प्रदेश में भी जन एकता जन अधिकार आंदोलन

By: Apr 16th, 2018 12:01 am

शिमला – केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों, जनता पर लगातार हो रहे हमलों और लोकतंत्र को कमजोर करने के विरोध में देश भर में विभिन्न संगठनों ने मिलकर 18 सितंबर, 2017 को ‘जन एकता, जन अधिकार आंदोलन’ की शुरुआत की थी। इसके लिए राज्य स्तर पर एक कमेटी का गठन किया गया, जिसमें डा. कुलदीप सिंह तंवर को संयोजक बनाया गया। इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश में भी राज्य स्तर पर विभिन्न संगठनों की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में 16 संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें हिमाचल किसान सभा, सीआईटीयू, स्वराज अभियान, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, नॉर्थ जोन इंश्योरेंस इंप्लायज एसोसिएशन, शिमला नागरिक सभा, हिमाचल ज्ञान-विज्ञान समिति, जनवादी लेखक संघ, पीपीएच यूनियन, जन कल्याण समन्वय समिति, दलित शोषण मुक्ति मंच, एसएफआई, भारत की जनवादी नौजवान सभा, हिमाचल सेब उत्पादक संघ, जन स्वास्थ्य अभियान आदि शामिल थे। राज्य की तर्ज पर जिलों में भी जन एकता-जन अधिकार आंदोलन के लिए कमेटियां गठित की जाएंगी। 17 से 22 मई तक इन मुद्दों पर प्रदेशव्यापी अभियान चलाया जाएगा और 23 मई को प्रदेश भर में जन विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन होगा। वहीं बैठक में राष्ट्रीय स्तर पर चिन्हित 26 मुद्दों के अलावा इस अभियान में राज्य से संबंधित मुद्दे भी शामिल किए जाएंगे। इन मुद्दों में मुख्यतः महंगाई, बेरोजगारी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना, मनरेगा में 250 दिन का काम, न्यूनतम दिहाड़ी 500 रुपए करना, भूमि अधिग्रहण में 2015 के संशोधनों को रद्द करके भूमि मालिकों को उचित मुआवजा देना, विस्थापितों का पुनर्स्थापन, सरदार पटेल डैम की ऊंचाई बढ़ाने से पहले विस्थापितों का पुनर्स्थापन, शिक्षा के व्यावसायीकरण, निजीकरण और सांप्रदायिकरण पर रोक, फैलोशिप के कोटे में कट का विरोध, सेल्फ  फाइनांस शिक्षा पर रोक, शिक्षा और स्वास्थ्य के बजट को सकल घरेलू उत्पाद का छह प्रतिशत करना, बाल और बंधुआ मजदूरी पर रोक, महिला उत्पीड़न पर रोक, संसद में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण बिल को पास करवाना, रोहिंग्या मुसलमानों के नर संहार पर रोक और उनके पुनर्स्थापन के लिए नीति बनाना, आम उत्पीड़न को रोकने के लिए बिल लाना, श्रम कानूनों को लागू करना और श्रमिक विरोधी प्राधानों को हटाना व वनाधिकार कानून को लागू करना आदि शामिल हैं।

इन मुद्दों पर संघर्ष

भूमि से किसानों की बेदखली पर रोक, जंगली जानवरों, आवारा-नकारा पशुओं से निजात, दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य 30 रुपए करना, पंजाब पुनर्गठन के समय हिमाचल के हिस्से की मांग करना, भूमि अधिग्रहण में 2013 के प्रावधानों के अनुसार मुआवजा देना जैसे मुद्दे भी शामिल किए गए हैं।

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