताओं को मिले वजीफे का सहारा

By: Feb 16th, 2018 12:07 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

सरकार आगामी बजट में गैर सरकारी प्रयासों से पदक विजेता खिलाडि़यों, जो किसी खेल छात्रावास में नहीं रहे हैं, उनके लिए उचित वजीफे का प्रबंध करे। साथ ही साथ सरकार खेल तथा शिक्षा विभाग के माध्यम से यह सुनिश्चित करवाए कि उसके नियुक्त प्रशिक्षक व शारीरिक शिक्षा के शिक्षक अच्छे खिलाड़ी तैयार करें…

हिमाचल प्रदेश की महिला खिलाडि़यों ने जनवरी के पहले सप्ताह में वरिष्ठ राष्ट्रीय महिला कबड्डी प्रतियोगिता में बाजी मारी। उसके बाद राष्ट्रीय फेडरेशन कप में भारतीय रेलवे से हार कर रजत पदक पर कब्जा फिर भी जमा लिया। टीम में खेलने वाली लगभग सभी महिला खिलाड़ी भारतीय खेल प्राधिकरण या राज्य खेल विभाग के छात्रावासों में प्रशिक्षण कार्यक्रम से निकली थीं, मगर पिछले सप्ताह तमिलनाडु के शहर तिरुअन्नामलाई में आयोजित राष्ट्रीय वरिष्ठ महिला हैंडबाल प्रतियोगिता में पहली बार हिमाचली बालाओं ने रजत पदक जीतकर प्रदेश का नाम रोशन किया। ये सभी खिलाड़ी एक ही निजी स्वयंसेवी प्रशिक्षण कार्यक्रम का उपहार प्रदेश के लिए हैं। इससे पहले हिमाचल-2017 में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पांचवें तथा 2016 में सातवें स्थान पर रहा था।

2016 से पहले हिमाचल की महिला टीम राष्ट्रीय स्तर पर एक भी मैच शायद ही निकाल पाई हो। इस बार की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिमाचल ने प्रारंभिक तौर पर महाराष्ट्र को हराकर दूसरे दौर में जम्मू-कश्मीर की महिला टीम को मैच छोड़ने पर मजबूर कर दिया। प्री-क्वार्टर फाइनल में मणिपुर को हराकर पहली बार अंतिम आठ टीमों में हिमाचल ने जगह बना ली। उसके बाद पंजाब की शक्तिशाली टीम को 27 के मुकाबले 32 अंकों से धूल चटाकर हिमाचल सेमीफाइनल में प्रवेश कर गया। यहां पर हरियाणा को हराकर हिमाचल ने फाइनल मुकाबला जोरदार तरीके से भारतीय रेलवे के साथ लड़ा, मगर 27 के मुकाबले हिमाचल 25 अंक लेकर रजत पदक ही ले पाया। इस जीत में सोलन जिला की निधि ने पूरे टूर्नामेंट में 72 गोल अकेले डालकर अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। गोलकीपर दीक्षा ठाकुर ने कई गोल बचाकर हिमाचल को रजत पदक दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस टीम से खेलते हुए मिनिका, दीपा, शालिनी, शैलजा तथा प्रियंका ने भी उम्दा खेल का प्रदर्शन करते हुए चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा। इसी वर्ष होने वाली एशियाई खेल, जर्काता के लिए लगने वाले राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में हिमाचल की कई खिलाड़ी देखी जा सकेंगी। इससे पहले 2010 राष्ट्रमंडल खेल नई दिल्ली के लिए राष्ट्रीय एथलेटिक्स शिविर में हिमाचल प्रदेश की तरफ से हमीरपुर एथलेटिक्स प्रशिक्षण शिविर की पांच धाविकाएं चयनित हुई थीं।

