बिजली महंगी की तो होगी दिक्कत

By: Mar 16th, 2018 12:01 am

विद्युत बोर्ड के दरें बढ़ाने के प्रस्ताव से सीमेंट कारोबारी परेशान

शिमला – हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग जल्दी ही अगले वित्त वर्ष का टैरिफ घोषित कर देगा। इससे पहले यहां सीमेंट उद्योग की धुकधुकी बढ़ गई है, क्योंकि नए टैरिफ के लिए बिजली बोर्ड ने सीमेंट उद्योगों को दी जाने वाली बिजली का रेट बढ़ाने की सिफारिश की है। हालांकि इस पर अभी क्या फैसला होगा, यह जल्द सामने आएगा, परंतु बोर्ड ने इनकी दरों को पहले से बढ़ाने का प्रस्ताव नियामक आयोग को भेजा है। इससे सीमेंट उद्योग कंपनियां चिंतित हैं। इनका कहना है कि प्रदेश में बिजली के कम दामों की वजह से यहां पर सीमेंट उद्योग अपना विस्तार कर रहे हैं, लेकिन यदि बिजली की दरें बढ़ती हैं, तो उनके लिए परेशानी होगी। राज्य बिजली बोर्ड ने प्रस्ताव किया है कि सीमेंट उद्योगों का 30 रुपए प्रति किलोवॉट (केवी) रेट बढ़ाया जाए। इस श्रेणी के उद्योगों की ओर से सरकार के समक्ष तर्क रखा गया है कि राजस्थान व पंजाब में कई प्रकार के दूसरे टैक्स बहुत कम हैं। हिमाचल में सस्ती बिजली के कारण ही उद्योग काम करने के लिए आते थे, लेकिन अब सरकार सस्ती बिजली की सुविधा छीन रही है। ऐसे में सीमेंट उद्योग के लिए सालाना करीब 1200 करोड़ रुपए का कर चुकाना संभव नहीं है। बिजली बोर्ड सीमेंट उद्योग से 17 रुपए विद्युत शुल्क लेती है अन्य उद्योगों से 13 रुपए ड्यूटी ली जाती है। बता दें कि एशिया में हिमाचल प्रदेश ऐसा एकमात्र राज्य है, जहां पर ढुलाई मालभाड़ा यानी फे्रट रेट 8.50 रुपए प्रति किलोमीटर सर्वाधिक है। सरकार की ओर से घोषित फ्रेट रेट चार रुपए प्रति किलोमीटर है। स्थिति यह है कि प्रदेश में ट्रक यूनियनों पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। प्रदेश में अंबुजा सीमेंट, अल्ट्राटेक और एसीसी सीमेंट की तीन कंपनियां हैं। प्रत्येक सीमेंट उद्योग से सरकार को 419 करोड़ रुपए का सालाना कर प्राप्त होता है। इसमें हर प्रकार के कर शामिल हैं। यदि सरकार ने बिजली का व्यावसायिक मूल्य बढ़ाने से पेश आने वाली समस्या के संबंध में सार्थक निर्णय नहीं लिया तो सीमेंट उद्योग राज्य से पलायन कर सकते हैं। दूसरे पड़ोसी राज्यों में  फ्रेट, एजीटी और तेल पर होने वाला खर्च 500 रुपए प्रति मीट्रिक टन होता है, लेकिन प्रदेश में यह खर्च करीब 1100 रुपए पड़ रहा है। इस पर यदि बिजली का बोझ पड़ा तो मुश्किल होगी।


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