मणिशंकर को भारत की जनता दे जवाब

By: Feb 17th, 2018 12:10 am

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री

लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं

इधर, जब सीमा पर पाकिस्तान के साथ घमासान मचा हुआ है और सेना के शिविरों पर हमले हो रहे हैं, भारतीय सैनिक और पुलिस बल देश की रक्षा के लिए अपना ख़ून बहा रहे हैं , ठीक उसी समय सीमा के दूसरी ओर भारत का ही एक व्यक्ति जो मंत्री रह चुका है, दुनिया भर को बता रहा है कि पाकिस्तान तो शांति चाहता है और भारत से वार्ता करना चाहता है, लेकिन भारत सरकार की ही  कोई रुचि दिखाई नहीं देती। मणिशंकर के इस वक्तव्य पर पाकिस्तान के लोग तालियां पीट रहे हैं और मणिशंकर भयानक हंसी हंस रहे हैं…

पाकिस्तान पिछले कुछ अरसे से केवल नियंत्रण रेखा का ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा का भी उल्लंघन कर रहा है । वह सीमांत ग्रामीण क्षेत्रों पर गोलाबारी कर सामान्य नागरिकों को भी मार रहा है । ऐसा नहीं कि वह इससे पहले सीमा रेखा पर गोलाबारी नहीं करता था, लेकिन इस बार उसकी मारक शक्ति बढ़ी है। वह उन हथियारों का भी प्रयोग कर रहा है, जो उसने अफगानिस्तान के तालिबान से निपटने के लिए अमरीका से लिए थे। इस गोलाबारी में सीमांत के गांवों में रहने वाले कुछ साधारण नागरिक भी मारे गए हैं। पिछले दिनों जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने जम्मू के सुंजुवान  में सेना के कैंप पर हमला किया। इस हमले में पांच जवान और एक सिविल व्यक्ति शहीद हो गया। इस कैंप में सैनिकों के परिवार रहते हैं । आतंकवादी शिविर के पीछे से घुसे थे। चारों आतंकवादी भी इस हमले में मारे गए। आतंकवादी भारतीय सेना की वर्दी में ही शिविर में घुसे थे ।  इस हमले में पाकिस्तान का हाथ है, ऐसा भारत का मानना है। उसके दूसरे ही दिन लश्कर-ए-तोएबा के आतंकवादियों ने श्रीनगर स्थित केंद्रीय आरक्षित पुलिस बल पर हमला कर एक जवान को शहीद कर दिया। सुरक्षा बलों की चौकसी के चलते आतंकवादी कैंप के अंदर घुसने में सफल नहीं हुए।  जम्मू में  वह शिविर के अंदर घुसने में तो कामयाब हो गया, लेकिन अंदर घुस कर आगे की कार्रवाई करने में सफल नहीं हुआ । गुरिल्ला युद्ध में यह कहा ही जाता है कि जो अचानक हमला करता है वह पहली सफलता तो प्राप्त कर लेता है, लेकिन उसकी असली सफलता तब मानी जाती है यदि वह उसके बाद बड़ी कार्रवाई में भी सफल हो जाता है । भारतीय सुरक्षाबलों की चौकसी के कारण, इसमें पाकिस्तान को सफलता नहीं मिल रही है। इसलिए उसकी छटपटाहट बढ़ी है। सेना के शिविरों पर हमले उसकी इसी छटपटाहट की ओर ही संकेत कर रहे हैं। पाकिस्तान यह अच्छी जानता है कि सीमा पर इस प्रकार की कार्रवाइयों से वह भारत को परास्त नहीं कर सकता। जम्मू- कश्मीर पुलिस और भारतीय सेना ने पाकिस्तान से आए हुए सर्वाधिक आतंकवादियों को मार गिराया है। उनके अनेक सरगना मारे गए हैं। आतंकवादियों का मनोबल भी गिर रहा है। एक के बाद एक सैन्य शिविरों पर हमला करके पाकिस्तान अपने आतंकवादी रंगरूटों का मनोबल बढ़ाने का ही प्रयास कर रहा है।