हमीरपुर का प्रशिक्षण शिविर भी उस समय स्वयंसेवियों द्वारा ही चलाया जा रहा था। इस वर्ष राष्ट्रमंडल खेलों के लिए लगे राष्ट्रीय मुक्केबाजी प्रशिक्षण शिविर में सुंदरनगर प्रशिक्षण केंद्र के दो मुक्केबाज पटियाला में प्रशिक्षण ले रहे हैं। सुंदरनगर भी बिना खेल छात्रावास के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय  स्तर के मुक्केबाज दे रहा है। हिमाचल प्रदेश में महिला हैंडबाल को ऊंचाई पर ले जाने के लिए हमें स्नेहलता के स्वयंसेवी जज्बे को सलाम करना होगा। स्नेहलता पूर्व अंतरराष्ट्रीय हैंडबाल खिलाड़ी हैं, जो तीन बार राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में रहकर 2012 में चीन के शहर ह्यांग में आयोजित बीच एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र वरिष्ठ महिला हैंडबाल खिलाड़ी हैं। खेल आरक्षण के अंतर्गत स्नेहलता को स्कूली प्रवक्ता का पद मिला है। अपने स्कूली शिक्षण के बाद वह सवेरे-शाम अपने घर के पास प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाती हैं। पहले वह सोलन के नवगांव में थीं, तो वह प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए हुए थीं। उसके बाद जब उसका तबादला मोरसिंघी में हुआ, तो वह वहां पर अपने पिताजी से एक खेत लेकर एक किनारे पर मकान तथा शेष में हैंडबाल फील्ड बनाकर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए हुए हैं। इस सब में स्नेहलता के पति सचिन चौधरी, जो स्वयं अंतरराष्ट्रीय हैंडबाल खिलाड़ी हैं, मदद करते हैं। स्नेहलता ने जो नया मकान बनाया है, उसके एक कमरे में स्वयं तथा शेष घर में लगभग दो दर्जन लड़कियों को ठहरा कर उनके उचित आहार की भी व्यवस्था स्वयं ही करती हैं। अधिकतर लड़कियां गरीब घरों से संबंध रखती हैं। उन्हें घर से केवल हजार से दो हजार रुपए खर्च मिलता है, जबकि किसी खिलाड़ी को डाइट मनी और अन्य खर्चों के लिए कम से कम दस हजार रुपए महीना चाहिए होते हैं। खेल प्रेमियों की मदद से स्नेहलता हर महीने अपनी खिलाडि़यों के लिए यह प्रबंध भी करती है। जहां आज खेल छात्रावासों में सरकारी रिहायश, सरकारी डाइट मनी, खाना बनाने वाले, मैदान कर्मचारी, वार्डन तथा प्रशिक्षक सभी सरकारी पे रोल पर होते हैं। इस तरह वर्ष में एक खेल छात्रावास चलाने में सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है और उसके खेल परिणाम सबके सामने स्नेहलता के प्रशिक्षण कार्यक्रम के आगे फीके ही हैं। आज शायद ही ऐसा उदाहरण देखने को मिले, जहां एक परिवार अपने नए बने घर को खेल छात्रावास में बदल देता है और स्वयं दो कमरों में रहता है। स्नेहलता का यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आज हिमाचल का नाम स्कूली राष्ट्रीय, कनिष्ठ राष्ट्रीय व अंतर विश्वविद्यालय हैंडबाल प्रतियोगिता की पदक तालिका में हर जगह चमका रहा है। सरकार को चाहिए कि आगामी बजट में इस तरह के पदक विजेता खिलाडि़यों, जो किसी खेल छात्रावास में नहीं रहे हैं, उनके लिए उचित वजीफे का प्रबंध करे। साथ में सरकार खेल तथा शिक्षा विभाग के माध्यम से यह सुनिश्चित करवाए कि उसके नियुक्त प्रशिक्षक व शारीरिक शिक्षा के शिक्षक जो प्रति वर्ष करोड़ों रुपए का वेतन ले रहे हैं, प्रदेश में खिलाड़ी तैयार करें तथा हर विद्यार्थी की फिटनेस पर ध्यान दें।


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