विवाह के दर्शन में बदलाव की जरूरत

By: Feb 3rd, 2018 12:05 am

कला से अध्यात्म तक

किस्त-21

गुरुओं, अवतारों, पैगंबरों, ऐतिहासिक पात्रों तथा कांगड़ा ब्राइड जैसे कलात्मक चित्रों के रचयिता सोभा सिंह पर लेखक डॉ. कुलवंत सिंह खोखर द्वारा लिखी किताब ‘सोल एंड प्रिंसिपल्स’ कई सामाजिक पहलुओं को उद्घाटित करती है। अंग्रेजी में लिखी इस किताब के अनुवाद क्रम में आज पेश हैं विवाह पर उनके विचार:

-गतांक से आगे…

अब जमाना बदल चुका है तथा हमारा समाज पुरुष प्रधान है। पुरुष हर जगह अपनी इच्छा की तुष्टि चाहता है, परंतु अगर उसकी पत्नी या बहन ऐसा करती है, तो क्या वह इसे बर्दाश्त करेगा। मूल्य बदलते रहते हैं, लेकिन किसी भी बदलाव को रचनात्मक होना चाहिए। समय को चीजों में सुधार करना चाहिए। पुनर्निर्माण की बजाय हम अपकर्ष की ओर जा रहे हैं। विवाह के हमारे दर्शन में बदलाव की जरूरत है। पश्चिमी देशों के लोग वैयक्तिक स्वतंत्रता का आनंद लेने में लगे रहते हैं। वे मिडिस्ट्स, हिप्पीज, पंक्स व कई और कुछ का अनुभव लेने में लगे रहते हैं। वे अभी भी दूर हैं और उन्हें अपना ठिकाना खोजना व वहां तक पहुंचना है। महिला को गृह लक्ष्मी का रुत्बा देने से ही लक्ष्य पूर्ण होने वाला नहीं है। अभिभावकों को अपनी बेटियों को पढ़ाना मात्र नहीं है, उन्हें उसको अच्छी लड़की बनाना है। जो अच्छी लड़की नहीं है, वह कभी अच्छी पत्नी व अच्छी मां नहीं बन सकती। लड़कों पर भी यही बात लागू होती है। हम क्या करते हैं, हम शादी के समय दुल्हन को नाक में डालने के लिए सोने की बाली व पैरों में डालने के लिए चांदी की पाजेब दे देते हैं। नाक व पैरों को दुल्हन की तरह सजाकर हम उसे जीवन भर के लिए दास बना देते हैं। कई बार माता-पिता उसे यह भी नहीं सिखा पाते कि उसका भी अपना एक दोस्त होना चाहिए। दोस्त बनाने की कला में निपुणता न होने के कारण वह अपने दर्जनों शत्रु बना लेती है। भिन्न-भिन्न स्थितियों से निपटने के लिए भी उसे कोई प्रशिक्षण नहीं मिल पाता है। उसके पास विकल्पों की ज्यादा स्वतंत्रता नहीं होती। पुरुष को केवल एक ही भूमिका निभानी होती है। यह महिला से अलग होती है। दूसरी ओर महिला को एक ही समय में पुत्री, पत्नी व मां की अलग-अलग भूमिकाएं निभानी होती हैं। उसमें अलग-अलग भूमिकाएं निभाने की क्षमता होनी चाहिए और अभिभावकों का कर्त्तव्य है कि वे उसमें यह क्षमता विकसित करे। हमारे दिमाग में हमारे अभिभावकों, समाज व नेताओं ने जो गंदगी भर दी है, उसे बाहर फेंकने की जरूरत है ताकि हम अपने वैवाहिक जीवन का पूरा आनंद ले सकें। ‘लास्ट होरिजन’ में दिए गए इस संदेश को हमें हमेशा अपने दिमाग में रखना चाहिए कि जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण सिद्धांत संयम है। एक महिला के लिए यह जरूरी है कि वह अपने पति के लिए अपना आकर्षण कम होने की इजाजत कभी नहीं देती। एक चीनी लड़का अपने होटल की महिला वेटर से इश्क के चक्कर में पड़ गया। उसकी मां ने बस यह किया कि महिला वेटर को अपने दूसरे होटल में तबदील कर दिया तथा अपनी पुत्रवधू से सिर्फ यह कहा, ‘एक पुरुष गधा या फिर बहुधा घोड़ा होता है, परंतु महिला के पास तो भीतरी शक्ति होती है। अगर तुमने अपने पति के प्रति अपना आकर्षण न खोया होता, तो मजाल है कि वह दूसरी महिला की ओर आकर्षित हुआ होता।’ यहां तक कि प्रेम विवाह भी विफल हो जाते हैं क्योंकि चीजें केवल भौतिक स्तर पर टिकी हुई थीं। शरीर की सीमा से बाहर निकल कर अगर प्रेम का विकास होता रहे, तो इससे सद्भावना पैदा होगी। अन्यथा शादी विफल हो जाती है। सामान्यतः हम देखते हैं कि शादी एक जिम्मेवारी में तबदील हो जाती है और वह इसके अलावा कुछ नहीं रह पाती। तब सारा आकर्षण खत्म हो जाता है। यह हैरानीजनक होगा अगर भौतिक विकास के साथ-साथ शादी का मानसिक पहलू भी समृद्ध हो जाए। एक महिला को यह समझना चाहिए कि वह पुरुष की सिल्वर बार्डर होती है। वह जब उसके साथ होती है, तो वह मर्यादा की सीमा में रहता है। उसे किसी न किसी रूप में उसके साथ हमेशा होना चाहिए तथा उसे यह कला आनी चाहिए।                         -क्रमशः


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App