लेकिन सीमा रेखा पर छिटपुट मुठभेड़ तो इतने साल से चली ही आ रही थी। अब की बार पाकिस्तान में इतनी छटपटाहट किस लिए है ? पाकिस्तान की हरकतों से लग रहा है कि इस बार वह अपनी सारी ताकत एक साथ झोंक रहा है । दरअसल इससे पूर्व सरकारों की जम्मू- कश्मीर में पाकिस्तान से निपटने की कोई समग्र रणनीति नहीं थी। पाकिस्तान से दोस्ती भी करनी है  और उसकी दुश्मनी का माकूल उत्तर भी देना है, भारत सरकार उलझन से पैदा हुई इसी धार पर कदमताल करती रही। इससे पाकिस्तान को भी लाभ था। वह अपनी जनता को बता सकता था कि उसने भारत को नाकों चने चबा रखे हैं। भारत सरकार का भी हित इसी में था, वह अपने लोगों को बता सकती थी कि घाटी में शांति बहाल कर रखी है, बीच में कभी-कभार एक घटना हो जाती है, जिसे जल्दी ही काबू कर लिया जाता है ।

लेकिन अब देश में भाजपा सरकार है। उसने पाकिस्तान समस्या का हल ढूंढने के लिए बीच वाला भ्रमोत्पाक रास्ता छोड़ दिया है। सीमा पर गोली का जवाब सख्ती से दिया जा रहा है। जैसे को तैसा वाली नीति अपनाई गई है। सीमांत क्षेत्र के गांव तक यह कहते हैं कि पहली बार पाकिस्तान की ओर से की जा रही गोलाबारी का सही उत्तर दिया जा रहा है। भारत की जवाबी कार्रवाई  से पाकिस्तान का भारी नुकसान हुआ है, लेकिन पाकिस्तान सरकार यह सब कुछ कभी स्वीकार नहीं करेगी, जिस प्रकार उसने सर्जिकल स्ट्राइक की पिटाई को अनुभव तो किया था, लेकिन स्वीकारा नहीं था। लेकिन पाकिस्तान के लोगों को तो इस आंच का सेंक लगता ही है, इसलिए वहां बेचैनी फैलती है। यही बेचैनी पाकिस्तान की सरकार और उसकी सेना को एक साथ प्रश्नित करती है। पाक सरकार के पास इसका कोई उत्तर नहीं होता। उसी हाहाकार से पाकिस्तान की चिंता बढ़ती है और वह भारतीय सीमा पर गोलाबारी बढ़ाता है और शहीद हुए भारतीय सैनिकों की संख्या बता कर अपने देशवासियों को संतुष्ट करने का प्रयास करता है।

इस मौके पर पाकिस्तान को किसी ऐसे भारतीय की तलाश रहती है, जो वहां जाकर भारत को दोषी ठहरा सके। सेना के फ्रंट पर तो पाकिस्तान सफलता प्राप्त नहीं कर सका, लेकिन इस दूसरे फ्रंट पर उसे अवश्य सफलता मिली है। उसने कराची साहित्य उत्सव में भाग लेने के नाम पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर को पाकिस्तान में बुलाया। पाकिस्तान जाकर मणिशंकर ने वही सब कुछ बोला, जो इस लड़ाई में पाकिस्तान को अनुकूल लगता है। इधर, जब सीमा पर पाकिस्तान के साथ घमासान मचा हुआ है और सेना के शिविरों पर हमले हो रहे हैं, भारतीय सैनिक और पुलिस बल देश की रक्षा के लिए अपना ख़ून बहा रहे हैं , ठीक उसी समय सीमा के दूसरी ओर भारत का ही एक व्यक्ति जो मंत्री रह चुका है, दुनिया भर को बता रहा है कि पाकिस्तान तो शांति चाहता है और भारत से वार्ता करना चाहता है, लेकिन भारत सरकार की ही  कोई रुचि दिखाई नहीं देती। मणि शंकर के इस वक्तव्य पर पाकिस्तान के लोग तालियां पीट रहे हैं और मणिशंकर भयानक हंसी हंस रहे हैं। रेणुका चौधरी की हंसी से भी भयानक हंसी। भारतीय सेना पाकिस्तान को तो जवाब दे सकती है और दे भी रही है, लेकिन मणिशंकर अय्यर को जवाब तो भारत की जनता ही दे सकती है, सेना नहीं । पाकिस्तान से खतरे का मुकाबला तो हो सकता है और हो भी रहा है, लेकिन कांग्रेस के मणिशंकर अय्यरों का मुकाबला कौन करेगा? जिस दिन मणिशंकर अय्यरों को सबक सिखा देने की कला भारत के लोग सीख जाएंगे,  उस दिन पाकिस्तान की कमर टूट जाएगी। जम्मू- कश्मीर समस्या का यह मणिशंकर अय्यर वाला पेंच है, जिसे निकालना ही होगा ।

ई-मेल : kuldeepagnihotri@gmail.com


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