लखनऊ आकर यादें ले जाती हूं

By: Feb 25th, 2018 12:15 am

मॉडलिंग की गलियों से लेकर हिंदी सिनेमा तक का सफर तय करने वाली गौहर खान आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। टीवी, थियेटर और फिल्म हर मीडियम में गौहर ने काम किया है। वह उन अदाकाराओं में से हैं, जो लीक से हटकर फैसले करती हैं और फैसले की इस आजादी को ही वह महिलाओं का असली सशक्तिकरण मानती हैं। रॉकेट सिंह फिल्म करने के बाद मुंबई छोड़कर थियेटर शो जंगूरा के लिए गुड़गांव(अब गुरुग्राम) में तीन साल गुजारने वाली गौहर का लखनऊ से भी खास रिश्ता है। पिछले दिनों एक फैशन इवेंट के सिलसिले में वह लखनऊ आईं तो हमारे साथ उन्होंने शेयर कीं कई दिलचस्प बातें।

याद है वह लखनऊ की सर्दी

यूपी से मेरा खास रिश्ता है। पापा की फैमिली रामपुर की है तो कहीं न कहीं मेरा नाता भी यूपी से है और लखनऊ तो यूपी की जान है। अकसर लखनऊ मेरा आना-जाना रहता है। इन दिनों फैशन इवेंट और कारपोरेट शोज के लिए यहां आती रहती हूं। लखनऊ जब आती हूं, तब यहां से खूबसूरत यादें लेकर जाती हूं। मेरी फिल्म इशकजादे यहीं शूट हुई थी। मुझे याद है सेट पर हम सब एक साथ खाना खाते थे। शूट चाहे कितनी भी दूर हो टुंडे के कबाब जरूर खाने के डिब्बे में होते थे। उस वक्त की सर्दी को मैं कभी नहीं भूल सकती हूं। मैं जिस वक्त ‘झल्ला वल्ला’ गाने की शूटिंग कर रही थी, तब दो डिग्री तापमान था। मैं हर शॉट के बाद भागकर हीटर के पास आ जाती थी। सर्दी में मेरी बैंड बज गई थी।

एक्ट्रेस को भी हीरो बनने का मौका मिल रहा है

रॉकेट सिंह, इशकजादे, बद्रीनाथ की दुल्हनिया, बेगमजान सहित कई फिल्मों में नजर आ चुकीं गौहर कहती हैं की ‘बेगमजान’ को मैं वूमन सेंट्रिक फिल्म नहीं कहूंगी। यह फिल्म हिस्टॉरिकल थी लेकिन हां इसमें कुछ औरतों की कहानी थी इसलिए इसे वूमन ओरिएंटेड फिल्म कहा गया। अच्छी बात यह है कि अब महिला प्रधान फिल्में बनना शुरू हो गई हैं। अब ऐसी फिल्में बन रही हैं, जिसमें एक्ट्रेस हीरो होती हैं। बेगमजान में जहां तक काम करने का सवाल है तो मुझे जब विद्या बालन जी का मैसेज मिला कि रुबीना के किरदार के लिए हम तुम्हें चाहते हैं तो मुझे बहुत खुशी हुई। बहुत ही खूबसूरती के साथ इसे बनाया गया था। सभी ने फिल्म में बहुत ज्यादा मेहनत की थी।

बिजनेस पर मैं कामेंट नहीं कर सकती

‘बेगमजान’ की असफलता के बारे में गौहर कहती हैं कि फिल्म के बिजनेस पर कामेंट करना मेरा काम नहीं है। फिल्म हिट होगी या फ्लॉप यह प्रेशर मेरा नहीं होता है। कई फिल्में और आई हैं, जो बॉक्स आफिस पर भले ही न चली हों लेकिन लोगों को बहुत पसंद आईं। रॉकेट सिंह या फिर ‘चॉक ऐंड डस्टर’ की बात करें तो यह भी बॉक्स आफिस पर नहीं चली थीं, लेकिन ये फिल्में बहुत अच्छी थीं। इन्हें खूब तारीफें मिली थीं। कई जगह थियेटर में ‘बेगमजान’ को दर्शकों ने स्टैंडिंग ओवेशन दिया था। एक एक्टर के तौर पर मेरे लिए यह मायने रखता है कि फिल्म में मेरा किरदार क्या है और कितना स्ट्रांग है। रूबीना के किरदार को मैंने पूरी शिद्दत से जिया। लकी रही कि इस किरदार के लिए मुझे बहुत प्रशंसा भी मिली। मुझे गर्व है कि मैं ‘बेगमजान’ का हिस्सा बनी। ‘बेगमजान’ के बाद मुझे उसी तरह के रोल ऑफर हुए, लेकिन मैं किसी किरदार को दोबारा रिपीट नहीं करना चाहती हूं।

बस अच्छा काम करना चाहती हूं

टीवी पर ‘बिग बॉस सीजन- 7’ की विनर रह चुकी गौहर कहती हैं कि मैं एक्टर हूं। पिछले कई साल से टीवी, फिल्म और थियेटर में काम कर रही हूं। ऐसा नहीं है कि अब मैं टीवी नहीं करना चाहती हूं। मैं टीवी जरूर करूंगी अगर कोई लीड और अलग तरह का रोल मिलेगा। टीवी हो या फिल्म, मैं हर तरह के मीडियम में काम करना चाहती हूं।

मुझे कोई शिकायत नहीं

गौहर कहती हैं कि जब मैं ‘झलक दिखलाजा’ कर रही थी, उस वक्त मुझे ‘रॉकेट सिंह’ का ऑफर आया था। पांच ऑडिशन के बाद मेरा फिल्मों में काम करने का सपना सच हुआ था। फिर मुझे ‘जंगूरा’ जैसा थियेटर करने का मौका मिला। मैंने ‘जंगूरा’ के लिए मुंबई छोड़ दिया और तीन साल गुरुग्राम में रही। सब मना करते रहे, लेकिन मैंने फैसला कर लिया था। फिर लोगों ने कहा कि आयटम नंबर मत करना इमेज बन जाएगी पर मैंने वे भी किए। लोगों की बातों के परे जाकर मैंने अपने फैसले लिए और सही मायने में यही हम औरतों का सशक्तिकरण है। हर एक्टर की तरह मैं भी संजय लीला भंसाली, इम्तियाज अली या फिर मणिरत्नम जैसे फिल्म मेकर्स के साथ काम करना चाहती हूं।


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