बिटकॉयन को बंद करना होगा

By: Apr 17th, 2018 12:10 am

डा. भरत झुनझुनवाला

लेखक, आर्थिक विश्लेषक  एवं टिप्पणीकार हैं

बिटकॉयन उसी प्रकार है जैसे किसी ओलंपिक मेडल को कोई व्यक्ति लाखों रुपए देकर खरीदने को तैयार हो सकते हैं। सरकार द्वारा जारी किए गए नोट की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि सरकार की मान्यता कितनी है। इलेक्ट्रॉनिक करेंसी के पीछे कोई अधिकृत संस्था नहीं होती, इसलिए इसकी कीमत पानी पर बह रहे तेल जैसी है, इसमें गहराई नहीं होती है। सामाजिक दृष्टि से भी बिटकॉयन हानिप्रद है। बड़े कम्प्यूटरों में भारी मात्रा में बिजली की बर्बादी केवल एक आर्टिफीशियल पहेली को हल करने में लगाई जाती है…

रिजर्व बैंक ने देश के बैंकों को आदेश दिया है कि इलेक्ट्रॉनिक करेंसी जैसे बिटकॉयन में वे व्यापार न करें। इस इलेक्ट्रॉनिक करेंसी का इजाद कुछ लोगों ने यह सोच कर किया था कि सरकार द्वारा बनाई गई करेंसी के अतिरिक्त लेन-देन का कोई दूसरा माध्यम बनाया जाए, लेकिन रिजर्व बैंक के प्रतिबंध से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार के ऊपर होकर नहीं चला जा सकता है। पहले यह समझें कि इलेक्ट्रॉनिक करेंसी क्या है? मान लीजिए एक कमरे के अंदर 100 सुडुकु के खिलाड़ी अलग-अलग क्यूबिकल में बैठ जाते हैं और किसी सुडुकु को हल करने का प्रयास करते हैं। जो खिलाड़ी सबसे पहले सुडुकु को हल करता है, वह घोषित करता है और बाकी सभी 99 स्वीकार करते हैं कि उसने सबसे पहले उस सुडुकु को हल किया। ये 99 उसे एक बिटकॉयन इनाम स्वरूप दे देते है। यह बिटकॉयन सभी 100 खिलाडि़यों द्वारा सम्मिलित रूप से दिया जाता है और इसे उन सभी की मान्यता होती है। वे आपस में लेन-देन के लिए इस बिटकॉयन का उपयोग कर सकते हैं। एक सुडुकु हल हो जाने के बाद सभी खिलाड़ी इसमें एक नई लाइन या कुछ परिवर्तन करके और कठिन सुडुकु बनाते हैं। इस नए सुडुकु की फिर से प्रतियोगिता चालू होती है और जो खिलाड़ी इस नए सुडुकु को सबसे पहले हल कर दे, उसे पुनः इनाम स्वरूप एक बिटकॉयन दे दिया जाता है। इस प्रकार एक नई करेंसी प्रचलन में आ जाती है। इसी प्रकार कम्प्यूटरों के खिलाडि़यों द्वारा बिटकॉयन बनाया जाता है।

शुरू में दस कम्प्यूटर ने कोई पहेली बनाई और एक सुपर कम्प्यूटर ने इस पहेली को आपस में जोड़ करके सबसे ज्यादा कठिन पहेली बनाई। फिर दस कम्प्यूटर चालकों ने इस कठिन पहेली को हल करने का प्रयास शुरू किया। इन दस कम्प्यूटर चालकों में से जिसने सबसे पहले उस पहेली को हल किया, उसने शेष सभी कम्प्यूटरों को सूचित किया कि मैंने पहेली को हल कर लिया है। शेष कम्प्यूटरों ने उसके द्वारा दिए गए हल को जांचा और सब ने पाया कि हां यह पहेली वास्तव में हल हो गई है। सबने अपनी स्वीकृति दे दी। सब कम्प्यूटरों द्वारा इस विजेता कम्प्यूटर को एक बिटकॉयन इनाम स्वरूप दे दिया गया। इसके बाद सभी खिलाडि़यों ने उस पहेली में कुछ परिवर्तन करके एक और जटिल पहेली बनाई। एक सुपर कम्प्यूटर ने इन सब सुझावों को जोड़ करके एक विशेष जटिल पहेली बनाई, जिसे पुनः सब कम्प्यूटरों को हल करने के लिए दिया गया। दूसरे चक्कर में जिस कम्प्यूटर ने इस पहेली को हल किया, उसे विजेता घोषित किया गया और उसे पुनः एक बिटकॉयन दिया गया। कम्प्यूटरों के इस जाल में बहुत सारे कम्प्यूटर जुड़ गए हैं और यह एक प्रकार का वैश्विक खेल बन गया है। इस खेल की विशेषता यह है कि चुनौती को हल करने के लिए बड़े-बड़े कम्प्यूटर लगाए गए हैं, जिससे कि पहेली को शीघ्रातिशीघ्र हल किया जा सके। तिब्बत में बिजली का दाम कम होने से कई कम्प्यूटर खिलाडि़यों ने वहां बड़े-बड़े दफ्तर बनाए हैं, जहां इन पहेलियों को बनाया और हल किया जाता है और बिटकॉयन का उत्पादन होता है जिसे बिटकॉयन का खनन कहते हैं।

