कर्नाटक में खंडित जनादेश!

By: May 14th, 2018 12:05 am

कर्नाटक में 70 फीसदी से ज्यादा मतदान एक सकारात्मक लोकतंत्र का संकेत है, लेकिन त्रिशंकु जनादेश के जो संकेत सामने आए हैं, वे नकारात्मक हैं। कर्नाटक ऐसे जनादेशों वाला राज्य नहीं है। बेहद वैज्ञानिक और आधुनिक राज्य है। सूचना प्रौद्योगिकी का अंतरराष्ट्रीय केंद्र है। कर्नाटक ऐसा राज्य है, जिस पर कोई भी देश गर्व कर सकता है। लेकिन कर्नाटक चुनाव के एग्जिट पोल के जरिए अनुमान के जो आंकड़े सामने आए हैं, उनमें खंडित जनादेश दिख रहा है। कुछ एग्जिट पोल ने कांग्रेस की, तो कुछ ने भाजपा की बढ़त का अनुमान दिया है, लेकिन स्पष्ट बहुमत किसी भी पक्ष को नहीं…! बेशक तीसरी पार्टी के तौर पर जनता दल-एस को दिखाया गया, लेकिन उसे भी 20-39 के बीच सीटें मिलने का अनुमान है। यदि जनादेश खंडित होगा, तो तय है कि जद-एस ही ‘किंगमेकर’ बनेगी। कांग्रेस या भाजपा उसके समर्थन के बिना सरकार नहीं बना सकतीं। सवाल यह है कि नया मुख्यमंत्री कौन होगा और आधी-अधूरी सरकार का भविष्य कितना स्थायी और स्थिर होगा? यदि जद-एस ‘किंगमेकर’ की भूमिका में आती है, तो एक तथ्य नहीं भूलना चाहिए कि पूर्व प्रधानमंत्री एवं जद-एस के सरपरस्त देवेगौड़ा कमोबेश सिद्धारमैया या येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे। सिद्धारमैया जद-एस के नेता रहे हैं और उप मुख्यमंत्री भी बने थे। जद-एस छोड़ कर ही वह कांग्रेस में आए। पुरानी राजनीतिक खुन्नसें ऐसी होती हैं कि वे किसी भी हद तक जा सकती हैं। ऐसे में भाजपा और जद-एस का गठबंधन होता है, तो क्या भाजपा गैर-कांग्रेसी सरकार बनाने और पीपीपी का प्रधानमंत्री का मंसूबा साकार करने के मद्देनजर येदियुरप्पा की ‘बलि’ दे सकती है? यह बेहद महत्त्वपूर्ण राजनीतिक सवाल है, जो 15 मई को जनादेश की सार्वजनिकता के साथ ही स्पष्ट होगा। दरअसल एग्जिट पोल भी अवैज्ञानिक प्रणाली नहीं हैं। अमरीका और यूरोप में तो काफी सटीक भी रहते हैं। वे चुनाव परिणाम नहीं होते, लेकिन उनके रुझान, संकेत और अनुमान जरूर होते हैं। हालांकि भारत में एग्जिट पोल का इतिहास सटीक नहीं रहा है, लेकिन उन्हें बिलकुल गलत भी करार नहीं दिया जा सकता। ज्यादातर पोल भाजपा की बढ़त दिखा रहे हैं। यदि सभी एग्जिट पोल का औसत लिया जाए, तो भाजपा के पक्ष में 103, कांग्रेस की 85, जद-एस की 32 और अन्य की 2 सीटों का अनुमान लगाया गया है। वैसे भी 1984 के बाद कर्नाटक ने कभी भी सत्तारूढ़ पक्ष को दोबारा जनादेश नहीं दिया है, लेकिन इतना खंडित नतीजा भी नहीं रहा है। 2013 में कांग्रेस को 122 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत मिला था। उससे पहले 2008 में भाजपा 110 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी। सरकार बनाने के लिए 113 विधायकों का समर्थन अनिवार्य है। वह आसानी से जुटा लिया गया था। अब कांग्रेस 122 से काफी नीचे लुढ़कती लग रही है। भाजपा के निवर्तमान सदन में 40 ही विधायक थे। यदि अनुमानों के मुताबिक भाजपा 80 या उससे अधिक सीटें पाती है, तो उसकी ताकत दोगुनी या ज्यादा ही होगी। अलबत्ता 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 132 सीटों पर बढ़त बनाई थी। नतीजतन 28 में से 17 सांसद अपनी झोली में लिए थे। यदि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के दावे के मुताबिक 130 या ज्यादा सीटें जीतती है, तो वह कन्नड़ी लोगों की बदलती मानसिकता का स्पष्ट प्रमाण होगा। यानी भाजपा के लिए दक्षिण का द्वार खुलना तय होगा। 2019 में भी इसका लाभ भाजपा के पक्ष में जाएगा। पोल से यह भी साफ होता लग रहा है कि सेंट्रल कर्नाटक, तटीय एवं पहाड़ी कर्नाटक, मुंबई कर्नाटक में भाजपा ने बहुत बढ़त ली है। जबकि बंगलुरू समेत हैदराबाद, कर्नाटक और पुराना मैसूर में कांग्रेस के पक्ष में बढ़त दिखाई दी है। इसे प्रधानमंत्री मोदी के चुनाव प्रचार का नतीजा माना जा सकता है। प्रधानमंत्री ने अपने मुंह पर वोट मांगे, जबकि कांग्रेस को सिद्धारमैया और मुसलमानों के कारण वोट मिले, लेकिन कांग्रेस का लिंगायत कार्ड पिट गया, क्योंकि उस इलाके में भाजपा को जबरदस्त समर्थन मिलता दिख रहा है। लेकिन यह स्पष्ट है कि निवर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनकी सरकार के खिलाफ कोई लहर नहीं थी। मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ निजी तौर पर रुझान रहे होंगे, नतीजतन कांग्रेस पराजित होती लग रही है। राजनीतिक तौर पर कर्नाटक का जनादेश बेहद महत्त्वपूर्ण होगा। यदि कांग्रेस हार जाती है, तो विपक्षी गठबंधन और कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल उठने लगेंगे। संभवतः ‘संघीय मोर्चा’ को विकल्प माना जाए और 2019 की चुनावी लड़ाई लड़ी जाए। यदि कांग्रेस के हाथ जीत लगती है, तो कांग्रेस के भीतर ढोल बजने शुरू हो जाएंगे और राहुल गांधी को ‘नेता’ के तौर पर प्रचारित किया जाने लगेगा। कर्नाटक के जनादेश के साथ यह भी स्पष्ट होगा कि ‘कांग्रेसमुक्त भारत’ का प्रधानमंत्री मोदी का राजनीतिक सपना साकार होने की तरफ बढ़ता है या नहीं। लिहाजा 15 मई की तारीख ऐतिहासिक हो सकती है, उसका इंतजार किया जाए।

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