मदरसे में ‘पाप’!

By: Apr 28th, 2018 12:05 am

बलात्कार भी हिंदू-मुस्लिम हो सकता है। जम्मू के कठुआ में मुस्लिम नाबालिग कन्या से सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर हत्या…! उसकी प्रतिक्रिया में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में इंडिया गेट पर कैंडल मार्च आयोजित किया गया। इस बार गाजियाबाद जिले के एक मदरसे में कथित मौलवी ने 10 साल की एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार किया, तो कैंडल मार्च इंडिया गेट पर ही भाजपा ने आयोजित किया। नाबालिगों के साथ बलात्कार या सामूहिक दुष्कर्म अपने आप में ही जघन्य अपराध है। कैंडल मार्च पश्चिमी सभ्यता का आयातित आयोजन है, ताकि कोई भी हादसा, आपदा या आक्रमण, बिना नोटिस के, न रह जाए। नागरिकों में जागृति भी हो और पीडि़त के प्रति सहानुभूति भी हो। लेकिन बलात्कार की इन दो घटनाओं ने धर्म-मजहब का रंग ओढ़ लिया है। कठुआ की घटना बलात्कार अध्यादेश पारित करने से पहले की है और मदरसे में हिंदू कन्या के साथ जो भी किया गया है, वह अध्यादेश जारी होने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बनने के बाद की स्थिति है। चूंकि मामला 12 साल की उम्र से कम कन्या के साथ बलात्कार का है, तो सहज जिज्ञासा है कि क्या बलात्कारी को फांसी पर लटकाया जाएगा? अब नए संशोधित कानून की अग्नि-परीक्षा होगी। लेकिन कांग्रेस ने न तो बयान जारी कर भर्त्सना की है और न ही हिंदू कन्या का बलात्कार किए जाने पर कैंडल मार्च निकाला है। अभी मुसलमानों के ही मौलवी, मौलाना, मुफ्ती, इमाम वगैरह भी खामोश हैं। एकाध बयान जरूर आया है कि फांसी चौराहे पर दी जाए और बलात्कारी के मरने तक पत्थर मारे जाएं। इस्लामी देशों जैसी परंपरा भारत में भी लागू होगी या नहीं, यह दीगर सवाल है। अहम सवाल यह है कि बलात्कारी को 6 महीने की अवधि में ही ‘मौत की सजा’ दी जाए। मदरसे के भीतर ऐसा ‘पाप’ पहली बार हुआ हो, ऐसा नहीं है। फरवरी, 2018 में दिल्ली के एक मदरसे में 9 साल की मासूम बच्ची से बलात्कार किया गया। मार्च, 2018 में जम्मू के एक मदरसे में मात्र 7 साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया गया। मौलवी को गिरफ्तार कर लिया गया। इसी माह, बंगलुरू में एक छात्र का यौन-शोषण मदरसे में ही किया गया। बलात्कारी अध्यापक को गिरफ्तार कर लिया गया। मदरसे अपराधों से अछूते नहीं हैं। जब ऐसा संदर्भ आता है, तो मुल्ला-मौलवी चिल्ल-पौं करने लगते हैं। इसी तरह जब मदरसों की आड़ में आतंकवाद फैलने का जिक्र किया जाता है, तो मुस्लिम एक संप्रदाय के तौर पर खंडन करते हैं। सरकारें चाहती हैं कि मदरसों में भी कुरान के साथ-साथ कम्प्यूटर की तालीम दी जाए, मदरसों में भी एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम लागू किए जाएं, मुस्लिम बच्चे भी गणित, विज्ञान, तकनीक पढ़ें, लेकिन मदरसे के संचालक ऐसा करने के खिलाफ  हाय-तौबा करने लगते हैं। उन्हें सरकारी अनुदान भी नहीं चाहिए। यदि व्यापक स्तर पर सुधार नहीं किए जाएंगे, तो मदरसों में आतंकी, अपराधी भी पनपते रहेंगे। चूंकि बलात्कार का यह मामला हिंदू-मुसलमान का है, लिहाजा बेहद संवेदनशील भी है, लेकिन कसौटी अध्यादेश के लिए बनाई गई है। हम मानते हैं कि अभी तो नए कानून के तहत तमाम बंदोबस्त करने का वक्त है, लेकिन यह मानकर इस मामले को छोड़ा भी नहीं जा सकता। केस दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को फिलहाल दिया गया है। फारेंसिक का इतना बंदोबस्त तो अभी है कि इस केस से जुड़े साक्ष्यों की तुरंत जांच की जा सके। आखिरी जिम्मेदारी अदालत की है, जिसने ‘मौत की सजा’ सुनानी है। कानून की अधिसूचना जारी हो चुकी होगी। एक प्रयोग की तरह बलात्कार से जुड़े नए कानून का परीक्षण किया जाना है। बलात्कार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। बलात्कारियों को फिलहाल कोई खौफ  नहीं है, लिहाजा एक-दो केस फांसी पर लटका दिए जाएंगे, तो उसके बाद परिवर्तन दिख सकता है।

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