स्पष्ट होगा कि सुडुकु के विजेता द्वारा जीते गए बिटकॉयन अथवा कम्प्यूटरों द्वारा बनाए गए बिटकॉयन की मान्यता इस बात पर टिकी है कि बाकी सब खिलाड़ी उस बिटकॉयन को स्वीकार करेंगे। जैसे आपके पड़ोस में यदि 100 लोग बैठ के सुडुकु की पहेली बना लें और हल कर लें और किसी को बिटकॉयन इनाम स्वरूप दे दें, तो आपके लिए जरूरी नहीं है कि आप उस बिटकॉयन को मान्यता दें, लेकिन तमाम ऐसे लोग हैं जो इन बिटकॉयन को मान्यता देने को तैयार हैं और वे नगद पेमेंट करके बिटकॉयन खरीदते भी हैं। इस नगद पेमेंट करने से बिटकॉयन का रूप मुद्रा ज्ैसा हो जाता है। बिटकॉयन उसी प्रकार है जैसे किसी ओलंपिक मेडल को कोई व्यक्ति लाखों रुपए देकर खरीदने को तैयार हो सकते हैं। इसी प्रकार कुछ लोग बिटकॉयन खरीदने को तैयार हो जाते हैं। जिस प्रकार हम डॉलर या रुपए में लेन-देन करते हैं, उसी प्रकार हम बिटकॉयन का उपयोग भी लेन-देन के लिए कर सकते हैं। बिटकॉयन की मुद्रा, सोने अथवा सरकार द्वारा जारी नोट की तरह नहीं है। सोने की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि स्वर्ण मुद्रा में जो सोना है उसकी अपनी कितनी कीमत है, जैसे पांच ग्राम सोने की मुद्रा का दाम कम होता है और दस ग्राम सोने की मुद्रा का दाम ज्यादा होता है। सरकार द्वारा जारी किए गए नोट की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि सरकार की मान्यता कितनी है। जैसे आपके नोट पर रिजर्व बैंक के गवर्नर लिखते हैं कि मैं नोट धारक को अमुक रकम अदा करूंगा। यानी कि आपके हाथ में जो नोट है उसकी कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि रिजर्व बैंक उस नोट के बदले आपको अमुक माल या मुद्रा देने को तैयार है। बिटकॉयन का चरित्र ऐसा नहीं है। न तो इसके पीछे सोने जैसी कोई धातु है, न ही इसके पीछे सर्वमान्य रिजर्व बैंक जैसी कोई अधिकृत संस्था है। जैसे आपके घर में दस आदमी आपस में मिलकर कुछ निर्णय कर लें, तो उसकी सामाजिक मान्यता नहीं होती है। इसलिए बिटकॉयन टिकाऊ नहीं है। बिटकॉयन में दूसरी समस्या यह है कि जैसे एक कमरे में सौ खिलाड़ी बैठ कर सुडुकु की पहेली को हल करते हैं, वैसे ही दूसरे कमरे में दूसरे 100 खिलाड़ी सुडुकु हल कर सकते हैं और तीसरे कमरे में भी तीसरे खिलाड़ी। इस प्रकार तमाम इलेक्ट्रॉनिक करेंसियां चालू हो गई हैं, जिसमें बिटकॉयन प्रमुख हैं। दूसरी करेंसी हैं ऐथेरियन, लाइटकॉयन, डैश, न्यू इत्यादि।

इलेक्ट्रॉनिक करेंसी के पीछे कोई अधिकृत संस्था नहीं होती, इसलिए इसकी कीमत पानी पर बह रहे तेल जैसी है, इसमें कोई गहराई नहीं होती है। सामाजिक दृष्टि से भी बिटकॉयन हानिप्रद हैं। बड़े कम्प्यूटरों में भारी मात्रा में बिजली की बर्बादी केवल एक आर्टिफीशियल पहेली को हल करने में लगाई जाती है। जैसे हमने एक कागज पर लाइन बनाई, फिर मिटाई, फिर लाइन बनाई, फिर मिटाई। हमने इस लाइन को बनाने और मिटाने में आनंद पाया। इसी प्रकार बिटकॉयन की पहेली बनाने और हल करने में लोग आनंद प्राप्त करते हैं। इसे बौद्धिक विलासिता कहा जा सकता है। इसका सामाजिक दुष्प्रभाव यह है कि इसमें बिजली और संसार के प्राकृतिक संसाधनों की भयंकर बर्बादी हो रही है। अतः रिजर्व बैंक द्वारा बिटकॉयन पर प्रतिबंध लगाना सही है और इसको आगे बढ़ाना चाहिए।

ई-मेल : bharatjj@gmail.com

 

जीवनसंगी की तलाश हैतो आज ही भारत  मैट्रिमोनी पर रजिस्टर करें– निःशुल्क  रजिस्ट्रेशन करे!


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App