विकास का नया मॉडल बनाए हिमाचल

By: Mar 2nd, 2018 12:10 am

प्रो. एनके सिंह

लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं

को कम से कम चार से छह ऐसे हवाई अड्डे बनाने चाहिएं, जो पर्यटकों व अन्य ट्रैफिक से पूरे राज्य को जोड़ते हों। यह कहां बनने चाहिएं, इस संबंध में विशेषज्ञों की राय ली जानी चाहिए। 10 ऐसे हवाई अड्डे होने चाहिएं जहां दिन के समय छोटे विमानों की लैंडिंग हो सके। हमें हवाई परिवहन में सुविधाएं जुटाने के लिए निर्माण के वास्ते निजी निवेशकों को बुलाना चाहिए। निवेशक की छोटी एयर कंपनी के संचालन में रुचि होनी चाहिए…

गतांक से आगे-

विमानन कनेक्टिविटी के नाम पर हिमाचल के पास तीन हवाई अड्डे व कुछ हेलिपैड हैं। राज्य को केंद्र सरकार से धन मांगने व चम्मच पोषित मॉडल का लचर दृष्टिकोण छोड़ देना चाहिए। चूंकि हमारे पास पर्यावरण मित्र उपयोग के लिए कई कुदरती नजारे दोहन करने के लिए हैं, इसलिए यहां संसाधन ढूंढने की जरूरत नहीं है। मैं पिछले दस वर्षों से पढ़ रहा हूं कि राज्य के कई नेता वित्तीय सहायता, हवाई अड्डे व हवाई उड़ानों के लिए केंद्र के पास दौड़ लगाते रहते हैं। लेकिन परिणाम अकसर न्यूनतम रहता है तथा पर्यटकों व नागरिकों की यातायात संबंधित जरूरतें बमुश्किल पूरी हो पाती हैं।

हमें समझना होगा कि केंद्र से फंड निकालने के लिए स्पर्धा कड़ी है तथा वहां कई बड़े खिलाड़ी हैं। इसमें राज्यों के छोटे आकार अकसर बाधा बन जाते हैं तथा कई सांसदों वाले राज्यों को उन पर प्राथमिकता देने की परिपाटी वर्षों से चल रही है। सभी राज्य फंड के लिए यथासंभव कोशिश करते हैं, परंतु अकसर बाजी बड़े राज्यों के हाथों ही लगती रही है। बड़े राज्यों के मसले भी बड़े व महंगे होते हैं। राष्ट्रीय परिपे्रक्ष्य में हमारी रस्सा खींचने की क्षमता पर्याप्त नहीं है। फंड के लिए लड़ाई संख्या बल पर नहीं, बल्कि सृजनात्मकता व कल्पनाशीलता के जरिए जीती जानी चाहिए। इसलिए मैं एक दृष्टिकोण का सुझाव देना चाहूंगा। यह तभी काम कर पाएगा, अगर हमारे पास राजनीतिक इच्छाशक्ति होगी। सबसे पहले हमें अपनी प्राथमिकताएं व सीमाएं तय करनी चाहिएं। हिमाचल एक दुरूह पहाड़ी राज्य है जहां सड़कों का नेटवर्क कमजोर है, साथ ही यह आधुनिक भी नहीं है।

