शिमला में चरमराती ट्रैफिक व्यवस्था पर हाई कोर्ट तल्ख

By: Apr 3rd, 2018 12:08 am

शिमला – शिमला शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। शहर में चरमराती ट्रैफिक व्यवस्था पर हाई कोर्ट ने परिवहन निदेशक को आगामी 18 अप्रैल को तलब किया है। अदालती आदेशों की अनुपालना करते हुए सोमवार को आरटीओ शिमला और ट्रैफिक मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश हुए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश अजय मोहन गोएल की खंडपीठ ने उन्हें आदेश दिए कि ट्रैफिक नियमों का पालन करने के लिए आम जनता को जागरूक किया जाए। अदालत ने अपने आदेशों में कहा कि आम जनता को ट्रैफिक नियमों बारे जागरूक करने के लिए स्पेशल जिंगल का इस्तेमाल किया जा सकता है और उन्हें एफएम रेडियो और ऑल इंडिया रेडियो पर चलाया जाना चाहिए। खंडपीठ ने आदेश दिए कि सड़क के किनारे अवैध तरीके से कोई भी गाड़ी पार्क न की जाए। अपने आदेशों की अनुपालना के लिए प्रदेश हाई कोर्ट ने डीसी शिमला को जिम्मेदार ठहराया है। अदालत ने डीसी शिमला को आदेश दिए कि वह इन आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर शपथपत्र के माध्यम से अदालत के समक्ष पेश करें। उधर, एक अन्य मामले में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया है कि एमडीएमएस कोर्स करने के लिए किसी जीडीओ द्वारा अनुबंध पर दी गई सेवा को गिना जाना चाहिए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने प्रार्थी अंशु अत्री द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान उक्त आदेश पारित किए। मामले के अनुसार प्रार्थी ने 10 मार्च, 2014 को अनुबंध आधार पर मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात किया गया था। 19 जुलाई, 2016 को उसने किन्ही कारणों से अपना इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद 15 जनवरी, 2018 को उसे स्थायी तौर पर मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात किया गया। प्रार्थी ने दलील दी है कि उसका चयन एमडीएमएस कोर्स के लिए किया गया है, लेकिन उसके द्वारा अनुबंध आधार पर दी गई सेवा को नहीं गिना जा रहा है। अदालत ने मामले की सुनवाई मंगलवार (तीन अप्रैल) तक स्थगित कर दी और राज्य सरकार को आदेश दिए कि वह इस मामले में जवाब दायर करे।


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