हमारे पास पर्याप्त सड़क परिवहन है, परंतु यह ज्यादा समय खपत वाला है। यह अतंरराष्ट्रीय पर्यटन के अनुकूल आर्थिक नजरिए से वहन योग्य व ऐश्वर्य दायक भी नहीं है। हमें सड़क परिवहन पर अपनी पूरी निर्भरता छोड़ देनी चाहिए क्योंकि यहां पर हवाई परिवहन की इतनी संभावना है कि हम प्रदेश के हिस्सों को तो आपस में जोड़ ही सकते हैं, साथ ही विश्व के अन्य हिस्सों से भी इसे जोड़ा जा सकता है। हमारे पड़ोसी देश नेपाल का भू-भाग व तर्कगणित भी हमारे जैसा ही है। उस देश को भी अपर्याप्त वित्तीय संसाधनों का सामना करना पड़ता है। नेपाल के पास 45 हवाई अड्डे हैं और इनमें से कुछ तो केवल पट्टियां मात्र हैं। इन पट्टियों में कुछ अभी संचालन योग्य भी नहीं हैं। यहां छोटे विमान आसानी से उतर जाते हैं। इन दिनों ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम लैंडिंग की ज्यादा संभावनाओं के कारण हवाई अड्डों के ज्यादा महंगे उपकरणों की जरूरत भी नहीं है। हिमाचल को कम से कम चार से छह ऐसे हवाई अड्डे बनाने चाहिएं, जो पर्यटकों व अन्य ट्रैफिक से पूरे राज्य को जोड़ते हों। यह कहां बनने चाहिएं, इस संबंध में विशेषज्ञों की राय ली जानी चाहिए। 10 ऐसे हवाई अड्डे होने चाहिएं जहां दिन के समय छोटे विमानों की लैंडिंग हो सके। हमें हवाई परिवहन में सुविधाएं जुटाने के लिए निर्माण के वास्ते निजी निवेशकों को बुलाना चाहिए। निवेशक की छोटी एयर कंपनी के संचालन में रुचि होनी चाहिए। ऐसे निवेशकों को राज्य सरकार सहयोग करे तथा उन्हें मूलभूत सुविधाएं दे। हमें होटल-कम-एयरपोर्ट कांप्लेक्स के लिए बोली लगाने में योग्य होटलियर्स समेत बड़े निजी निवेशकों से पूंजी लगाने का आह्वान करना चाहिए। कहना न होगा कि यह मॉडल हमें राज्य के विकास के लिए सस्ते, पर्याप्त व हाई स्पीड वाले परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराएगा।

मसरूर मंदिर पर अपनी पुस्तक के प्रकाशन के बाद, मुझे याद है कि बड़े निवेशक निवेश में रुचि रखते थे। एक ऐसी ही पार्टी आने वाली थी, परंतु गगल के लिए उसकी हवाई उड़ान रद्द कर दी गई और वह पार्टी कभी आई ही नहीं। मनोरंजन के लिए आने वाले लोग व बड़े व्यापारिक घरानों से जुड़े लोग ऐसी कनेक्टिविटी चाहते हैं जो आरामदायक हो। इसके अलावा वे लोग यह भी चाहते हैं कि उनका समय केवल यात्राओं में ही व्यतीत न हो जाए। मैंने हवाई अड्डे से जुड़े इस प्रोजेक्ट मॉडल को एक समय में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के सामने रखा था। उन्होंने इसमें रुचि ली, लेकिन तब तक उनका शासनकाल खत्म हो गया। बाद में आई सरकार के समय में विद्या स्टोक्स के अलावा किसी अन्य मंत्री ने इस प्रोजेक्ट मॉडल में रुचि ही नहीं ली। यह याद रखा जाना चाहिए कि भारत युद्ध स्तर पर विमानन सुविधाओं का विकास कर रहा है। विभिन्न विमानन कंपनियों ने 546 विमानों की खरीद के लिए आर्डर भेज दिए हैं, इसी से इस योजना की गति का अनुमान लगाया जा सकता है। ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2022 तक भारत में 50 मिलियन से ज्यादा विमान यात्री हो जाएंगे, जो कि इस देश को विश्व की सबसे तेज गति से उभरती विमानन मार्केट बना देंगे।

भारत एक यात्री विमान विकसित करने में भी लगा है, जो इस साल के मध्य तक तैयार हो जाएगा और यह क्षेत्र में विमानन प्रयासों के लिए एक वरदान सिद्ध होगा। हमारे प्रयास ऐसे होने चाहिएं, जिनसे बड़े स्तर पर निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित कर हम अवसरों का लाभ उठा सकें अन्यथा फंड का अभाव चलता रहेगा और हम किसी भी क्षेत्र में दु्रत गति से अपना विकास नहीं कर पाएंगे। विकास कार्यों के लिए जरूरी धन हेतु कटोरा हाथ में लिए हमेशा केंद्र की ओर दौड़ने की जरूरत नहीं है, बशर्ते हम विकास कार्यों के लिए धन जुटाने के विकल्प खोजने के लिए अपने विवेक व कल्पना का प्रयोग करें। एप्पल कंपनी के सह संस्थापक ने ठीक ही टिप्पणी की है कि भारतीय एमबीए अपना काम कर्मठता से करते हैं, लेकिन वे सृजनात्मकता का परिचय नहीं दे पाते हैं। हिमाचल के पास पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन जरूरत इस बात की है कि हम योजना निर्माण व परियोजनाओं के क्रियान्वयन में सृजनशीलता का परिचय दें।

-जारी है

ई-मेल : singhnk7@gmail.com


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